ETV Bharat / city

राजस्थान हाईकोर्ट ने पूछा- प्राइवेट डॉक्टर्स की कोरोना से मौत होने पर आश्रितों को 50 लाख रुपये का मुआवजा क्यों नहीं

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि प्राइवेट डॉक्टर्स की कोविड से मौत होने पर उनके आश्रितों को पचास लाख रुपये का मुआवजा क्यों नहीं दिया जा रहा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश उर्मिला की याचिका पर दिए.

rajasthan highcourt,  प्राइवेट डॉक्टर्स की कोरोना से मौत
राजस्थान हाईकोर्ट
author img

By

Published : May 18, 2021, 10:24 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि प्राइवेट डॉक्टर्स की कोविड से मौत होने पर उनके आश्रितों को पचास लाख रुपये का मुआवजा क्यों नहीं दिया जा रहा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश उर्मिला की याचिका पर दिए.

पढे़ं: राजस्थान हाईकोर्ट ने पूछा- नियमित भर्ती के नियम नहीं तो प्रतिनियुक्ति पर लगे अधिकारी को क्यों हटाया

याचिका में कहा गया कि उसके पति होम्योपैथिक चिकित्सक थे. पिछले साल लॉकडाउन के दौरान उनके पति ने भी कोरोना संक्रमितों का इलाज किया था. जिसके चलते वे स्वयं संक्रमित हो गए. इसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां गत अगस्त माह में उनकी कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो गई.

याचिका में कहा गया कि जब राज्य सरकार ने संविदाकर्मियों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, अधिस्वीकृत पत्रकारों और राशन डीलर्स को फ्रंटलाइन वर्कर्स की सूची में शामिल कर कोरोना से मौत होने पर उनके आश्रितों को पचास लाख रुपये का मुआवजा देना तय किया है तो फिर प्राइवेट डॉक्टर्स को इस सूची में शामिल क्यों नहीं किया गया. जबकि प्राइवेट डॉक्टर्स भी सरकारी चिकित्सकों के समान कोरोना संक्रमितों का इलाज कर रहे हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि प्राइवेट डॉक्टर्स की कोविड से मौत होने पर उनके आश्रितों को पचास लाख रुपये का मुआवजा क्यों नहीं दिया जा रहा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश उर्मिला की याचिका पर दिए.

पढे़ं: राजस्थान हाईकोर्ट ने पूछा- नियमित भर्ती के नियम नहीं तो प्रतिनियुक्ति पर लगे अधिकारी को क्यों हटाया

याचिका में कहा गया कि उसके पति होम्योपैथिक चिकित्सक थे. पिछले साल लॉकडाउन के दौरान उनके पति ने भी कोरोना संक्रमितों का इलाज किया था. जिसके चलते वे स्वयं संक्रमित हो गए. इसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां गत अगस्त माह में उनकी कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो गई.

याचिका में कहा गया कि जब राज्य सरकार ने संविदाकर्मियों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, अधिस्वीकृत पत्रकारों और राशन डीलर्स को फ्रंटलाइन वर्कर्स की सूची में शामिल कर कोरोना से मौत होने पर उनके आश्रितों को पचास लाख रुपये का मुआवजा देना तय किया है तो फिर प्राइवेट डॉक्टर्स को इस सूची में शामिल क्यों नहीं किया गया. जबकि प्राइवेट डॉक्टर्स भी सरकारी चिकित्सकों के समान कोरोना संक्रमितों का इलाज कर रहे हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.