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बीवीजी रिश्वत मामला : जांच अधिकारी को केस डायरी के साथ हाईकोर्ट ने किया तलब

याचिका में कहा गया है कि प्रकरण में एसीबी को किसी ने शिकायत दर्ज नहीं कराई थी. एसीबी ने अपने स्तर पर ही प्रकरण में भ्रष्टाचार होने की धारणा बना रखी है. याचिकाकर्ता ने न तो किसी काम के बदले किसी व्यक्ति से रिश्वत मांगी है, और न ही वह किसी को अनुचित लाभ देने की स्थिति में है.

बीवीजी रिश्वत मामला जांच अधिकारी तलब
बीवीजी रिश्वत मामला जांच अधिकारी तलब
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Published : Sep 21, 2021, 4:39 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने बीवीजी कंपनी के नगर निगम पर बकाया 276 करोड रुपए के भुगतान के बदले 20 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने से जुड़े मामले में 24 सितंबर को जांच अधिकारी को केस डायरी के साथ पेश होने के आदेश दिए हैं.

न्यायाधीश नरेंद्र सिंह ने यह आदेश आरोपी राजाराम गुर्जर की जमानत याचिका पर दिए. जमानत याचिका में कहा गया कि प्रकरण में एसीबी को किसी ने शिकायत दर्ज नहीं कराई थी. एसीबी ने अपने स्तर पर ही प्रकरण में भ्रष्टाचार होने की धारणा बना रखी है. याचिकाकर्ता ने न तो किसी काम के बदले किसी व्यक्ति से रिश्वत मांगी है, और न ही वह किसी को अनुचित लाभ देने की स्थिति में है. इसलिए प्रकरण भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत बनता ही नहीं है.

पढ़ें- BJP का चिंतन शिविर: कुंभलगढ़ में जुटे दिग्गज, नहीं पहुंचीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया

याचिका में कहा गया कि मामला पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है और विपक्षी पार्टी का महापौर बनने के कारण याचिकाकर्ता को बलि का बकरा बनाया जा रहा है. इसके अलावा एसीबी ने अब तक कथित वीडियो की वास्तविक क्लिप भी बरामद नहीं की है. वह गत 29 जून से न्यायिक अभिरक्षा में है और सह आरोपी ओमकार सप्रे को जमानत दी जा चुकी है.

याचिका में कहा गया कि एसीबी कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ 15 मामले लंबित होने के आधार पर जमानत अर्जी खारिज की है. जबकि याचिकाकर्ता के खिलाफ चार मामले ही लंबित हैं. इसलिए याचिकाकर्ता को जमानत दी जाए.

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने बीवीजी कंपनी के नगर निगम पर बकाया 276 करोड रुपए के भुगतान के बदले 20 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने से जुड़े मामले में 24 सितंबर को जांच अधिकारी को केस डायरी के साथ पेश होने के आदेश दिए हैं.

न्यायाधीश नरेंद्र सिंह ने यह आदेश आरोपी राजाराम गुर्जर की जमानत याचिका पर दिए. जमानत याचिका में कहा गया कि प्रकरण में एसीबी को किसी ने शिकायत दर्ज नहीं कराई थी. एसीबी ने अपने स्तर पर ही प्रकरण में भ्रष्टाचार होने की धारणा बना रखी है. याचिकाकर्ता ने न तो किसी काम के बदले किसी व्यक्ति से रिश्वत मांगी है, और न ही वह किसी को अनुचित लाभ देने की स्थिति में है. इसलिए प्रकरण भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत बनता ही नहीं है.

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याचिका में कहा गया कि मामला पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है और विपक्षी पार्टी का महापौर बनने के कारण याचिकाकर्ता को बलि का बकरा बनाया जा रहा है. इसके अलावा एसीबी ने अब तक कथित वीडियो की वास्तविक क्लिप भी बरामद नहीं की है. वह गत 29 जून से न्यायिक अभिरक्षा में है और सह आरोपी ओमकार सप्रे को जमानत दी जा चुकी है.

याचिका में कहा गया कि एसीबी कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ 15 मामले लंबित होने के आधार पर जमानत अर्जी खारिज की है. जबकि याचिकाकर्ता के खिलाफ चार मामले ही लंबित हैं. इसलिए याचिकाकर्ता को जमानत दी जाए.

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