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Rajasthan High Court: रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले में अनुसंधान अधिकारी तलब, 30 जुलाई को पेश होने का आदेश - रेमडेसिवीर इंजेक्शन

राजस्थान हाई कोर्ट ने रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले में अनुसंधान अधिकारी को 30 जुलाई को पेश होने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश पंकज भंडारी ने यह आदेश आरोपी डॉ. जितेश अरोड़ा की जमानत अर्जी पर दिए.

राजस्थान हाई कोर्ट, Rajasthan High Court
रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले में अनुसंधान अधिकारी तलब
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Published : Jul 24, 2021, 8:44 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट ने रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले में अनुसंधान अधिकारी को 30 जुलाई को पेश होने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश पंकज भंडारी ने यह आदेश आरोपी डॉ. जितेश अरोड़ा की जमानत अर्जी पर दिए. जमानत अर्जी में आरोपी की ओर से कहा गया कि उसे प्रकरण में झूठा फंसाया है.

पढ़ेंः राजस्थान हाई कोर्ट: FSL में लंबित प्रकरणों की जानकारी पेश करने के आदेश

ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए. जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि कोरोना के चरम पर रहने के दौरान गत अप्रैल माह में आरोपी ने रेमडेसिवीर के 750 नकली इंजेक्शन मयंक गर्ग से खरीद कर जयपुर में शंकर दयाल सैनी और विक्रम सिंह के जरिए इनकी कालाबाजारी की और भारी मुनाफा कमाया.

पढ़ेंः कांस्टेबल भर्ती में उत्कृष्ट खिलाड़ी कोटे में नियुक्ति नहीं देने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

इन इंजेक्शनों की एफएसएल रिपोर्ट भी नेगेटिव आई, यानी की इंजेक्शन नकली थे और उनमें मूल साल्ट ही नहीं था. इसके बावजूद अनुसंधान अधिकारी ने इस मामले में औषधि प्रसाधन अधिनियम 1940 की धारा 27-ए में अनुसंधान नहीं किया. इसलिए अदालत अनुसंधान अधिकारी को तलब किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने जांच अधिकारी को तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट ने रेमडेसिवीर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले में अनुसंधान अधिकारी को 30 जुलाई को पेश होने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश पंकज भंडारी ने यह आदेश आरोपी डॉ. जितेश अरोड़ा की जमानत अर्जी पर दिए. जमानत अर्जी में आरोपी की ओर से कहा गया कि उसे प्रकरण में झूठा फंसाया है.

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ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए. जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि कोरोना के चरम पर रहने के दौरान गत अप्रैल माह में आरोपी ने रेमडेसिवीर के 750 नकली इंजेक्शन मयंक गर्ग से खरीद कर जयपुर में शंकर दयाल सैनी और विक्रम सिंह के जरिए इनकी कालाबाजारी की और भारी मुनाफा कमाया.

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इन इंजेक्शनों की एफएसएल रिपोर्ट भी नेगेटिव आई, यानी की इंजेक्शन नकली थे और उनमें मूल साल्ट ही नहीं था. इसके बावजूद अनुसंधान अधिकारी ने इस मामले में औषधि प्रसाधन अधिनियम 1940 की धारा 27-ए में अनुसंधान नहीं किया. इसलिए अदालत अनुसंधान अधिकारी को तलब किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने जांच अधिकारी को तलब किया है.

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