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जोहड़ भूमि पर बने आवासीय भवनों को तोड़ने पर रोक, कोर्ट ने कलेक्टर सहित अन्य को दिया नोटिस

झुंझूनुं की बुहाना तहसील के गांव रामपुर अहिरान की जोहड़ भूमि में बने आवासीय निर्माणों को तोड़ने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. कोर्ट ने इस संबंध में स्थानीय कलेक्टर व अन्य संबंधित को नोटिस जारी किया है. याचिका में कहा गया है कि वे करीब पांच दशक से यहां रह रहे हैं. उन्हें बिजली कनेक्शन भी जारी हुए हैं.

Rajasthan High Court stays on residential constructions in Jhunjhunu
जोहड़ भूमि पर बने आवासीय भवनों को तोड़ने पर रोक, कोर्ट ने कलेक्टर सहित अन्य को दिया नोटिस
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Published : Aug 27, 2022, 5:37 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने झुंझूनुं की बुहाना तहसील के गांव रामपुर अहिरान के जोहड़ भूमि में बने आवासीय निर्माणों को तोड़ने पर रोक लगा दी (Court stays on residential constructions) है. इसके साथ ही अदालत ने स्थानीय कलेक्टर सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस महेन्द्र गोयल ने यह आदेश अमर सिंह व 32 अन्य की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता मोहित बलवदा और भावना चौधरी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता भूमिहीन वर्ग से हैं और करीब पांच दशक से जोहड़ भूमि पर पक्के निर्माण बनाकर रह रहे हैं. इसके अलावा अधिकांश याचिकाकर्ताओं के पास ग्राम पंचायत की ओर से आवंटित भूखंड के पट्टे भी हैं. वहीं बुहाना तहसीलदार ने भी अपनी रिपोर्ट में माना की यह बहुत पुराने निर्माण हैं. याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि उन्हें बिजली कनेक्शन भी जारी किए गए हैं. इसके अलावा राज्य सरकार ने नीतिगत निर्णय ले रखा है कि चारागाह भूमि में बने पुराने निर्माणों को नियमित किया जाएगा. ऐसे में जिला प्रशासन को पाबंद किया जाए कि वह याचिकाकर्ताओं के निर्माण को नहीं हटाएं. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं के निर्माण हटाने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने झुंझूनुं की बुहाना तहसील के गांव रामपुर अहिरान के जोहड़ भूमि में बने आवासीय निर्माणों को तोड़ने पर रोक लगा दी (Court stays on residential constructions) है. इसके साथ ही अदालत ने स्थानीय कलेक्टर सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस महेन्द्र गोयल ने यह आदेश अमर सिंह व 32 अन्य की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता मोहित बलवदा और भावना चौधरी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता भूमिहीन वर्ग से हैं और करीब पांच दशक से जोहड़ भूमि पर पक्के निर्माण बनाकर रह रहे हैं. इसके अलावा अधिकांश याचिकाकर्ताओं के पास ग्राम पंचायत की ओर से आवंटित भूखंड के पट्टे भी हैं. वहीं बुहाना तहसीलदार ने भी अपनी रिपोर्ट में माना की यह बहुत पुराने निर्माण हैं. याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि उन्हें बिजली कनेक्शन भी जारी किए गए हैं. इसके अलावा राज्य सरकार ने नीतिगत निर्णय ले रखा है कि चारागाह भूमि में बने पुराने निर्माणों को नियमित किया जाएगा. ऐसे में जिला प्रशासन को पाबंद किया जाए कि वह याचिकाकर्ताओं के निर्माण को नहीं हटाएं. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं के निर्माण हटाने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

पढ़ें: चारागाह भूमि पर बने आवासों को तोड़ने पर कोर्ट ने लगाई रोक

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