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Rajasthan High Court News: बीवीजी कंपनी मामले में हाईकोर्ट ने आर्बिट्रेशन को लेकर मांगी जानकारी - Rajasthan High Court News

राजस्थान हाईकोर्ट ने बीवीजी कंपनी (Rajasthan High Court on BVG Company) के एग्रीमेंट निरस्त करने के मामले में 12 जनवरी तक आर्बिट्रेशन को लेकर जानकारी मांगी है. जस्टिस इंद्रजीत सिंह ने यह आदेश बीवीजी कंपनी की याचिका पर दिए हैं.

Rajasthan High Court on BVG Company
बीवीजी कंपनी मामले में हाईकोर्ट ने आर्बिट्रेशन को लेकर मांगी जानकारी
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Published : Jan 6, 2022, 8:06 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court on BVG Company) ने डोर-टू-डोर कचरा उठाने वाली बीवीजी कंपनी के एग्रीमेंट निरस्त करने के मामले में 12 जनवरी तक आर्बिट्रेशन का ब्यौरा देने के लिए कहा है. जस्टिस इंद्रजीत सिंह ने यह आदेश बीवीजी कंपनी की याचिका पर दिए हैं.

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से एएजी अनिल मेहता ने कहा कि नगर निगम ने कंपनी के टेंडर को निरस्त करने का निर्णय ले लिया है और इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी है, लेकिन कंपनी मामले को आर्बिट्रेशन में ले जाना चाहती है और वह इस संबंध में अदालत में याचिका भी पेश कर चुकी है.

पढ़ें.Jaipur High Court Anta Election Case : अंता नगर पालिका चेयरमैन चुनाव मामले में हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

इस पर अदालत ने कहा कि आर्बिट्रेशन के संबंध में उन्हें जानकारी नहीं है. इसलिए आगामी सुनवाई पर इस मामले में आर्बिट्रेशन संबंधी तथ्यों को पेश किया जाए. वहीं कंपनी की ओर से कहा गया कि डीएलबी ने कंपनी को जयपुर नगर निगम के परिसीमन के बाद ग्रेटर नगर निगम का एग्रीमेंट बढ़ाने के लिए 18 जनवरी 2021 को ही लेटर जारी कर दिया था. नगर निकाय में डीएलबी सर्वोच्च निकाय हैं और नगर निगम उसके निर्णय को मानने के लिए बाध्य है. इसके बावजूद भी नगर निगम उनका टेंडर निरस्त करना चाहती थी.

इस दौरान अधिवक्ता विमल चौधरी ने भी राजस्थान नगर पालिका कर्मचारी फेडरेशन की ओर से मामले में पक्षकार बनाने का प्रार्थना पत्र दायर किया. अदालत ने सभी पक्षों को सुनकर मामले में 12 जनवरी को सुनवाई तय की. दरअसल राज्य सरकार ने खंडपीठ में मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि वे बीवीजी कंपनी का ठेका रद्द करना चाहते हैं, लेकिन सिंगल बेंच का स्टे हैं. इसलिए वह कंपनी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं कर पा रहे.

पढे़ं.Rajasthan High Court Order : संशोधित परिणाम के आधार पर वरिष्ठ शिक्षकों को हटाने का आदेश रद्द

गौरतलब है कि हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने मई 2021 में डोर-टू-डोर कचरा उठाने वाली बीवीजी कंपनी पर दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी. वहीं कंपनी को नियमित तौर पर काम करते रहने के लिए भी कहा था. कंपनी ने ग्रेटर नगर निगम की ओर से सप्लीमेंट्री एग्रीमेंट नहीं करने और ठेका निरस्त करने की कार्रवाई का हवाला देते हुए याचिका दायर की है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court on BVG Company) ने डोर-टू-डोर कचरा उठाने वाली बीवीजी कंपनी के एग्रीमेंट निरस्त करने के मामले में 12 जनवरी तक आर्बिट्रेशन का ब्यौरा देने के लिए कहा है. जस्टिस इंद्रजीत सिंह ने यह आदेश बीवीजी कंपनी की याचिका पर दिए हैं.

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से एएजी अनिल मेहता ने कहा कि नगर निगम ने कंपनी के टेंडर को निरस्त करने का निर्णय ले लिया है और इसकी प्रक्रिया भी शुरू कर दी है, लेकिन कंपनी मामले को आर्बिट्रेशन में ले जाना चाहती है और वह इस संबंध में अदालत में याचिका भी पेश कर चुकी है.

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इस पर अदालत ने कहा कि आर्बिट्रेशन के संबंध में उन्हें जानकारी नहीं है. इसलिए आगामी सुनवाई पर इस मामले में आर्बिट्रेशन संबंधी तथ्यों को पेश किया जाए. वहीं कंपनी की ओर से कहा गया कि डीएलबी ने कंपनी को जयपुर नगर निगम के परिसीमन के बाद ग्रेटर नगर निगम का एग्रीमेंट बढ़ाने के लिए 18 जनवरी 2021 को ही लेटर जारी कर दिया था. नगर निकाय में डीएलबी सर्वोच्च निकाय हैं और नगर निगम उसके निर्णय को मानने के लिए बाध्य है. इसके बावजूद भी नगर निगम उनका टेंडर निरस्त करना चाहती थी.

इस दौरान अधिवक्ता विमल चौधरी ने भी राजस्थान नगर पालिका कर्मचारी फेडरेशन की ओर से मामले में पक्षकार बनाने का प्रार्थना पत्र दायर किया. अदालत ने सभी पक्षों को सुनकर मामले में 12 जनवरी को सुनवाई तय की. दरअसल राज्य सरकार ने खंडपीठ में मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि वे बीवीजी कंपनी का ठेका रद्द करना चाहते हैं, लेकिन सिंगल बेंच का स्टे हैं. इसलिए वह कंपनी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं कर पा रहे.

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गौरतलब है कि हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने मई 2021 में डोर-टू-डोर कचरा उठाने वाली बीवीजी कंपनी पर दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी. वहीं कंपनी को नियमित तौर पर काम करते रहने के लिए भी कहा था. कंपनी ने ग्रेटर नगर निगम की ओर से सप्लीमेंट्री एग्रीमेंट नहीं करने और ठेका निरस्त करने की कार्रवाई का हवाला देते हुए याचिका दायर की है.

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