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PHED में कार्यरत कर्मचारियों को बिना कारण पदावनत करने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने मांगा जवाब - 14 मोरों का शिकार

राजस्थान हाईकोर्ट ने पीएचईडी में कार्यरत कर्मचारियों को बिना कारण पदावनत करने पर जवाब तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ताओं को पदोन्नत पद पर काम करते रहने को कहा है.

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राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Sep 5, 2020, 5:17 PM IST

Updated : Sep 5, 2020, 7:47 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पीएचईडी में कार्यरत कर्मचारियों को बिना कारण पदावनत करने पर पीएचईडी सचिव, अधीक्षण अभियंता और विभाग के कार्यकारी अभियंता अलवर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ताओं को पदोन्नत पद पर काम करते रहने को कहा है. यहा आदेश न्यायाधीश अशोक कुमार गौड़ की एकलपीठ ने भगवान सहाय सैनी अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

इस याचिका में अधिवक्ता बाबूलाल बैरवा ने अदालत को बताया कि कार्मिक विभाग के आदेश के तहत पीएचईडी ने 20 जून 2019 को सहायक पद पर कार्यरत याचिकाकर्ताओं को पंप चालक द्वितीय और फीडर द्वितीय के पद पर पदोन्नत कर दिया. इसके साथ ही उन्हें संबंधित पे स्केल का लाभ भी दिया गया. वहीं, विभाग ने गत 15 जून को आदेश जारी कर याचिकाकर्ताओं के पदोन्नति आदेश को रद्द कर दिया.

याचिका में कहा गया कि विभाग ने पदोन्नति आदेश रद्द करने से पूर्व याचिकाकर्ताओं को नोटिस तक जारी नहीं किए और एकतरफा कार्रवाई करते हुए पदोन्नति आदेश निरस्त किए हैं, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को पदोन्नत पद पर काम करते रहने के आदेश देते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

खेतड़ी कॉपर श्रमिक यूनियन की मान्यता के चुनाव एक माह में कराने के आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने खेतड़ी कॉपर श्रमिक यूनियन की मान्यता के चुनाव एक माह में कराने के आदेश देते हुए चुनाव परिणाम घोषित होने तक याचिकाकर्ता यूनियन की मान्यता जारी रखने को कहा है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में श्रम मंत्रालय, मुख्य श्रम आयुक्त, क्षेत्रीय श्रम आयुक्त और हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड सहित खेतड़ी कॉपर कॉन्प्लेक्स को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. यह आदेश न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने श्रमिक संघ की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए.

याचिका में कहा गया कि खेतड़ी कॉपर कॉन्प्लेक्स की अधिकृत मान्यता के लिए श्रमिक संगठनों के बीच गुप्त मतदान होता है. इसमें विजयी रहने पर संबंधित संगठन को कॉपर कांप्लेक्स का मान्यता प्राप्त श्रमिक संगठन घोषित किया जाता है.

पढ़ें- कृषि उपज व्यापार अध्यादेश पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब, रामपाल ने दायर की थी PIL

याचिका में कहा गया कि वर्ष 2015 में हुए चुनाव में याचिकाकर्ता संघ को विजयी घोषित कर मान्यता प्राप्त यूनियन घोषित किया गया. नियमानुसार अगले चुनाव तक विजय संघ को मान्यता मिली रहती है, लेकिन हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड ने गत 9 जून को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता संघ की मान्यता वापस ले ली और सभी श्रमिक संगठनों से एक-एक सदस्य का नॉमिनेशन मांग लिया.

फिलहाल, मान्यता के लिए श्रमिक संगठनों के बीच चुनाव होने के लिए प्रक्रिया चल रही है, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने अगले चुनाव का परिणाम आने तक याचिकाकर्ता संघ की मान्यता को जारी रखने के आदेश देते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

राष्ट्रीय पक्षी के शिकारियों को जमानत नहीं

राजस्थान हाईकोर्ट ने अलवर के थानागाजी इलाके में 14 मोरों का शिकार करने वाले शिकारियों को जमानत देने से इनकार कर दिया है. यह आदेश न्यायाधीश पंकज भंडारी की एकलपीठ ने आरोपी कैलाश और बोदू की द्वितीय जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिए.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आरोपियों पर बड़ी संख्या में मोर का शिकार करने का आरोप है. ऐसे में उन्हें जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता. याचिका में कहा गया कि वे निर्दोष है और उन्हें मामले में फंसाया गया है. जांच एजेंसी के पास याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई साक्ष्य भी नहीं है. इसके अलावा मामले में आरोप पत्र भी पेश किया जा चुका है. ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए.

पढ़ें- HC ने कोरोना काल में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की ओर से पूरी फीस वसूलने पर मांगा जवाब

इसका विरोध करते हुए सरकारी वकील शेर सिंह महला ने कहा कि गत 13 अप्रैल को वन विभाग के अधिकारियों ने याचिकाकर्ताओ को मौके से पकड़ कर उनके पास शिकार हुए मोर बरामद किए थे. शिकार के कारण राष्ट्रीय पक्षी की संख्या कम होती जा रही है. यदि आरोपियों को जमानत दी गई तो इससे शिकारियों के हौसले बुलंद होंगे. ऐसे में आरोपियों को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आरोपियों की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है.

मेडिकल पीजी में सेवारत वर्ग में मानते हुए दें स्टडी लीव का लाभ

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और नीट पीजी बोर्ड को कहा है कि वह याचिकाकर्ता चिकित्सकों को सेवारत वर्ग में मानकर स्टडी लीव का लाभ देते हुए मेडिकल पीजी कोर्स के लिए रिलीव करें. न्यायाधीश अशोक गोड की एकलपीठ ने यह आदेश डॉक्टर पूजा माथुर और अन्य की ओर से दायर याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता मोहित बलवदा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता स्वास्थ्य विभाग के अधीन कई सालों से मेडिकल ऑफिसर के पद पर काम कर रहे हैं. याचिका में कहा गया कि नीट पीजी बोर्ड ने गत 30 जनवरी को प्री पीजी का परिणाम जारी कर चयनित अभ्यर्थियों को 6 फरवरी तक अनुभव प्रमाण पत्र जमा कराने को कहा गया. बोर्ड की ओर से 14 जुलाई को जारी संशोधित परिणाम में याचिकाकर्ताओं का चयन हो गया, लेकिन बोर्ड की ओर से अनुभव प्रमाण पत्र जमा कराने के संबंध में कोई निर्देश नहीं दिए गए.

वहीं, बाद में जारी मोपअप राउंड की मेरिट लिस्ट में याचिकाकर्ताओं को गैर सेवारत वर्ग में माना गया. जबकि याचिकाकर्ताओं को सेवारत वर्ग में मानते हुए स्टडी लीव का लाभ दिया जाना चाहिए था. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को सेवारत वर्ग में मानते हुए स्टडी लीव का लाभ देकर पीजी कोर्स के लिए रिलीव करने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पीएचईडी में कार्यरत कर्मचारियों को बिना कारण पदावनत करने पर पीएचईडी सचिव, अधीक्षण अभियंता और विभाग के कार्यकारी अभियंता अलवर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ताओं को पदोन्नत पद पर काम करते रहने को कहा है. यहा आदेश न्यायाधीश अशोक कुमार गौड़ की एकलपीठ ने भगवान सहाय सैनी अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

इस याचिका में अधिवक्ता बाबूलाल बैरवा ने अदालत को बताया कि कार्मिक विभाग के आदेश के तहत पीएचईडी ने 20 जून 2019 को सहायक पद पर कार्यरत याचिकाकर्ताओं को पंप चालक द्वितीय और फीडर द्वितीय के पद पर पदोन्नत कर दिया. इसके साथ ही उन्हें संबंधित पे स्केल का लाभ भी दिया गया. वहीं, विभाग ने गत 15 जून को आदेश जारी कर याचिकाकर्ताओं के पदोन्नति आदेश को रद्द कर दिया.

याचिका में कहा गया कि विभाग ने पदोन्नति आदेश रद्द करने से पूर्व याचिकाकर्ताओं को नोटिस तक जारी नहीं किए और एकतरफा कार्रवाई करते हुए पदोन्नति आदेश निरस्त किए हैं, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को पदोन्नत पद पर काम करते रहने के आदेश देते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

खेतड़ी कॉपर श्रमिक यूनियन की मान्यता के चुनाव एक माह में कराने के आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट ने खेतड़ी कॉपर श्रमिक यूनियन की मान्यता के चुनाव एक माह में कराने के आदेश देते हुए चुनाव परिणाम घोषित होने तक याचिकाकर्ता यूनियन की मान्यता जारी रखने को कहा है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में श्रम मंत्रालय, मुख्य श्रम आयुक्त, क्षेत्रीय श्रम आयुक्त और हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड सहित खेतड़ी कॉपर कॉन्प्लेक्स को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. यह आदेश न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने श्रमिक संघ की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए.

याचिका में कहा गया कि खेतड़ी कॉपर कॉन्प्लेक्स की अधिकृत मान्यता के लिए श्रमिक संगठनों के बीच गुप्त मतदान होता है. इसमें विजयी रहने पर संबंधित संगठन को कॉपर कांप्लेक्स का मान्यता प्राप्त श्रमिक संगठन घोषित किया जाता है.

पढ़ें- कृषि उपज व्यापार अध्यादेश पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब, रामपाल ने दायर की थी PIL

याचिका में कहा गया कि वर्ष 2015 में हुए चुनाव में याचिकाकर्ता संघ को विजयी घोषित कर मान्यता प्राप्त यूनियन घोषित किया गया. नियमानुसार अगले चुनाव तक विजय संघ को मान्यता मिली रहती है, लेकिन हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड ने गत 9 जून को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता संघ की मान्यता वापस ले ली और सभी श्रमिक संगठनों से एक-एक सदस्य का नॉमिनेशन मांग लिया.

फिलहाल, मान्यता के लिए श्रमिक संगठनों के बीच चुनाव होने के लिए प्रक्रिया चल रही है, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने अगले चुनाव का परिणाम आने तक याचिकाकर्ता संघ की मान्यता को जारी रखने के आदेश देते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

राष्ट्रीय पक्षी के शिकारियों को जमानत नहीं

राजस्थान हाईकोर्ट ने अलवर के थानागाजी इलाके में 14 मोरों का शिकार करने वाले शिकारियों को जमानत देने से इनकार कर दिया है. यह आदेश न्यायाधीश पंकज भंडारी की एकलपीठ ने आरोपी कैलाश और बोदू की द्वितीय जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिए.

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आरोपियों पर बड़ी संख्या में मोर का शिकार करने का आरोप है. ऐसे में उन्हें जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता. याचिका में कहा गया कि वे निर्दोष है और उन्हें मामले में फंसाया गया है. जांच एजेंसी के पास याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई साक्ष्य भी नहीं है. इसके अलावा मामले में आरोप पत्र भी पेश किया जा चुका है. ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए.

पढ़ें- HC ने कोरोना काल में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की ओर से पूरी फीस वसूलने पर मांगा जवाब

इसका विरोध करते हुए सरकारी वकील शेर सिंह महला ने कहा कि गत 13 अप्रैल को वन विभाग के अधिकारियों ने याचिकाकर्ताओ को मौके से पकड़ कर उनके पास शिकार हुए मोर बरामद किए थे. शिकार के कारण राष्ट्रीय पक्षी की संख्या कम होती जा रही है. यदि आरोपियों को जमानत दी गई तो इससे शिकारियों के हौसले बुलंद होंगे. ऐसे में आरोपियों को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आरोपियों की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है.

मेडिकल पीजी में सेवारत वर्ग में मानते हुए दें स्टडी लीव का लाभ

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और नीट पीजी बोर्ड को कहा है कि वह याचिकाकर्ता चिकित्सकों को सेवारत वर्ग में मानकर स्टडी लीव का लाभ देते हुए मेडिकल पीजी कोर्स के लिए रिलीव करें. न्यायाधीश अशोक गोड की एकलपीठ ने यह आदेश डॉक्टर पूजा माथुर और अन्य की ओर से दायर याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.

याचिका में अधिवक्ता मोहित बलवदा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता स्वास्थ्य विभाग के अधीन कई सालों से मेडिकल ऑफिसर के पद पर काम कर रहे हैं. याचिका में कहा गया कि नीट पीजी बोर्ड ने गत 30 जनवरी को प्री पीजी का परिणाम जारी कर चयनित अभ्यर्थियों को 6 फरवरी तक अनुभव प्रमाण पत्र जमा कराने को कहा गया. बोर्ड की ओर से 14 जुलाई को जारी संशोधित परिणाम में याचिकाकर्ताओं का चयन हो गया, लेकिन बोर्ड की ओर से अनुभव प्रमाण पत्र जमा कराने के संबंध में कोई निर्देश नहीं दिए गए.

वहीं, बाद में जारी मोपअप राउंड की मेरिट लिस्ट में याचिकाकर्ताओं को गैर सेवारत वर्ग में माना गया. जबकि याचिकाकर्ताओं को सेवारत वर्ग में मानते हुए स्टडी लीव का लाभ दिया जाना चाहिए था. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को सेवारत वर्ग में मानते हुए स्टडी लीव का लाभ देकर पीजी कोर्स के लिए रिलीव करने को कहा है.

Last Updated : Sep 5, 2020, 7:47 PM IST
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