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मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से हाड़ौती आएंगे 5 टाइगर, सड़क की बजाय एयरलिफ्ट करके लाने पर भी विचार - TIGER TRANSLOCATION

कोटा और बूंदी में स्थित मुकुंदरा हिल्स और रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में नस्ल सुधार के लिए पांच टाइगर लाए जाएंगे.

हाड़ौती आएंगे 5 टाइगर
हाड़ौती आएंगे 5 टाइगर (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 24, 2024, 9:43 PM IST

कोटा : मुकुंदरा हिल्स और रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में पांच टाइगर और टाइग्रेस लाने की प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) से मंजूरी मिलने के बाद, अब टाइगर ट्रांसलोकेशन की तैयारियां तेज हो गई हैं. अधिकारी पहले कुछ भी कहने से बच रहे थे, लेकिन अब उनका कहना है कि जनवरी महीने में टाइगर को ले जाने की पूरी संभावना है.

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में स्थित पेंच टाइगर रिजर्व और महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में स्थित ताडोबा टाइगर रिजर्व से टाइगरों को लाने पर सहमति बनी है. ये टाइगर सड़क या हवाई मार्ग से कोटा लाए जा सकते हैं. सड़क मार्ग से 700 से 800 किलोमीटर की दूरी तय करने में 15-20 घंटे लग सकते हैं, जबकि हवाई मार्ग से इसे दो घंटे में पूरा किया जा सकता है. टाइगरों को लाने के लिए हवाई मार्ग का उपयोग एक बेहतर विकल्प माना जा रहा है. इसके लिए एयरफोर्स और आर्मी से बात की जा रही है, क्योंकि उनके पास टाइगर ट्रांसपोर्ट के लिए हेलीकॉप्टर उपलब्ध हैं. मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में एक टाइगर और दो टाइग्रेस, जबकि रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में दो टाइग्रेस लाने की योजना है.

टाइगर्स को हवाई मार्ग से लाने पर भी विचार (ETV Bharat Kota)

टाइगर लाने के लिए हवाई मार्ग का फिलहाल हमारे पास ऐसा कोई प्लान और योजना नहीं है, लेकिन काफी दूर दोनों टाइगर रिजर्व है. यह एक बेहतर विकल्प भी हो सकता है. इसीलिए उच्च अधिकारी इस पर विचार कर रहे हैं. - आरके खैरवा, सीसीएफ, कोटा.

इसे भी पढ़ें- नस्ल सुधार के लिए हाड़ौती के दोनों टाइगर रिजर्व में लाए जाएंगे बाघ, लेकिन कब? अधिकारियों को भी नहीं पता

हैलीपेड बनवाने की प्रक्रिया लंबी : हवाई मार्ग से ट्रांसलोकेशन के लिए कुछ चुनौतियां हैं. टाइगर रिजर्व के अंदर हेलीपैड बनाने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है, जिसमें डेढ़ से दो साल लग सकते हैं. हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि समतल क्षेत्र पर हेलीकॉप्टर उतरने की अनुमति मिल सकती है, जिससे टाइगरों को सुरक्षित और तेजी से रिजर्व में लाया जा सकेगा.

टाइगर कैसे लाएं जाएंगे अभी फाइनल भी कुछ भी नहीं है. दोनों अलग-अलग जगह ही उतारे जाएंगे. जहां से टाइगर लेकर आने हैं, दोनों टाइगर रिजर्व कोटा और बूंदी से दूर हैं, इसीलिए हवाई मार्ग पर भी विचार किया जा रहा है. आर्मी या एयरफोर्स से मदद मिले तो हवाई मार्ग से लाया जा सकता है, लेकिन जरूरी नहीं है कि हवाई मार्ग से ही लाया जाए, सड़क मार्ग से भी लाया जा सकता है- संजीव शर्मा, डीसीएफ, आरवीटीआर, बूंदी.

नामीबिया से कुनो हवाई मार्ग से आए थे चीता : इससे पहले मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से चीतों को एयरलिफ्ट कर लाया गया था. चीतों को कार्गो विमान के जरिए जयपुर एयरपोर्ट तक लाया गया और वहां से हेलीकॉप्टर के जरिए कूनो सेंचुरी में छोड़ा गया था. इसी प्रक्रिया को टाइगर ट्रांसलोकेशन के लिए अपनाया जा सकता है. टाइगरों को सुरक्षित और आरामदायक तरीके से लाने के लिए यह कदम महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे यात्रा के दौरान उन्हें होने वाली परेशानियां कम होंगी. नस्ल सुधार और जंगल के इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए यह ट्रांसलोकेशन योजना एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

कोटा : मुकुंदरा हिल्स और रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में पांच टाइगर और टाइग्रेस लाने की प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) से मंजूरी मिलने के बाद, अब टाइगर ट्रांसलोकेशन की तैयारियां तेज हो गई हैं. अधिकारी पहले कुछ भी कहने से बच रहे थे, लेकिन अब उनका कहना है कि जनवरी महीने में टाइगर को ले जाने की पूरी संभावना है.

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में स्थित पेंच टाइगर रिजर्व और महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में स्थित ताडोबा टाइगर रिजर्व से टाइगरों को लाने पर सहमति बनी है. ये टाइगर सड़क या हवाई मार्ग से कोटा लाए जा सकते हैं. सड़क मार्ग से 700 से 800 किलोमीटर की दूरी तय करने में 15-20 घंटे लग सकते हैं, जबकि हवाई मार्ग से इसे दो घंटे में पूरा किया जा सकता है. टाइगरों को लाने के लिए हवाई मार्ग का उपयोग एक बेहतर विकल्प माना जा रहा है. इसके लिए एयरफोर्स और आर्मी से बात की जा रही है, क्योंकि उनके पास टाइगर ट्रांसपोर्ट के लिए हेलीकॉप्टर उपलब्ध हैं. मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में एक टाइगर और दो टाइग्रेस, जबकि रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में दो टाइग्रेस लाने की योजना है.

टाइगर्स को हवाई मार्ग से लाने पर भी विचार (ETV Bharat Kota)

टाइगर लाने के लिए हवाई मार्ग का फिलहाल हमारे पास ऐसा कोई प्लान और योजना नहीं है, लेकिन काफी दूर दोनों टाइगर रिजर्व है. यह एक बेहतर विकल्प भी हो सकता है. इसीलिए उच्च अधिकारी इस पर विचार कर रहे हैं. - आरके खैरवा, सीसीएफ, कोटा.

इसे भी पढ़ें- नस्ल सुधार के लिए हाड़ौती के दोनों टाइगर रिजर्व में लाए जाएंगे बाघ, लेकिन कब? अधिकारियों को भी नहीं पता

हैलीपेड बनवाने की प्रक्रिया लंबी : हवाई मार्ग से ट्रांसलोकेशन के लिए कुछ चुनौतियां हैं. टाइगर रिजर्व के अंदर हेलीपैड बनाने के लिए केंद्र सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है, जिसमें डेढ़ से दो साल लग सकते हैं. हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि समतल क्षेत्र पर हेलीकॉप्टर उतरने की अनुमति मिल सकती है, जिससे टाइगरों को सुरक्षित और तेजी से रिजर्व में लाया जा सकेगा.

टाइगर कैसे लाएं जाएंगे अभी फाइनल भी कुछ भी नहीं है. दोनों अलग-अलग जगह ही उतारे जाएंगे. जहां से टाइगर लेकर आने हैं, दोनों टाइगर रिजर्व कोटा और बूंदी से दूर हैं, इसीलिए हवाई मार्ग पर भी विचार किया जा रहा है. आर्मी या एयरफोर्स से मदद मिले तो हवाई मार्ग से लाया जा सकता है, लेकिन जरूरी नहीं है कि हवाई मार्ग से ही लाया जाए, सड़क मार्ग से भी लाया जा सकता है- संजीव शर्मा, डीसीएफ, आरवीटीआर, बूंदी.

नामीबिया से कुनो हवाई मार्ग से आए थे चीता : इससे पहले मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से चीतों को एयरलिफ्ट कर लाया गया था. चीतों को कार्गो विमान के जरिए जयपुर एयरपोर्ट तक लाया गया और वहां से हेलीकॉप्टर के जरिए कूनो सेंचुरी में छोड़ा गया था. इसी प्रक्रिया को टाइगर ट्रांसलोकेशन के लिए अपनाया जा सकता है. टाइगरों को सुरक्षित और आरामदायक तरीके से लाने के लिए यह कदम महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे यात्रा के दौरान उन्हें होने वाली परेशानियां कम होंगी. नस्ल सुधार और जंगल के इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए यह ट्रांसलोकेशन योजना एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

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