जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने 75 वर्षीय बुजुर्ग की पिछले 24 साल से चली आ रही मेडिक्लेम पॉलिसी बंद करने पर यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के अधिकारियों और आईआरडीए से जवाब मांगा है. इसके साथ ही अदालत ने मेडिक्लेम पॉलिसी बंद करने पर कंपनी के पिछले 28 नवंबर के नोटिस की क्रियान्विति पर भी रोक लगा दी है. न्यायाधीश महेंद्र गोयल ने ये आदेश मोहनलाल गोधा की याचिका पर दिए.
याचिका में कहा गया की याचिकाकर्ता ने साल 1995 को व्यक्तिगत मेडिक्लेम पॉलिसी ली थी और नियमित रूप से उसका नवीनीकरण करवा रहा था. वहीं, कंपनी ने व्यक्तिगत मेडिक्लेम बीमा पॉलिसी बंद करने का हवाला देकर पॉलिसी का साल 2021 तक के लिए नवीनीकरण करने से इनकार कर दिया और इसके स्थान पर व्यक्तिगत हेल्थ इंश्योरेंस या फैमिली पॉलिसी लेने की सलाह दी.
याचिकाकर्ता ने कंपनी की बताया कि दोनों नई पॉलिसियों का अध्ययन किया गया तो पता चला कि नई पॉलिसी में बीमा लाभ कम कर दिए गए हैं और बीमा प्रीमियम भी बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है. व्यक्तिगत मेडिक्लेम पॉलिसी में अस्पताल के कमरे का पूरे किराए का पुनर्भरण मिलता था, जबकि नई बीमा पॉलिसी में रूम का चार्ज कुल बीमा राशि का मात्र 1 फीसदी ही पुनर्भुगतान करने का प्रावधान किया गया.
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याचिका में कहा गया कि कंपनी का व्यक्तिगत मेडिक्लेम बीमा पॉलिसी को बंद करना जनरल इंश्योरेंस राष्ट्रीयकरण कानून के खिलाफ है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट भी तय कर चुका है कि व्यक्तिगत मेडिक्लेम पॉलिसी प्रीमियम राशि चुकाए जाने तक जारी रहेगी. बीमा कंपनी को मनमाने तरीके से ऐसी पॉलिसी का नवीनीकरण करने से इनकार करने का कोई अधिकार नहीं है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने पॉलिसी बंद करने के नोटिस की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.