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आपत्तियों का निस्तारण किए बिना नियुक्तियां देने पर हाई कोर्ट ने मांगा जवाब - राजस्थान समाचार

राजस्थान हाईकोर्ट ने हिंदी विषय की स्कूल व्याख्याता भर्ती-2018 में कोर्स से बाहर के सवाल पूछने और आपत्तियों का निस्तारण और संशोधित उत्तर कुंजी जारी किए बिना अभ्यर्थियों को नियुक्तियां देने पर राज्य सरकार और आरपीएससी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश सुरजन लाल धवन और अन्य की याचिका पर दिए.

राजस्थान हाईकोर्ट, Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Apr 10, 2021, 8:39 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने हिंदी विषय की स्कूल व्याख्याता भर्ती-2018 में कोर्स से बाहर के सवाल पूछने और आपत्तियों का निस्तारण और संशोधित उत्तर कुंजी जारी किए बिना अभ्यर्थियों को नियुक्तियां देने पर राज्य सरकार और आरपीएससी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश सुरजन लाल धवन और अन्य की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा ने अदालत को बताया कि परीक्षा में पूछे गए विवादित प्रश्नों के संबंध में हाईकोर्ट ने पूर्व में आदेश जारी कर आरपीएससी को विशेषज्ञ कमेटी का गठन कर याचिकाकर्ताओं की आपत्तियों का निस्तारण करने को कहा था, इसके बावजूद आरपीएससी की ओर से पूर्व की उत्तर कुंजी और परिणाम में कोई परिवर्तन नहीं किया गया और अभ्यर्थियों को नियुक्तियां दी जा रही हैं.

यह भी पढ़ेंः जोधपुर: चांचलवा गांव में मिला एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर से गिरा बारूद का बैरल

इसके अलावा विवादित प्रश्नों के संबंध में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश आपत्तियों का निस्तारण भी नहीं किया गया और विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट को भी सार्वजनिक नहीं किया गया है. याचिका में यह भी कहा गया कि परीक्षा में कोर्स से बाहर के प्रश्न पूछे गए थे. ऐसे में आयोग की ओर से दी जा रही नियुक्तियां विधि विरूद्ध और अवैध हैं, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

यह भी पढ़ेंः Special: कोरोना डेडिकेटेड आरयूएचएस अस्पताल फिर अलर्ट मोड पर, वापस बुलाए गए हेल्थ वर्कर्स

राजस्थान हाईकोर्ट ने स्कूल व्याख्याता भर्ती-2018 में मल्टीपल डिसएबिलिटी वाले दिव्यांगों को आरक्षण का लाभ नहीं देने पर प्रमुख शिक्षा सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक और आरपीएससी सचिव अन्य से जवाब मांगा है. न्यायाधीश अशोक गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश मोहम्मद शाहिद की याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि दिव्यांग अधिकार अधिनियम के तहत विभिन्न तरह के दिव्यांगों को आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है. वहीं, स्कूल व्याख्याता भर्ती में आरपीएससी की ओर से मल्टीपल डिसएबिलिटी वाले दिव्यांगों को काउन्सलिंग में शामिल नहीं किया गया है, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने हिंदी विषय की स्कूल व्याख्याता भर्ती-2018 में कोर्स से बाहर के सवाल पूछने और आपत्तियों का निस्तारण और संशोधित उत्तर कुंजी जारी किए बिना अभ्यर्थियों को नियुक्तियां देने पर राज्य सरकार और आरपीएससी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश सुरजन लाल धवन और अन्य की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा ने अदालत को बताया कि परीक्षा में पूछे गए विवादित प्रश्नों के संबंध में हाईकोर्ट ने पूर्व में आदेश जारी कर आरपीएससी को विशेषज्ञ कमेटी का गठन कर याचिकाकर्ताओं की आपत्तियों का निस्तारण करने को कहा था, इसके बावजूद आरपीएससी की ओर से पूर्व की उत्तर कुंजी और परिणाम में कोई परिवर्तन नहीं किया गया और अभ्यर्थियों को नियुक्तियां दी जा रही हैं.

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इसके अलावा विवादित प्रश्नों के संबंध में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश आपत्तियों का निस्तारण भी नहीं किया गया और विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट को भी सार्वजनिक नहीं किया गया है. याचिका में यह भी कहा गया कि परीक्षा में कोर्स से बाहर के प्रश्न पूछे गए थे. ऐसे में आयोग की ओर से दी जा रही नियुक्तियां विधि विरूद्ध और अवैध हैं, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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राजस्थान हाईकोर्ट ने स्कूल व्याख्याता भर्ती-2018 में मल्टीपल डिसएबिलिटी वाले दिव्यांगों को आरक्षण का लाभ नहीं देने पर प्रमुख शिक्षा सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक और आरपीएससी सचिव अन्य से जवाब मांगा है. न्यायाधीश अशोक गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश मोहम्मद शाहिद की याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि दिव्यांग अधिकार अधिनियम के तहत विभिन्न तरह के दिव्यांगों को आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है. वहीं, स्कूल व्याख्याता भर्ती में आरपीएससी की ओर से मल्टीपल डिसएबिलिटी वाले दिव्यांगों को काउन्सलिंग में शामिल नहीं किया गया है, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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