जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्रीय वित्त सचिव, सीबीडीटी और प्रमुख आयकर आयुक्त से पूछा है कि बैंक खाते से एक सीमा के बाद नकदी निकासी पर आयकर एक्ट की धारा 194 एन के तहत टीडीएस कटौती करने वाले प्रावधान को क्यों असंवैधानिक घोषित कर दिया जाए. अदालत ने इस संबंध में चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश अभय सिंगला की पीआईएल पर दिए.
पीआईएल में कहा कि केन्द्र सरकार ने आयकर एक्ट की धारा 194 एन में एक सितंबर 2019 को संशोधन करके उसे एक अप्रैल 2020 से लागू किया. नए प्रावधान के तहत यदि कोई व्यक्ति अपने बैंक खाते से एक वित्तीय वर्ष में एक करोड़ रुपए से ज्यादा की नकदी निकालता है तो उस पर दो फीसदी टीडीएस की कटौती की जाएगी. इसके अलावा यदि व्यक्ति लगातार तीन वित्तीय वर्षों में रिटर्न नहीं भरता है और बीस लाख रुपए से एक करोड़ रुपए तक की नकदी राशि की निकासी करता है तो उस पर दो फीसदी टीडीएस कटौती की जाएगी. यदि एक करोड़ रुपए से ज्यादा की नकदी निकाली है तो उस पर पांच फीसदी टीडीएस कटौती होगी.
पीआईएल में कहा कि आयकर अधिनियम का यह प्रावधान असंवैधानिक है, क्योंकि आयकर कानून की धारा 196 के अनुसार आयकर किसी आय पर ही लगाया जा सकता है. ऐसे में अपने खुद के खाते से ही राशि निकालने को आय नहीं माना जा सकता और ना ही इस निकासी राशि पर टीडीएस की कटौती ही की जा सकती है. इसके अलावा इस राशि पर वह पहले ही आयकर दे चुका होता है. इस तरह का प्रावधान करना नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. इसलिए आयकर कानून की धारा 194 एन के इस प्रावधान को असंवैधानिक घोषित कर रद्द किया जाए.