जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आरटी-पीसीआर टेस्ट की दर लागत से कम रखने के मामले में कहा है कि लैब संचालक मामले में गठित कमेटी के समक्ष अपनी आपत्तियां पेश करें. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश शर्मा ने यह आदेश एक दर्जन निजी लैब संचालकों की ओर से दायर याचिका पर दिए.
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने बताया कि मामले में अतिरिक्त स्वास्थ्य शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है. याचिकाकर्ता जांच दरों के संबंध में कमेटी के समक्ष अपना अभ्यावेदन पेश कर सकते हैं.
याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर और अधिवक्ता संदीप पाठक ने बताया कि आरटी-पीसीआर जांच की दर गत वर्ष अप्रैल माह में चार हजार पांच सौ रुपए तय की गई थी. वहीं, समय-समय पर जांच दर कम करते हुए इसे पांच सौ रुपए कर दिया गया.
इस पर याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार के समक्ष प्रार्थना पत्र पेश कर जांच दर बढ़ाने की गुहार की. इसके बावजूद राज्य सरकार ने एक बार फिर मशीनी अंदाज में दर घटाकर सिर्फ तीन सौ पचास रुपए कर दी, जबकि मशीन, प्रशासनिक खर्च और रखरखाव आदि के अलावा हर जांच में कम से कम 620 रुपए की लागत आती है. इसके अलावा दर कम करने से पहले याचिकाकर्ताओं का पक्ष भी नहीं सुना गया.
वहीं, राज्य सरकार की ओर से जवाब में कहा गया कि एक हजार जांच करने में औसत लागत 208 रुपए प्रति जांच आती है. ऐसे में आमजन पर आर्थिक भार ना पड़े और लैब संचालकों के हितों को ध्यान में रखकर ही दर तय की गई है. मामले में हाईकोर्ट ने गत दिनों राज्य सरकार से कमेटी गठित करने को लेकर मंशा जताई थी.