जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है (Important order of Rajasthan High Court on RERA ) कि रेरा अधिकरण और अपीलीय अधिकरण में प्रतिवादी या विपक्षी की ओर से भी उसके वकील, सीए और सीएस पेश होकर पक्ष रख सकते हैं. अदालत ने कहा कि रेरा एक्ट की धारा 56 में प्रतिवादी या विपक्षी को शामिल नहीं मानना गलत है. इसके साथ ही अदालत ने धारा 56 में विपक्षी को भी शामिल कर लिया है.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि दो समान लोगों को समान ही समझा जाना चाहिए. अधिकरण और अपीलीय अधिकरण के समक्ष चाहे परिवादी या अपीलार्थी हो या प्रतिवादी या विपक्षी, दोनों को अपना पक्ष रखने का समान अधिकार है. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश संजय घीया की याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता सिद्धार्थ रांका ने अदालत को बताया कि रेरा अधिनियम की धारा 56 में प्रावधान है कि परिवादी या अपीलार्थी का वकील, सीए और सीएस रेरा अधिकरण और अथॉरिटी के समक्ष पेश हो सकते हैं.
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धारा में प्रतिवादी या विपक्षी के संबंध में कुछ नहीं कहा गया है. ऐसे में प्रतिवादी या विपक्षी के लिए भी परिवादी या अपीलार्थी के समान व्यवस्था होनी चाहिए. मामले के अनुसार सुरेन्द्र चन्द्र जैन ने रेरा अधिकरण में जेडीए के खिलाफ अपील पेश की थी. मामले में जेडीए ने याचिकाकर्ता सीए को पक्ष रखने के लिए नियुक्त किया, लेकिन रेरा ने याचिकाकर्ता से यह कहते हुए दस्तावेज रिकॉर्ड पर लेने से इनकार कर दिया कि धारा 56 के तहत सीए अधिकरण के समक्ष प्रतिवादी का पक्ष नहीं रख सकते हैं.