जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि सीबीटी उत्तीर्ण करे बिना ही मान्यता प्राप्त संस्थान से (sonography without doing CBT) सोनोग्राफी प्रशिक्षण प्राप्त किए हुए चिकित्सक सोनोग्राफी और अल्ट्रासाउंड का कार्य कर सकते हैं. जस्टिस महेन्द्र गोयल ने यह आदेश डॉ. भूपेश दयाल व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि पीसीपीएनडीटी एक्ट के प्रभाव में आने के बाद चिकित्सा विभाग ने एक मार्च 2021 को परिपत्र जारी कर प्रावधान किया. इसमें बताया कि अल्ट्रासाउंड व सोनोग्राफी का छह माह का प्रशिक्षण प्राप्त चिकित्सक सोनोग्राफी केंद्र संचालित करने से पूर्व राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय से सीबीटी परीक्षा उत्तीर्ण करे. अन्यथा सोनोग्राफी संबंधी कोई भी जांच इनकी ओर से नहीं की जाए.
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याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट पूर्व में पीसीपीएनडीटी नियम 2014 के प्रावधानों पर विचार कर यह तय कर चुका है कि जो चिकित्सक विभाग की सहमति से छह माह का सोनोग्राफी प्रशिक्षण मान्यता प्राप्त संस्थान से प्राप्त कर चुका है. उसे सोनोग्राफी का अनुभव हो तो वह बिना सीबीटी उत्तीर्ण किए सोनोग्राफी का काम कर सकते हैं. याचिका में कहा गया कि इन प्रावधानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट दिशा-निर्देश दे चुका है. इसलिए विभाग को निर्देश दिए जाएं कि वह याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई ना करे. याचिका में यह भी कहा गया कि हाईकोर्ट भी डॉ. अनिल चौधरी के मामले में इस संबंध में निर्देश दे चुका है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने कहा है कि बिना सीबीटी किए भी चिकित्सक सोनोग्राफी कर सकते हैं.