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स्वास्थ्य कर्मियों की जांच के लिए अलग से गाइडलाइन बने: राजस्थान हाईकोर्ट - स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना मामले में सुनवाई

स्वास्थ्यकर्मियों में कोरोना संक्रमण के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि इनकी जांच के लिए अलग प्रक्रिया निर्धारित होनी चाहिए. अदालत ने कहा कि इस संबंध में कोई गाइडलाइन बनी हो तो उसे 22 मई को पेश किया जाए और यदि कोई गाइडलाइन नहीं है, तो ICMR या संबंधित प्राधिकारी तत्काल आवश्यक कदम उठाए.

राजस्थान हाईकोर्ट, Rajasthan High Court
स्वास्थ्य कर्मियों की जांच के लिए गाइडलाइन बने
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Published : Apr 29, 2020, 7:52 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वास्थ्यकर्मियों में कोरोना संक्रमण के मामले में कहा है कि इनकी जांच के लिए अलग प्रक्रिया निर्धारित होनी चाहिए. अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार को कहा है कि यदि इस संबंध में कोई गाइडलाइन बनी हो तो उसे 22 मई को पेश किया जाए और यदि कोई गाइडलाइन नहीं है, तो ICMR या संबंधित प्राधिकारी तत्काल आवश्यक कदम उठाए.

मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश रामवीर की याचिका पर दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि स्वास्थ्यकर्मी सबसे आगे खड़े होकर कोरोना महामारी के मरीजों का इलाज कर रहे हैं. ऐसे में जरूरत है कि स्वास्थ्य कर्मियों की रक्षा के लिए अलग से गाइडलाइन बनाकर उनकी जांच की जाए.

पढ़ें- गहलोत सरकार ने प्रदेश में 6 साल बाद फिर लागू की ये टैक्स व्यवस्था

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि चिकित्साकर्मियों में कोरोना संक्रमण और PPE किट को लेकर पूर्व में दिए शपथ पत्र में पूरी जानकारी नहीं आ पाई थी. ऐसे में अदालत को पूरी जानकारी देने के लिए 3 सप्ताह का समय दिया जाए.

याचिका में कहा गया कि प्रदेश में चिकित्साकर्मियों को WHO की ओर से निर्धारित मापदंड के आधार पर PPE किट मुहैया नहीं कराई गई है. जिसके चलते चिकित्साकर्मियों में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. याचिका में जवाब देते हुए पूर्व में राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र पेश कर चिकित्साकर्मियों को तय मानकों के PPE किट देने की बात कही गई थी.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वास्थ्यकर्मियों में कोरोना संक्रमण के मामले में कहा है कि इनकी जांच के लिए अलग प्रक्रिया निर्धारित होनी चाहिए. अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार को कहा है कि यदि इस संबंध में कोई गाइडलाइन बनी हो तो उसे 22 मई को पेश किया जाए और यदि कोई गाइडलाइन नहीं है, तो ICMR या संबंधित प्राधिकारी तत्काल आवश्यक कदम उठाए.

मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश रामवीर की याचिका पर दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि स्वास्थ्यकर्मी सबसे आगे खड़े होकर कोरोना महामारी के मरीजों का इलाज कर रहे हैं. ऐसे में जरूरत है कि स्वास्थ्य कर्मियों की रक्षा के लिए अलग से गाइडलाइन बनाकर उनकी जांच की जाए.

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सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि चिकित्साकर्मियों में कोरोना संक्रमण और PPE किट को लेकर पूर्व में दिए शपथ पत्र में पूरी जानकारी नहीं आ पाई थी. ऐसे में अदालत को पूरी जानकारी देने के लिए 3 सप्ताह का समय दिया जाए.

याचिका में कहा गया कि प्रदेश में चिकित्साकर्मियों को WHO की ओर से निर्धारित मापदंड के आधार पर PPE किट मुहैया नहीं कराई गई है. जिसके चलते चिकित्साकर्मियों में कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ गया है. याचिका में जवाब देते हुए पूर्व में राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र पेश कर चिकित्साकर्मियों को तय मानकों के PPE किट देने की बात कही गई थी.

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