जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सवाई माधोपुर के रणथंभौर नेशनल पार्क व टाइगर रिजर्व में टाइगर के संरक्षण से जुडे़ मामले में राज्य सरकार से पूछा है कि वहां पर खाने-पीने का सामान व प्लास्टिक की बोतल कैसे जा रही हैं?. इन्हें रोकने के लिए वहां पर गार्ड क्यों नहीं लगाए जाते?. वहीं अदालत ने पूछा कि होटल वाले सेंचुरी में सफारी कैसे करा रहे हैं और फुल डे व हाफ डे सेंचुरी की व्यवस्था क्या है?.
अदालत ने मामले में स्पष्टीकरण के लिए शुक्रवार को प्रमुख राजस्व सचिव, सवाई माधोपुर जिला कलेक्टर व एसपी सहित वन विभाग के आला अफसरों को अदालत में हाजिर होने के लिए कहा है. जस्टिस प्रकाश गुप्ता व समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश स्वप्रेरित प्रसंज्ञान व अन्य याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने इन अफसरों से यह भी बताने के लिए कहा है कि उन्होंने पूर्व में दिए गए निर्देशों की क्या पालना की. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को पूर्व में निर्देश दिया था कि वह रणथंभौर व सरिस्का सहित अन्य अभयारण्यों व टाइगरों के संरक्षण के लिए योजना तैयार करें.
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अदालत ने राज्य सरकार को एम्पावर्ड कमेटी की सिफारिशों की पालना कर रिपोर्ट भी पेश करने को कहा था, लेकिन अदालती आदेश का पालन नहीं किया गया. याचिका में कहा था कि एनटीसीए के लिखने के बाद भी टाइगर फोर्स नहीं बनी है और सरिस्का अभयारण्य सहित अन्य जगहों पर टाइगर मर रहे हैं. अभयारण्य के कोर एरिया में अभी भी लोग बसे हुए हैं और अधिकतर गांव वालों के पास हथियार भी हैं. यहां पर टाइगर सहित अन्य जानवरों का शिकार किया जा रहा है. ऐसे में सरिस्का क्षेत्र में शिकारियों पर कार्रवाई की जाए और इसे रोकने के लिए प्रोटेक्शन फोर्स बनाई जाए. क्षेत्र में अवैध खनन व पशुओं की चराई को भी रोका जाए और मामले में लापरवाही बरतने पर मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक के खिलाफ कार्रवाई की जाए. बता दें कि अदालत ने भी सरिस्का और रणभंभौर सहित अन्य रिजर्व को लेकर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया था.