जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि शिक्षकों को पोस्टिंग देने में प्राथमिकता सिर्फ कैंसर और ब्रेन ट्यूमर जैसे असाध्य रोग से पीड़ितों को ही नहीं बल्कि थैलेसीमिया पीड़ितों को भी देनी चाहिए. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को जयपुर शहर में पोस्टिंग देने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश संजय कुमार मीणा की याचिका पर दिए.
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता की वास्तविक नियुक्ति फागी में है, लेकिन उसे बस्सी में नियुक्त किया गया है. वहीं, जयपुर शहर में जो खाली पद हैं वे कैंसर और ब्रेन ट्यूमर की बीमारी से ग्रसित शिक्षकों के लिए हैं. जबकि याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया गया कि वह स्वयं थैलेसीमिया से पीड़ित होने के साथ ही उसका पुत्र दिव्यांग है.
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वहीं, उसे महीने में दो बार अपना खून बदलवाना पड़ा है. ऐसे में उसे जयपुर शहर में नियुक्ति दी जानी चाहिए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने राज्य सरकार को थैलेसीमिया मरीजों को भी पोस्टिंग में प्राथमिकता देते हुए याचिकाकर्ता को शहर में नियुक्ति देने को कहा है.
नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती में मांगा जवाब
राजस्थान हाईकोर्ट ने नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती में अभ्यर्थी का आरएनसी प्रमाण पत्र नहीं मानने पर चिकित्सा सचिव और विभाग के अतिरिक्त निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इसके साथ ही अदालत ने एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने को कहा है. न्यायाधीश अशोक गौड ने यह आदेश ईश्वर सिंह की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने मई 2018 में नर्स ग्रेड द्वितीय के करीब छह हजार पदों पर भर्ती निकाली. याचिकाकर्ता ने राजस्थान नर्सिंग काउंसिल से पूर्व में रजिस्ट्रेशन करवाकर दूसरे राज्य में नर्सिग का काम किया.
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वहीं बाद में आकर अपने रजिस्ट्रेशन का नवीनीकरण कराया. याचिकाकर्ता के भर्ती में कट ऑफ से भी अधिक अंक हैं, लेकिन उसके आरएनसी प्रमाण पत्र को नहीं मानते हुए चयन से वंचित कर दिया. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने को कहा है.