जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे बारां के पूर्व कलक्टर इन्द्रसिंह राव और निलंबित आईपीएस मनीष अग्रवाल की द्वितीय जमानत याचिकाओं पर दोनों पक्षों की बहस सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया है. न्यायाधीश पंकज भंडारी ने यह आदेश आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर दिए.
पूर्व कलक्टर इन्द्रसिंह की ओर से जमानत याचिका में कहा गया कि प्रकरण में अभियोजन स्वीकृति जारी नहीं की गई है, जिसके चलते मुकदमे की ट्रायल में देरी हो रही है, इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए.
जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील शेरसिंह महला ने कहा कि राज्य सरकार ने आईपीसी के आरोप को लेकर गत 18 जून को आरोपी की अभियोजन स्वीकृति जारी कर केन्द्र सरकार को प्रकरण भेजा गया है. इसके तीन माह के भीतर केन्द्र सरकार को स्वीकृति के संबंध में निर्णय करना होता है.
दूसरी ओर मनीष अग्रवाल की ओर से कहा गया कि अभियोजन स्वीकृति के अभाव में निचली अदालत प्रकरण में प्रसंज्ञान नहीं ले सकती. राज्य सरकार की ओर से प्रकरण को केन्द्र सरकार को भेजने से पहले दस्तावेजों का अंग्रेजी अनुवाद कराया जा रहा है.
इस पर अदालत ने कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि अभियोजन स्वीकृति के लिए प्रकरण को अंग्रेजी में भेजा जाए. सरकार के स्तर पर हो रही देरी का खामियाजा आरोपी क्यों भुगते. इसके साथ ही अदालत ने दोनों याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया.
गौरतलब है कि पेट्रोल पंप की एनओसी जारी करने की एवज में अपने पीए के जरिए रिश्वत लेने के मामले में इन्द्रसिंह राव और हाईवे निर्माण कंपनी से काम सुचारू कराने के बदले रिश्वत मांगने के मामले में दौसा के पूर्व एसपी मनीष अग्रवाल जेल में बंद हैं.