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हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत खारिज की, पॉक्सो न्यायाधीश से स्पष्टीकरण मांगने के लिए मामला सीजे को भेजा

रेप के आरोप में पॉक्सो कोर्ट से आरोपी को मिली जमानत को हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है. इसके साथ ही कोर्ट ने पॉक्सो न्यायाधीश से स्पष्टीकरण मांगने के लिए मामला सीजे को भेजा है.

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आरोपी की बेल खारिज
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Published : Jul 27, 2021, 7:22 PM IST

जयपुर. ट्यूशन पढ़ने आने वाली सात साल की पीड़िता से ज्यादती करने वाले 18 वर्षीय ट्यूटर को जांच लंबित रहने के दौरान पॉक्सो कोर्ट की ओर से जमानत दे दी गई. लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने पॉक्सो कोर्ट प्रथम, जयपुर महानगर द्वितीय के पीठासीन अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगने के लिए आदेश की कॉपी सीजे को भेजी है.

न्यायाधीश पंकज भंडारी ने यह आदेश पीड़िता के पिता की ओर से जमानत रद्द करने के लिए दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए हैं. अदालत ने आदेश में कहा कि पॉक्सो कोर्ट ने अपने आदेश में माना कि एफआईआर में गंभीर आरोप हैं और अनुसंधान लंबित है. इसके बावजूद उन्होंने आरोपी को जमानत दे दी. पीड़िता के पिता की ओर से प्रार्थना पत्र में कहा गया कि आरोपी शिक्षक पढ़ाने के दौरान पीड़िता से छेड़खानी करता था. वहीं पॉक्सो कोर्ट ने जांच लंबित रहने के दौरान जमानत दे दी.

पढ़ें: राजस्थान हाई कोर्ट ने टोंक कलेक्टर को अवमानना नोटिस जारी कर मांगा जवाब

ऐसे में आरोपी को मिली जमानत को रद्द किया जाए. इसका विरोध करते हुए आरोपी की ओर से कहा गया कि वह पीड़िता को खुले में अन्य बच्चों के साथ पढ़ाता था. बकाया फीस को लेकर पीड़ित पक्ष से उसका विवाद हो गया था. इसके अलावा पीड़िता के भाई ने अपने बयानों में बालिका का समर्थन नहीं किया है, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आरोपी की जमानत को रद्द करते हुए आदेश की कॉपी सीजे को भेजी है.

जयपुर. ट्यूशन पढ़ने आने वाली सात साल की पीड़िता से ज्यादती करने वाले 18 वर्षीय ट्यूटर को जांच लंबित रहने के दौरान पॉक्सो कोर्ट की ओर से जमानत दे दी गई. लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने पॉक्सो कोर्ट प्रथम, जयपुर महानगर द्वितीय के पीठासीन अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगने के लिए आदेश की कॉपी सीजे को भेजी है.

न्यायाधीश पंकज भंडारी ने यह आदेश पीड़िता के पिता की ओर से जमानत रद्द करने के लिए दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए हैं. अदालत ने आदेश में कहा कि पॉक्सो कोर्ट ने अपने आदेश में माना कि एफआईआर में गंभीर आरोप हैं और अनुसंधान लंबित है. इसके बावजूद उन्होंने आरोपी को जमानत दे दी. पीड़िता के पिता की ओर से प्रार्थना पत्र में कहा गया कि आरोपी शिक्षक पढ़ाने के दौरान पीड़िता से छेड़खानी करता था. वहीं पॉक्सो कोर्ट ने जांच लंबित रहने के दौरान जमानत दे दी.

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ऐसे में आरोपी को मिली जमानत को रद्द किया जाए. इसका विरोध करते हुए आरोपी की ओर से कहा गया कि वह पीड़िता को खुले में अन्य बच्चों के साथ पढ़ाता था. बकाया फीस को लेकर पीड़ित पक्ष से उसका विवाद हो गया था. इसके अलावा पीड़िता के भाई ने अपने बयानों में बालिका का समर्थन नहीं किया है, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने आरोपी की जमानत को रद्द करते हुए आदेश की कॉपी सीजे को भेजी है.

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