जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बीवीजी कंपनी (BVG Case in High Court) के खिलाफ दायर याचिका (petition against BVG) में दखल से इनकार कर दिया है. मामले का निस्तारण करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ता को छूट दी है कि वह चाहे तो एकलपीठ में लंबित बीवीजी कंपनी की याचिका में पक्षकार बन सकते हैं.
न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और न्यायाधीश एमके व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश राजस्थान नगर पालिका कर्मचारी फेडरेशन की जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिए. याचिका में कहा गया कि बीवीजी कंपनी को वर्ष 2017 में शहर की सफाई व्यवस्था का ठेका दिया था. डोर टू डोर कचरा उठाने और सफाई को लेकर कंपनी को एक हजार 670 रुपए मीट्रिक टन के हिसाब से भुगतान करना तय किया गया. जिसे अब बढ़ाकर एक हजार आठ सौ रुपए कर दिया गया है.
याचिका में कहा गया कि ठेका शर्तो के अनुसार कंपनी को कचरा उठाकर डंपिंग यार्ड तक पहुंचाने के साथ-साथ कीटनाशक छिड़काव सहित सफाई से जुडे़ अन्य काम भी करने थे. बीवीजी कंपनी की ओर से निगम के कर्मचारियों और संसाधन को सफाई के काम में लिया जा रहा है. इसके अलावा कंपनी ने शहर के अलग-अलग हिस्सों में अपने स्तर पर सफाई का ठेका अन्य लोगों को करीब 1100 रुपए मीट्रिक टन के हिसाब से दे दिया है. ऐसे में कंपनी का ठेका रद्द कर उससे वसूली की जाए.
वहीं राज्य सरकार की ओर से एएजी अनिल मेहता ने कहा कि राज्य सरकार ने बीवीजी के खिलाफ कार्रवाई की है. हेरिटेज नगर निगम ने उसकी सेवा से हटा दिया है और ग्रेटर निगम ने कंपनी को नोटिस जारी किए हैं. राज्य सरकार कंपनी का ठेका रद्द करना चाहती है, लेकिन एकलपीठ ने कंपनी के पक्ष में स्टे कर रखा है. इस पर अदालत ने याचिका को निस्तारित करते हुए याचिकाकर्ता को एकलपीठ में पक्षकार बनने की छूट दी है.
एकलपीठ में सुनवाई टली
वहीं बीवीजी कंपनी की ओर से एकलपीठ में पेश याचिका पर सुनवाई 6 जनवरी तक टल गई है. एकलपीठ ने गत मई माह में बीवीजी कंपनी पर दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी.