जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने रोडवेज से करीब 10 साल पहले यातायात निरीक्षक के पद से सेवानिवृत्त कर्मचारी को ग्रेच्युटी सहित अन्य परिलाभ नहीं देने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने 12 फरवरी तक ग्रेच्युटी राशि अदा करने को कहा है. ऐसा नहीं होने पर अदालत ने रोडवेज चेयरमैन को पेश होकर स्पष्टीकरण देने को कहा है कि राशि स्वीकृत होने के बाद भी अब तक जारी क्यों नहीं की गई. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश अमरचंद जैन की याचिका पर दिए.
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हनुमान चौधरी और अधिवक्ता तरुण चौधरी ने बताया कि याचिकाकर्ता 31 मार्च 2011 को रोडवेज के यातायात निरीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुआ था. रोडवेज की ओर से याचिकाकर्ता को ग्रेच्युटी सहित अन्य परिलाभ नहीं दिए गए. इस पर याचिकाकर्ता ने वर्ष 2013 में याचिका पेश की थी. याचिका लंबित रहने के दौरान पिछले 12 नवंबर को ग्रेच्युटी राशि स्वीकृत हो गई, लेकिन चीफ मैनेजर राशि जारी नहीं कर रहे हैं.
इस पर रोडवेज की ओर से कहा गया कि चीफ मैनेजर को अदालत में बुलाया जा सकता है. इस पर कोर्ट ने कहा कि यदि रोडवेज के अधिकारी विधिनुसार कार्रवाई नहीं कर रहे हैं और अपनी ड्यूटी के प्रति उदासीनता बरत रहे हैं तो यह कोर्ट का काम नहीं है की वो रोडवेज के काम को व्यवस्थित करें.
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ऐसे में रोडवेज चेयरमैन 12 फरवरी को पेश होकर बताए कि स्वीकृति के बाद भी राशि जारी क्यों नहीं की गई. हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया है की यदि इस बीच ग्रेच्युटी राशि का भुगतान हो जाता है तो चैयरमैन को उपस्थित होने की जरूरत नहीं है.