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नर्सरी की जमीन से अतिक्रमण हटाने के आदेश - rajasthan highcourt jaipur

राजधानी में अजमेर रोड पर स्थित अवाप्तशुदा जमीन पर नर्सरी के बजाए व्यावसायिक गतिविधियां संचालन करने के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने जेडीए को अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए हैं. यह आदेश न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश महेन्द्र गोयल की खंडपीठ ने राजेश बागड़ा की जनहित याचिका पर दिए.

Rajasthan High Court ordered to remove encroachment from nursery land, Rajasthan High Court ordered to remove encroachment, Rajasthan High Court jaipur  ordered, राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर ने दिया अतिक्रमण हटाने का आदेश
राजस्थान हाईकोर्ट भवन
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Published : Jan 16, 2020, 8:34 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर रोड स्थित अवाप्तशुदा जमीन पर नर्सरी के बजाए व्यावसायिक गतिविधियां संचालन करने के मामले में जेडीए को अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि नर्सरी की जमीन का दूसरा उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश महेन्द्र गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश राजेश बागड़ा की जनहित याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता भरत व्यास ने अदालत को बताया कि अजमेर रोड-किंग्स रोड कॉर्नर की जमीन को कई सालों पहले यूआईटी एक्ट के तहत व्यावसायिक और औद्योगिक उपयोग के लिए अवाप्त किया गया था. अवाप्ति के खिलाफ दायर याचिका भी हाईकोर्ट खारिज कर चुका है. वहीं मास्टर प्लान 2011 और 2025 में इस भूमि का उपयोग नर्सरी के लिए आरक्षित होना दर्शाया गया है.

इसके बावजूद इस अवाप्तशुदा जमीन को जेडीए के अधिकारियों की मिलीभगत से कई लोग व्यावसायिक गतिविधियों, रेस्तरां और मार्बल बिक्री आदि का संचालन कर रहे हैं. मिलीभगत कर जेवीवीएनएल से बिजली कनेक्शन भी लिया जा चुका है. जब इसकी शिकायत दर्ज कराई गई तो अफसरों ने कार्रवाई के बजाए जमीन को अवाप्ति से मुक्त करने की तैयारी कर ली. सुनवाई के दौरान जेडीए की ओर से जवाब पेश करने के लिए समय मांगा गया. इस पर अदालत ने जेडीए को यहां से अतिक्रमण हटाने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर रोड स्थित अवाप्तशुदा जमीन पर नर्सरी के बजाए व्यावसायिक गतिविधियां संचालन करने के मामले में जेडीए को अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि नर्सरी की जमीन का दूसरा उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश महेन्द्र गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश राजेश बागड़ा की जनहित याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता भरत व्यास ने अदालत को बताया कि अजमेर रोड-किंग्स रोड कॉर्नर की जमीन को कई सालों पहले यूआईटी एक्ट के तहत व्यावसायिक और औद्योगिक उपयोग के लिए अवाप्त किया गया था. अवाप्ति के खिलाफ दायर याचिका भी हाईकोर्ट खारिज कर चुका है. वहीं मास्टर प्लान 2011 और 2025 में इस भूमि का उपयोग नर्सरी के लिए आरक्षित होना दर्शाया गया है.

इसके बावजूद इस अवाप्तशुदा जमीन को जेडीए के अधिकारियों की मिलीभगत से कई लोग व्यावसायिक गतिविधियों, रेस्तरां और मार्बल बिक्री आदि का संचालन कर रहे हैं. मिलीभगत कर जेवीवीएनएल से बिजली कनेक्शन भी लिया जा चुका है. जब इसकी शिकायत दर्ज कराई गई तो अफसरों ने कार्रवाई के बजाए जमीन को अवाप्ति से मुक्त करने की तैयारी कर ली. सुनवाई के दौरान जेडीए की ओर से जवाब पेश करने के लिए समय मांगा गया. इस पर अदालत ने जेडीए को यहां से अतिक्रमण हटाने को कहा है.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर रोड स्थित अवाप्तशुदा जमीन पर नर्सरी के बजाए व्यावसायिक गतिविधियां संचालन करने के मामले में जेडीए को अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए हैं। अदालत ने कहा कि नर्सरी की जमीन का दूसरा उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश महेन्द्र गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश राजेश बागड़ा की जनहित याचिका पर दिए।Body:याचिका में अधिवक्ता भरत व्यास ने अदालत को बताया कि अजमेर रोड- किग्स रोड कॉर्नर की जमीन को कई सालों पहले यूआईटी एक्ट के तहत व्यावसायिक और औद्योगिक उपयोग के लिए अवाप्त किया गया था। अवाप्ति के खिलाफ दायर याचिका भी हाईकोर्ट खारिज कर चुका है। वहीं मास्टर प्लान 2011 और 2025 में इस भूमि का उपयोग नर्सरी के लिए आरक्षित होना दर्शाया गया है। इसके बावजूद इस अवाप्तशुदा जमीन जेडीए के अधिकारियों की मिलीभगत से कई लोग व्यावसायिक गतिविधियों, रेस्तरां और मार्बल बिक्री आदि का संचालन कर रहे हैं। मिलीभगत कर जेवीवीएनएल से बिजली कनेक्शन भी लिया जा चुका है। जब इसकी शिकायत दर्ज कराई गई तो अफसरों ने कार्रवाई के बजाए जमीन को अवाप्ति से मुक्त करने की तैयारी कर ली। सुनवाई के दौरान जेडीए की ओर से जवाब पेश करने के लिए समय मांगा गया। इस पर अदालत ने जेडीए को यहां से अतिक्रमण हटाने को कहा है।Conclusion:
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