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Rajasthan High Court Order : सीआईडी-सीबी में एमएलए और एमपी के लंबित केसों की सूची पेश करने के लिए दिया समय - Jaipur Latest News

राजस्थान हाईकोर्ट ने सीआईडी-सीबी में विधायकों और सांसदों के लंबित (Rajasthan High Court Order) मुकदमों की सूची पेश करने के लिए पांच जुलाई तक का समय दिया है. जस्टिस नरेन्द्र सिंह ने यह आदेश सुरेश चन्द्र शर्मा की याचिका पर दिए.

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Published : May 6, 2022, 9:20 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सीआईडी-सीबी में एमएलए और एमपी के लंबित केसों की सूची पेश करने के लिए समय दिया है. शुक्रवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि अदालत ने मामले में सुनवाई करते हुए जनवरी, 2018 में राज्य सरकार से सीआईडी-सीबी में लंबित जनप्रतिनिधियों के लंबित मुकदमों की सूची मांगी थी. लेकिन अभी तक सूची पेश नहीं की गई है. इस पर अदालत ने राज्य सरकार को पांच जुलाई तक का समय दिया है.

जनवरी 2018 में पेश इस याचिका में कहा गया कि उसने वर्ष 2014 में अस्पताल को भूमि आवंटन को लेकर गांधीनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जिसमें दो जनप्रतिनिधि शामिल थे. पुलिस ने मामले में विधायक के खिलाफ आरोप होने का हवाला देते हुए जांच के लिए सीआईडी सीबी में भेज दी. याचिका में कहा गया कि राजस्थान पुलिस नियम और सीआरपीसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि जनप्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज मामलों को जांच के लिए सीआईडी सीबी को भेजा जाएगा.

पढ़ें : Rajasthan High Court order: आदेश के बावजूद रिहाई का प्रार्थना पत्र तय नहीं, गृह सचिव और जेल अधीक्षक को किया तलब

पुलिस नियम 2.21 में प्रावधान है कि पुलिस अंतरराज्यीय मामलों और महिलाओं के खिलाफ संगठित अपराधों सहित (Rajasthan High Court on CID CB Pending Cases) अन्य गंभीर मामलों में सीआईडी-सीबी की सहायता ले सकती है. लेकिन पुलिस जनप्रतिनिधियों को बचाने के लिए मामलों को सीआईडी-सीबी में भेज देती हैं. जहां प्रकरण में कोई जांच नहीं की जाती.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सीआईडी-सीबी में एमएलए और एमपी के लंबित केसों की सूची पेश करने के लिए समय दिया है. शुक्रवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि अदालत ने मामले में सुनवाई करते हुए जनवरी, 2018 में राज्य सरकार से सीआईडी-सीबी में लंबित जनप्रतिनिधियों के लंबित मुकदमों की सूची मांगी थी. लेकिन अभी तक सूची पेश नहीं की गई है. इस पर अदालत ने राज्य सरकार को पांच जुलाई तक का समय दिया है.

जनवरी 2018 में पेश इस याचिका में कहा गया कि उसने वर्ष 2014 में अस्पताल को भूमि आवंटन को लेकर गांधीनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जिसमें दो जनप्रतिनिधि शामिल थे. पुलिस ने मामले में विधायक के खिलाफ आरोप होने का हवाला देते हुए जांच के लिए सीआईडी सीबी में भेज दी. याचिका में कहा गया कि राजस्थान पुलिस नियम और सीआरपीसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि जनप्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज मामलों को जांच के लिए सीआईडी सीबी को भेजा जाएगा.

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पुलिस नियम 2.21 में प्रावधान है कि पुलिस अंतरराज्यीय मामलों और महिलाओं के खिलाफ संगठित अपराधों सहित (Rajasthan High Court on CID CB Pending Cases) अन्य गंभीर मामलों में सीआईडी-सीबी की सहायता ले सकती है. लेकिन पुलिस जनप्रतिनिधियों को बचाने के लिए मामलों को सीआईडी-सीबी में भेज देती हैं. जहां प्रकरण में कोई जांच नहीं की जाती.

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