ETV Bharat / city

साक्ष्य छिपाकर सरकार से दोहरा लाभ लेने के लिए याचिका दायर करना धोखाधड़ी- हाईकोर्ट - Jaipur latest news

राजस्थान हाईकोर्ट ने जमीन अवाप्ति से जुड़े मामले (High court order on land acquisition matters) को गंभीर अपराध के दायरे में माना है. हाईकोर्ट का कहना है कि साक्ष्य छिपाकर सरकार से दोहरा लाभ लेने के लिए याचिका दायर करना धोखाधड़ी और गंभीर अपराध है.

High court order on land acquisition matters
High court order on land acquisition matters
author img

By

Published : Jan 29, 2022, 9:11 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जमीन अवाप्ति से जुड़े मामले (High court order on land acquisition matters) में कहा है कि साक्ष्य छिपाकर राज्य सरकार से दोहरा लाभ प्राप्त करने के लिए याचिका दायर करना भी धोखाधड़ी व गंभीर अपराध है. इसके साथ ही अदालत ने जवाहर सर्किल के पास चैनपुरा गांव में जेडीए की ओर से 1975 में सिद्धार्थ नगर के लिए की जमीन अवाप्ति को 29 साल बाद चुनौती देने के मामले में एकलपीठ का 2 दिसंबर 2021 का आदेश बहाल रखा है.

सीजे अकील कुरेशी और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश सवाई गैटोर निवासी भंवर की अपील को खारिज करते हुए दिए. अपील में एकलपीठ के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें एकलपीठ ने जमीन अवाप्ति के बदले 15 फीसदी विकसित जमीन देने से इंकार करते हुए 2004 से चल रहे यथास्थिति वाले आदेश को भी हटा दिया था.

पढ़ें. Rajasthan High Court: उर्दू में एडिशनल बीए वाले अभ्यर्थी को शिक्षक भर्ती में शामिल नहीं करने पर मांगा जवाब

खंडपीठ ने कहा कि मामले में अपीलार्थी ने याचिका में साक्ष्य छिपाया है और वह राज्य सरकार से दोहरा लाभ लेने के लिए मुआवजे का क्लेम नहीं कर सकता. अपीलार्थी का ने कहा था कि जेडीए ने उसकी जमीन अवाप्त की है और इसके बदले उसे जेडीए से 15 फीसदी विकसित जमीन दिलवाई जाए. जवाब में जेडीए की ओर से कहा गया कि जमीन अवाप्ति विधिनुसार हुई थी और जेडीए ने जमीन अवाप्ति के बाद 1982 में उसका कब्जा लेकर सिविल कोर्ट में 1999 में मुआवजा भी जमा करा दिया है.

वहीं मामले में निजी पक्षकार राधेश्याम और श्रवण लाल के अधिवक्ता अधिवक्ता प्रहलाद शर्मा ने कहा कि उन्होंने गृह निर्माण सहकारी समिति के जरिए आवासीय स्कीम में भूखंड खरीदे थे और अपीलार्थी के पिता ने सोसायटी से भी जमीन के बदले राशि प्राप्त की है. अपीलार्थी ने जमीन की राशि चेक के जरिए ली है और मामले में कई बार ट्राजैक्शन हुआ है.

ऐसे में उसका यह कहना गलत है कि वह एसटी जाति का है, इसलिए उसके व अन्य परिवारजनों के ट्रांजैक्शन अवैध हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने अपील को साक्ष्य छिपाकर दायर करने व राज्य सरकार से धोखाधड़ी करना मानते हुए खारिज कर दिया.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जमीन अवाप्ति से जुड़े मामले (High court order on land acquisition matters) में कहा है कि साक्ष्य छिपाकर राज्य सरकार से दोहरा लाभ प्राप्त करने के लिए याचिका दायर करना भी धोखाधड़ी व गंभीर अपराध है. इसके साथ ही अदालत ने जवाहर सर्किल के पास चैनपुरा गांव में जेडीए की ओर से 1975 में सिद्धार्थ नगर के लिए की जमीन अवाप्ति को 29 साल बाद चुनौती देने के मामले में एकलपीठ का 2 दिसंबर 2021 का आदेश बहाल रखा है.

सीजे अकील कुरेशी और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश सवाई गैटोर निवासी भंवर की अपील को खारिज करते हुए दिए. अपील में एकलपीठ के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें एकलपीठ ने जमीन अवाप्ति के बदले 15 फीसदी विकसित जमीन देने से इंकार करते हुए 2004 से चल रहे यथास्थिति वाले आदेश को भी हटा दिया था.

पढ़ें. Rajasthan High Court: उर्दू में एडिशनल बीए वाले अभ्यर्थी को शिक्षक भर्ती में शामिल नहीं करने पर मांगा जवाब

खंडपीठ ने कहा कि मामले में अपीलार्थी ने याचिका में साक्ष्य छिपाया है और वह राज्य सरकार से दोहरा लाभ लेने के लिए मुआवजे का क्लेम नहीं कर सकता. अपीलार्थी का ने कहा था कि जेडीए ने उसकी जमीन अवाप्त की है और इसके बदले उसे जेडीए से 15 फीसदी विकसित जमीन दिलवाई जाए. जवाब में जेडीए की ओर से कहा गया कि जमीन अवाप्ति विधिनुसार हुई थी और जेडीए ने जमीन अवाप्ति के बाद 1982 में उसका कब्जा लेकर सिविल कोर्ट में 1999 में मुआवजा भी जमा करा दिया है.

वहीं मामले में निजी पक्षकार राधेश्याम और श्रवण लाल के अधिवक्ता अधिवक्ता प्रहलाद शर्मा ने कहा कि उन्होंने गृह निर्माण सहकारी समिति के जरिए आवासीय स्कीम में भूखंड खरीदे थे और अपीलार्थी के पिता ने सोसायटी से भी जमीन के बदले राशि प्राप्त की है. अपीलार्थी ने जमीन की राशि चेक के जरिए ली है और मामले में कई बार ट्राजैक्शन हुआ है.

ऐसे में उसका यह कहना गलत है कि वह एसटी जाति का है, इसलिए उसके व अन्य परिवारजनों के ट्रांजैक्शन अवैध हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने अपील को साक्ष्य छिपाकर दायर करने व राज्य सरकार से धोखाधड़ी करना मानते हुए खारिज कर दिया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.