जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग की ओर से अदालत में झूठी व गलत जानकारी देने को गंभीर मानते हुए गृह सचिव और डीजीपी को 5 अगस्त को हाजिर होने के आदेश दिए (Court on wrong information by Police) हैं. अदालत ने दोनों अधिकारियों को रिपोर्ट पेश कर बताने को कहा है कि पुलिस विभाग के इस रवैये को दूर करने के लिए क्या विभागीय कार्रवाई की गई और इसका क्या एक्शन प्लान है.
जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश गांजा तस्करी के मामले में आरोपी लूशी की अग्रिम जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि बार-बार देखा जाता है कि पुलिस कोर्ट में झूठी, गलत और पुरानी जानकारी दे रही है. इससे न्याय की प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित हो रही है. ऐसा होना गंभीर व व्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ खिलवाड़ और संवैधानिक अधिकारों का हनन है. याचिका में कहा गया कि अजमेर के दरगाह थाना पुलिस ने गांजा तस्करी के मामले में याचिकाकर्ता का नाम एफआईआर में होने पर भी उसे आरोपी बनाया. वहीं कोर्ट में उसके खिलाफ गलत जानकारी देकर चार केस लंबित होना बताया, जबकि उसके खिलाफ दो केस ही लंबित हैं और वह दो केसों में बरी हो गया है.
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अदालती आदेश की पालना में अजमेर एसपी चूनाराम जाट ने पेश होकर माना कि पुलिस विभाग से गलती हुई है और जांच रिपोर्ट बनाने वाले पुलिसकर्मी को चार्जशीट दे दी गई (Charge sheet to policeman in wrong information) है. वहीं सरकारी वकील शेरसिंह महला ने कहा कि कोर्ट से बरी होने के बाद इसकी सूचना जेल प्रशासन को मिलती है, लेकिन संबंधित थाने में इसकी सूचना पहुंचने की कोई व्यवस्था नहीं है. संबंधित व्यक्ति ही थाने में अपने बरी होने के बारे में जानकारी देता है. इसलिए जो रिपोर्ट पुलिस देती है, उसे कोर्ट में पेश किया जाता है. इस पर अदालत ने गृह सचिव और डीजीपी को पेश होकर जानकारी देने को कहा है.