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जेल में संक्रमण के मामले में बार एसोसिएशन को इंटरवीनर बनाया

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Published : May 28, 2020, 7:03 PM IST

जेल में बंदियों के कोरोना संक्रमित होने के मामले में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान में राजस्थान हाईकोर्ट ने बार एसोसिएशन को इंटरवीनर बना लिया गया है. वहीं इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट 1 जून को सुनवाई करेगी.

जेल में संक्रमण का मामला, Prison infection case
बार एसोसिएशन को बनाया इंटरवीनर

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जेल में बंदियों के कोरोना संक्रमित होने के मामले में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान में राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को इंटरवीनर बना लिया है. इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 1 जून को तय की है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा ने यह आदेश के मामले में लिए गए स्व प्रेरित प्रसंज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

एसोसिएशन की ओर से पेश प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि जेलों में बंदियों को पैरोल में अंतरिम जमानत देने और भीड़भाड़ कम करने के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय की ओर से दिए दिशा-निर्देशों की सही तरीके से पालन नहीं हो रही है. प्रदेश की जेलों में बंदियों के बीच ना तो सोशल डिस्टेंसिंग रखी जा रही है और ना ही जेल परिसर को हाइजीन रखा जा रहा है. यह बंदियों के आधारभूत अधिकारों का उल्लंघन भी है.

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि अदालती आदेश के पालन में प्रदेश में भी उच्च स्तरीय कमेटी बनाई और उन्हें गाइडलाइन दी गई. लेकिन यह गाइडलाइन ना तो राज्य सरकार की वेबसाइट पर है और ना ही राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की वेबसाइट पर मौजूद है.

पढ़ेंः बांसवाड़ा: गैंगरेप में इस्तेमाल की गई थी लूट की बाइक, अब पुलिस की नजर मोबाइल कॉल डिटेल्स पर

बंदियों को विशेष पैरोल पर छोड़ने के लिए नियमों में संशोधन कर विशेष प्रावधान बनाया गया है, लेकिन 13 अप्रैल के आदेश से केवल 148 बंदियों को ही विशेष पैरोल दी गई है. ऐसे में बार एसोसिएशन के पक्ष को भी सुना जाए. जिसपर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने एसोसिएशन के प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जेल में बंदियों के कोरोना संक्रमित होने के मामले में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान में राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को इंटरवीनर बना लिया है. इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 1 जून को तय की है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा ने यह आदेश के मामले में लिए गए स्व प्रेरित प्रसंज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

एसोसिएशन की ओर से पेश प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि जेलों में बंदियों को पैरोल में अंतरिम जमानत देने और भीड़भाड़ कम करने के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय की ओर से दिए दिशा-निर्देशों की सही तरीके से पालन नहीं हो रही है. प्रदेश की जेलों में बंदियों के बीच ना तो सोशल डिस्टेंसिंग रखी जा रही है और ना ही जेल परिसर को हाइजीन रखा जा रहा है. यह बंदियों के आधारभूत अधिकारों का उल्लंघन भी है.

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि अदालती आदेश के पालन में प्रदेश में भी उच्च स्तरीय कमेटी बनाई और उन्हें गाइडलाइन दी गई. लेकिन यह गाइडलाइन ना तो राज्य सरकार की वेबसाइट पर है और ना ही राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की वेबसाइट पर मौजूद है.

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बंदियों को विशेष पैरोल पर छोड़ने के लिए नियमों में संशोधन कर विशेष प्रावधान बनाया गया है, लेकिन 13 अप्रैल के आदेश से केवल 148 बंदियों को ही विशेष पैरोल दी गई है. ऐसे में बार एसोसिएशन के पक्ष को भी सुना जाए. जिसपर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने एसोसिएशन के प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया है.

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