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राजस्थान हाईकोर्ट ने विद्यार्थियों से 2 गुना फीस लेने के मामले में अधिकारियों को जारी किया नोटिस

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Published : Jun 5, 2020, 6:50 PM IST

पशु चिकित्सा विज्ञान और पशुपालन के प्रोफेशनल कोर्स के चौथे साल में अध्ययनरत विद्यार्थियों से 2 गुना फीस लिया जा रहा है. ऐसे में राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मामले में संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

विद्यार्थियों से दोगुना फीस लेने के मामला, Case of double fees from students
राजस्थान हाईकोर्ट ने अधिकारियों को जारी की नोटिस

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में पशु चिकित्सा विज्ञान और पशुपालन के प्रोफेशनल कोर्स के चौथे साल में अध्ययनरत विद्यार्थियों से 2 गुना फीस लेने के मामले में पशुपालन सचिव, पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार सहित पशुपालन कॉलेज बीकानेर और जयपुर के डीन को नोटिस जारी किया गया है. न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश सुरेंद्र कुमार लांबा की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता एसएन कुमावत ने अदालत को बताया कि वर्ष 2016 तक पशु चिकित्सा विज्ञान और पशुपालन के प्रोफेशनल कोर्स की अवधि 5 साल 6 माह होती थी. जिसमें पेमेंट सीट के तौर पर सालाना 2 लाख रुपए फीस थी. वहीं वर्ष 2016 में इसकी अवधि घटाकर 4 साल 6 माह कर दी गई.

पढ़ेंः हद है! झालावाड़ में बिना सैंपल लिए ही 3 युवकों की Corona रिपोर्ट आई Negative

याचिका में कहा गया कि वर्तमान में कोर्स के चौथे साल में पढ़ रहे विद्यार्थियों से कॉलेज प्रशासन दो लाख की जगह 4 लाख रुपए फीस वसूल रहे हैं. जबकि इसके लिए किसी तरह की फीस नियामक कमेटी का भी गठन नहीं किया गया है. वहीं यह सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के विपरीत है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में पशु चिकित्सा विज्ञान और पशुपालन के प्रोफेशनल कोर्स के चौथे साल में अध्ययनरत विद्यार्थियों से 2 गुना फीस लेने के मामले में पशुपालन सचिव, पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार सहित पशुपालन कॉलेज बीकानेर और जयपुर के डीन को नोटिस जारी किया गया है. न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश सुरेंद्र कुमार लांबा की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता एसएन कुमावत ने अदालत को बताया कि वर्ष 2016 तक पशु चिकित्सा विज्ञान और पशुपालन के प्रोफेशनल कोर्स की अवधि 5 साल 6 माह होती थी. जिसमें पेमेंट सीट के तौर पर सालाना 2 लाख रुपए फीस थी. वहीं वर्ष 2016 में इसकी अवधि घटाकर 4 साल 6 माह कर दी गई.

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याचिका में कहा गया कि वर्तमान में कोर्स के चौथे साल में पढ़ रहे विद्यार्थियों से कॉलेज प्रशासन दो लाख की जगह 4 लाख रुपए फीस वसूल रहे हैं. जबकि इसके लिए किसी तरह की फीस नियामक कमेटी का भी गठन नहीं किया गया है. वहीं यह सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के विपरीत है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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