ETV Bharat / city

मोर का संरक्षण नहीं करने पर हाईकोर्ट ने जारी किए नोटिस - मोरों की मौत

राजस्थान हाईकोर्ट ने कोटा की आईएल इंडस्ट्रीज की जमीन पर मौजूद मोरों का संरक्षण नहीं कर शर्तों के विपरीत जाकर जमीन को नीलाम करने पर पर्यावरण मंत्रालय, मुख्य सचिव, प्रमुख पर्यावरण सचिव, मुख्य नगर नियोजक, प्रमुख वन सचिव और यूआईटी कोटा सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

protection of peacocks, death of peacocks in Rajasthan
मोर का संरक्षण नहीं करने पर हाईकोर्ट ने जारी किए नोटिस
author img

By

Published : Jan 19, 2021, 7:50 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कोटा की आईएल इंडस्ट्रीज की जमीन पर मौजूद मोरों का संरक्षण नहीं कर शर्तों के विपरीत जाकर जमीन को नीलाम करने पर पर्यावरण मंत्रालय, मुख्य सचिव, प्रमुख पर्यावरण सचिव, मुख्य नगर नियोजक, प्रमुख वन सचिव और यूआईटी कोटा सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश मनोज व्यास ने यह आदेश कपूर चंद जैन की जनहित याचिका पर दिए.

मोर का संरक्षण नहीं करने पर हाईकोर्ट ने जारी किए नोटिस

याचिका में अधिवक्ता कलीम अहमद और गीतेश जोशी ने बताया कि आईएल इंडस्ट्रीज की जमीन को 5 अक्टूबर 2010 को यूआईटी, कोटा को देते हुए करीब 128 एकड़ जमीन में ऑक्सीजोन व 53 एकड़ जमीन अन्य उपयोग में लेने का प्रावधान किया गया था. इस संबंध में राज्य स्तरीय कमेटी ने 53 एकड़ जमीन पर रह रहे मोरों को ऑक्सीजोन में शिफ्ट कर संरक्षण करने पर ही भू-उपयोग की सिफारिश की थी. वहीं टाउन प्लानर ने 6 दिसंबर 2019 को अवैध रूप से इसमें संशोधन कर मोरों को मौजूदा जगह पर ही संरक्षित कर भू उपयोग की सिफारिश कर दी.

पढ़ें- मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने की वर्चुअली मीटिंग, कहा-लम्बित कार्यों को दें सर्वोच्च प्राथमिकता

याचिका में कहा गया कि यूआईटी ने गत 8 अक्टूबर को इस जमीन को नीलाम कर दिया, जबकि मोरों के संरक्षण को लेकर कोई कार्य नहीं किया गया है. मुख्य वन संरक्षक मुकंदरा ने अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक को पत्र लिखकर भूमि का अन्य उपयोग करने पर मोरों का संरक्षण करना असंभव बताया था. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कोटा की आईएल इंडस्ट्रीज की जमीन पर मौजूद मोरों का संरक्षण नहीं कर शर्तों के विपरीत जाकर जमीन को नीलाम करने पर पर्यावरण मंत्रालय, मुख्य सचिव, प्रमुख पर्यावरण सचिव, मुख्य नगर नियोजक, प्रमुख वन सचिव और यूआईटी कोटा सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश मनोज व्यास ने यह आदेश कपूर चंद जैन की जनहित याचिका पर दिए.

मोर का संरक्षण नहीं करने पर हाईकोर्ट ने जारी किए नोटिस

याचिका में अधिवक्ता कलीम अहमद और गीतेश जोशी ने बताया कि आईएल इंडस्ट्रीज की जमीन को 5 अक्टूबर 2010 को यूआईटी, कोटा को देते हुए करीब 128 एकड़ जमीन में ऑक्सीजोन व 53 एकड़ जमीन अन्य उपयोग में लेने का प्रावधान किया गया था. इस संबंध में राज्य स्तरीय कमेटी ने 53 एकड़ जमीन पर रह रहे मोरों को ऑक्सीजोन में शिफ्ट कर संरक्षण करने पर ही भू-उपयोग की सिफारिश की थी. वहीं टाउन प्लानर ने 6 दिसंबर 2019 को अवैध रूप से इसमें संशोधन कर मोरों को मौजूदा जगह पर ही संरक्षित कर भू उपयोग की सिफारिश कर दी.

पढ़ें- मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने की वर्चुअली मीटिंग, कहा-लम्बित कार्यों को दें सर्वोच्च प्राथमिकता

याचिका में कहा गया कि यूआईटी ने गत 8 अक्टूबर को इस जमीन को नीलाम कर दिया, जबकि मोरों के संरक्षण को लेकर कोई कार्य नहीं किया गया है. मुख्य वन संरक्षक मुकंदरा ने अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक को पत्र लिखकर भूमि का अन्य उपयोग करने पर मोरों का संरक्षण करना असंभव बताया था. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.