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बाईजी के मंदिर का कब्जा ले सकती है सरकार : हाईकोर्ट

बडी चौपड़ स्थित बाईजी का मंदिर (लक्ष्मीनारायण मंदिर) विवाद पर राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि वह चाहे तो अदालती आदेश की पालना में मंदिर को कब्जा ले सकती है. इसके लिए जरुरत पड़ने पर पुलिस की मदद भी ली जा सकती है.

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Published : Aug 21, 2019, 8:40 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि वह चाहे तो अदालती आदेश की पालना में बडी चौपड स्थित बाईजी का मंदिर (लक्ष्मीनारायण मंदिर) का कब्जा ले सकती है. इसके लिए जरुरत पड़ने पर पुलिस की मदद भी ली जा सकती है. न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की एकलपीठ ने यह आदेश देवस्थान विभाग की ओर से दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए.

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि हाईकोर्ट ने दो माह में कब्जाधारियों को मंदिर का कब्जा सौंपने के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट भी कब्जाधारियों की याचिका खारिज कर चुका है. ऐसे में मंदिर का कब्जा दिलाया जाए.

पढ़ें: पहलू खान मॉब लिंचिंग मामला: गुत्थी सुलझाने घटना स्थल पहुंची SIT टीम

याचिका से जुडे वकीलों के अनुसार राज्य सरकार ने वर्ष 1955 में मंदिर का प्रबंध बंशीधर को सौंपा था. बंशीधर ने वर्ष 1961 में मंदिर को अपने पूर्वजों का बताकर दावा कर दिया. जिसे निचली अदालत ने 27 जुलाई 1977 को खारिज कर दिया. इसके खिलाफ बंशीधर के वारिसों ने हाईकोर्ट में अपील की. एकलपीठ ने 19 नवंबर 1997 को अधीनस्थ अदालत के आदेश पर रोक लगा दी और मंदिर का मालिकाना हक वारिसों को सौंप दिया. वहीं राज्य सरकार की अपील पर खंडपीठ ने तीन फरवरी 2017 को एकलपीठ के आदेश को रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की ओर से कब्जाधारियों पर लगाई एक लाख रुपए के हर्जाने को हटाते हुए दावा खारिज माना था. मंदिर का कब्जा नहीं सौंपने पर विभाग की ओर से हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश किया गया था.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि वह चाहे तो अदालती आदेश की पालना में बडी चौपड स्थित बाईजी का मंदिर (लक्ष्मीनारायण मंदिर) का कब्जा ले सकती है. इसके लिए जरुरत पड़ने पर पुलिस की मदद भी ली जा सकती है. न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की एकलपीठ ने यह आदेश देवस्थान विभाग की ओर से दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए.

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि हाईकोर्ट ने दो माह में कब्जाधारियों को मंदिर का कब्जा सौंपने के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट भी कब्जाधारियों की याचिका खारिज कर चुका है. ऐसे में मंदिर का कब्जा दिलाया जाए.

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याचिका से जुडे वकीलों के अनुसार राज्य सरकार ने वर्ष 1955 में मंदिर का प्रबंध बंशीधर को सौंपा था. बंशीधर ने वर्ष 1961 में मंदिर को अपने पूर्वजों का बताकर दावा कर दिया. जिसे निचली अदालत ने 27 जुलाई 1977 को खारिज कर दिया. इसके खिलाफ बंशीधर के वारिसों ने हाईकोर्ट में अपील की. एकलपीठ ने 19 नवंबर 1997 को अधीनस्थ अदालत के आदेश पर रोक लगा दी और मंदिर का मालिकाना हक वारिसों को सौंप दिया. वहीं राज्य सरकार की अपील पर खंडपीठ ने तीन फरवरी 2017 को एकलपीठ के आदेश को रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की ओर से कब्जाधारियों पर लगाई एक लाख रुपए के हर्जाने को हटाते हुए दावा खारिज माना था. मंदिर का कब्जा नहीं सौंपने पर विभाग की ओर से हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश किया गया था.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि वह चाहे तो अदालती आदेश की पालना में बडी चौपड स्थित बाईजी का मंदिर (लक्ष्मीनारायण मंदिर) का कब्जा ले सकती है। इसके लिए जरुरत पडने पर पुलिस की मदद भी ली जा सकती है। न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की एकलपीठ ने यह आदेश देवस्थान विभाग की ओर से दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए।
प्रार्थना पत्र में कहा गया कि हाईकोर्ट ने दो माह में कब्जाधारियों को मंदिर का कब्जा सौंपने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट भी कब्जाधारियों की याचिका खारिज कर चुका है। ऐसे में मंदिर का कब्जा दिलाया जाए।Body:याचिका से जुडे वकीलों के अनुसार राज्य सरकार ने वर्ष 1955 में मंदिर का प्रबंध बंशीधर को सौंपा था। बंशीधर ने वर्ष 1961 में मंदिर को अपने पूर्वजों का बताकर दावा कर दिया। जिसे निचली अदालत ने 27 जुलाई 1977 को खारिज कर दिया। इसके खिलाफ बंशीधर के वारिसों ने हाईकोर्ट में अपील की। एकलपीठ ने 19 नवंबर 1997 को अधीनस्थ अदालत के आदेश पर रोक लगा दी और मंदिर का मालिकाना हक वारिसों को सौंप दिया। वहीं राज्य सरकार की अपील पर खंडपीठ ने तीन फरवरी 2017 को एकलपीठ के आदेश को रद्द कर दिया। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की ओर से कब्जाधारियों पर लगाई एक लाख रुपए के हर्जाने को हटाते हुए दावा खारिज माना था। मंदिर का कब्जा नहीं सौंपने पर विभाग की ओर से हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र पेश किया गया था।Conclusion:null
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