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राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता को दी गर्भपात कराने की अनुमति - Rajasthan High Court

राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात कराने की अनुमति दे दी है. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि गर्भपात के बाद भ्रूण को डीएनए जांच के लिए सुरक्षित रखा जाए.

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राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Apr 23, 2021, 8:51 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के कारण गर्भवती हुई 17 वर्षीय पीड़िता को अपना 24 सप्ताह का गर्भपात कराने की अनुमति दे दी है. अदालत ने सीएमएचओ कोटा को निर्देश दिए हैं कि वह तत्काल मेडिकल बोर्ड गठित कर पीड़िता का परीक्षण करें और संभव होने पर पीड़िता के स्वास्थ्य और एडवांस स्टेज को देखते हुए तुरंत गर्भपात किया जाए. न्यायाधीश पंकज भंडारी ने यह आदेश पीड़िता की ओर से अपने पिता के जरिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

पढ़ें- RT-PCR टेस्ट की कीमत बार-बार कम करने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि गर्भपात के बाद भ्रूण को डीएनए जांच के लिए सुरक्षित रखा जाए. मामले के अनुसार पीड़िता के साथ दुष्कर्म होने के कारण वह गर्भवती हो गई थी. इस पर पीड़िता की ओर से कोटा के मंडाना थाने में दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया गया. वहीं, गर्भपात के लिए जिला विधिक सेवा समिति के समक्ष प्रार्थना पत्र दिया गया. इस पर समिति की ओर से प्रकरण को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में भेजकर पीड़िता की विधिक सहायता चाही.

इस पर प्राधिकरण ने अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल को नियुक्त कर अदालत में याचिका पेश की. सुनवाई के दौरान पीड़िता की ओर से उसके अधिवक्ता ने कहा कि पीड़िता की शारीरिक अवस्था और चिकित्सीय पेचीदगियों को ध्यान में रखते हुए तत्काल गर्भपात की अनुमति दी जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने पीड़िता को तत्काल गर्भपात कराने की अनुमति दी है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के कारण गर्भवती हुई 17 वर्षीय पीड़िता को अपना 24 सप्ताह का गर्भपात कराने की अनुमति दे दी है. अदालत ने सीएमएचओ कोटा को निर्देश दिए हैं कि वह तत्काल मेडिकल बोर्ड गठित कर पीड़िता का परीक्षण करें और संभव होने पर पीड़िता के स्वास्थ्य और एडवांस स्टेज को देखते हुए तुरंत गर्भपात किया जाए. न्यायाधीश पंकज भंडारी ने यह आदेश पीड़िता की ओर से अपने पिता के जरिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

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अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि गर्भपात के बाद भ्रूण को डीएनए जांच के लिए सुरक्षित रखा जाए. मामले के अनुसार पीड़िता के साथ दुष्कर्म होने के कारण वह गर्भवती हो गई थी. इस पर पीड़िता की ओर से कोटा के मंडाना थाने में दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया गया. वहीं, गर्भपात के लिए जिला विधिक सेवा समिति के समक्ष प्रार्थना पत्र दिया गया. इस पर समिति की ओर से प्रकरण को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में भेजकर पीड़िता की विधिक सहायता चाही.

इस पर प्राधिकरण ने अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल को नियुक्त कर अदालत में याचिका पेश की. सुनवाई के दौरान पीड़िता की ओर से उसके अधिवक्ता ने कहा कि पीड़िता की शारीरिक अवस्था और चिकित्सीय पेचीदगियों को ध्यान में रखते हुए तत्काल गर्भपात की अनुमति दी जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने पीड़िता को तत्काल गर्भपात कराने की अनुमति दी है.

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