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हाईकोर्ट: 151 करोड़ की जीएसटी चोरी के मामले में CA को जमानत

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Published : May 4, 2021, 8:15 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने फर्जी फर्म बनाकर करीब 151 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी के मामले में मुख्य आरोपी के सीए को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं.

GST theft case of 151 crores,  Jaipur News
राजस्थान हाईकोर्ट

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने फर्जी फर्म बनाकर करीब 151 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी के मामले में मुख्य आरोपी के सीए भगवान सहाय गुप्ता को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश पंकज भंडारी ने यह आदेश आरोपी की जमानत याचिका स्वीकार करते हुए दिए.

पढ़ें- RT-PCR जांच की लागत को देखते हुए जनहित में घटाई कीमत

याचिका में अधिवक्ता एससी गुप्ता ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसने विष्णु गर्ग की 21 फर्जी फर्म बनाने में मदद की और गलत बिल बनाकर 151 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी में सहयोग किया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता गत 23 जनवरी से जेल में है. इसके अलावा अपराध में छह महीने की सजा का प्रावधान है. वहीं, प्रकरण में आरोप पत्र भी पेश हो चुका है. फर्म संचालक जो सूचना देते हैं, सीए उन्हें सत्य मानकर कार्रवाई करते हैं. ऐसे में उसे मुख्य आरोपी नहीं माना जा सकता.

इसका विरोध करते हुए अभियोजन पक्ष की ओर से कहा गया कि मुख्य आरोपी कम पढ़ा-लिखा है. ऐसे में याचिकाकर्ता के प्रोफेशनल सीए होने के कारण जिम्मेदारी अधिक बढ़ जाती है. ऐसे में उसे जमानत नहीं दी जा सकती. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने फर्जी फर्म बनाकर करीब 151 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी के मामले में मुख्य आरोपी के सीए भगवान सहाय गुप्ता को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश पंकज भंडारी ने यह आदेश आरोपी की जमानत याचिका स्वीकार करते हुए दिए.

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याचिका में अधिवक्ता एससी गुप्ता ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसने विष्णु गर्ग की 21 फर्जी फर्म बनाने में मदद की और गलत बिल बनाकर 151 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी में सहयोग किया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता गत 23 जनवरी से जेल में है. इसके अलावा अपराध में छह महीने की सजा का प्रावधान है. वहीं, प्रकरण में आरोप पत्र भी पेश हो चुका है. फर्म संचालक जो सूचना देते हैं, सीए उन्हें सत्य मानकर कार्रवाई करते हैं. ऐसे में उसे मुख्य आरोपी नहीं माना जा सकता.

इसका विरोध करते हुए अभियोजन पक्ष की ओर से कहा गया कि मुख्य आरोपी कम पढ़ा-लिखा है. ऐसे में याचिकाकर्ता के प्रोफेशनल सीए होने के कारण जिम्मेदारी अधिक बढ़ जाती है. ऐसे में उसे जमानत नहीं दी जा सकती. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं.

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