जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कॉलेज शिक्षा के लिए बनाई गई विद्या संबल योजना को लागू करने पर अंतरिम रोक लगा दी है. साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को पाबंद किया है कि वह सेवानिवृत्त कॉलेज व्याख्याताओं को नियुक्ति नहीं दे.
अदालत ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश डॉ. कन्हैयालाल बालीवाल की याचिका पर दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि विद्या संबल योजना प्रथम दृष्टया राजस्थान शिक्षा सेवा कॉलेज ब्रांच नियम, 1986 के विरोधाभासी है.
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याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार जैन ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता संविदा पर अस्थाई रूप से वर्ष 2004 में कॉलेज व्याख्याता नियुक्त हुआ था. वर्ष 2018 में राज्य सरकार ने उसे हटा दिया और बाद में एक स्कीम लागू कर सेवानिवृत्त कर्मचारियों को नियुक्तियां दे दी. इसके खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने स्टे आदेश जारी कर दिए.
याचिका में कहा गया कि कॉलेज शिक्षा विभाग ने अब विद्या संबल योजना लागू की है. योजना के तहत सेवानिवृत्त व्याख्याताओं को नियुक्त करने के साथ ही प्राइवेट अभ्यर्थियों को भी मानदेय पर गेस्ट फैकल्टी के तौर पर लगाया जा रहा है. योजना के तहत अभ्यर्थियों के लिए तय की गई योग्यता भी राजस्थान शिक्षा सेवा नियम से अलग है. मामले पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने विद्या संबल योजना पर रोक लगाते हुए सेवानिवृत्त कॉलेज व्याख्याताओं को नियुक्ति देने पर भी रोक लगा दी है.