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राजस्थान हाईकोर्ट ने 300 करोड़ रुपए की रिकवरी पर लगाई रोक

राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court bans) ने जयपुर मेटल्स कंपनी से जुड़े प्रार्थी एलक्मिस्ट एसेट री-कन्स्ट्रक्शन कंपनी से राज्य सरकार की ओर से करीब 300 करोड़ रुपए की रिकवरी पर फिलहाल रोक लगा दी है. एनसीएलटी में मामले की सुनवाई 17 व 19 जनवरी 2022 को होगी.

High Court bans recovery of Rs 300 crore
राजस्थान हाईकोर्ट ने 300 करोड़ रुपए की रिकवरी पर लगाई रोक
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Published : Dec 20, 2021, 10:45 PM IST

जयपुर. हाईकोर्ट में सोमवार (Rajasthan High Court bans) को जयपुर मेटल्स कंपनी से जुड़े प्रार्थी एलक्मिस्ट एसेट री-कन्स्ट्रक्शन कंपनी से राज्य सरकार की ओर से करीब 300 करोड़ रुपए की रिकवरी करने के मामले में पूर्व केन्द्रीय गृह मंत्री पी.चिदम्बरम ने पैरवी की. हाईकोर्ट ने कंपनी और राज्य सरकार की दलीलों को सुनने के बाद प्रार्थी कंपनी से की जाने वाली रिकवरी पर रोक लगा दी.


चिदम्बरम की ओर से अदालत में कहा कि राज्य सरकार ने प्रार्थी कंपनी पर दो नोटिसों के जरिए 1994-95 से करीब 300 करोड़ रुपए की स्टाम्प ड्यूटी बकाया निकाली है. जबकि प्रार्थी कंपनी इस मामले में 2009-2010 में आई है और पिछली बकाया राशि को भुगतान करने के लिए वह जवाबदेह नहीं है. राज्य सरकार के स्टाम्प एक्ट में ही गड़बड़ी है. इसलिए प्रार्थी कंपनी से की जाने वाली रिकवरी पर रोक लगाई जाए.

पढ़ें. BJP Hits Back at Dhariwal : यूडीएच मंत्री के हिंदू-हिंदुत्व की नई परिभाषा पर भाजपा ने कहा-उम्र के साथ बहक गए हैं धारीवाल...

इसके जवाब में राज्य के एएजी आरपी सिंह ने कहा कि सरकार के ऊपर कोई लिमिटेशन नहीं है और वह कभी भी बकाया राशि की रिकवरी निकाल सकती है. जिस पर सीजे अकील कुरेशी की खंडपीठ ने दोनों पक्षों की बहस सुनकर प्रार्थी कंपनी से रिकवरी पर रोक लगा दी. अब हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई 27 जनवरी 2022 को होगी. गौरतलब है कि यह मामला एनसीएलटी की जयपुर बेंच में लंबित चल रहा है. कंपनी ने एनसीएलटी में राज्य सरकार से कंपनी का चार्ज एनसीएलटी के प्रतिनिधि को दिलवाया जाने का आग्रह किया है. एनसीएलटी में मामले की सुनवाई 17 व 19 जनवरी 2022 को होगी.

जयपुर. हाईकोर्ट में सोमवार (Rajasthan High Court bans) को जयपुर मेटल्स कंपनी से जुड़े प्रार्थी एलक्मिस्ट एसेट री-कन्स्ट्रक्शन कंपनी से राज्य सरकार की ओर से करीब 300 करोड़ रुपए की रिकवरी करने के मामले में पूर्व केन्द्रीय गृह मंत्री पी.चिदम्बरम ने पैरवी की. हाईकोर्ट ने कंपनी और राज्य सरकार की दलीलों को सुनने के बाद प्रार्थी कंपनी से की जाने वाली रिकवरी पर रोक लगा दी.


चिदम्बरम की ओर से अदालत में कहा कि राज्य सरकार ने प्रार्थी कंपनी पर दो नोटिसों के जरिए 1994-95 से करीब 300 करोड़ रुपए की स्टाम्प ड्यूटी बकाया निकाली है. जबकि प्रार्थी कंपनी इस मामले में 2009-2010 में आई है और पिछली बकाया राशि को भुगतान करने के लिए वह जवाबदेह नहीं है. राज्य सरकार के स्टाम्प एक्ट में ही गड़बड़ी है. इसलिए प्रार्थी कंपनी से की जाने वाली रिकवरी पर रोक लगाई जाए.

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इसके जवाब में राज्य के एएजी आरपी सिंह ने कहा कि सरकार के ऊपर कोई लिमिटेशन नहीं है और वह कभी भी बकाया राशि की रिकवरी निकाल सकती है. जिस पर सीजे अकील कुरेशी की खंडपीठ ने दोनों पक्षों की बहस सुनकर प्रार्थी कंपनी से रिकवरी पर रोक लगा दी. अब हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई 27 जनवरी 2022 को होगी. गौरतलब है कि यह मामला एनसीएलटी की जयपुर बेंच में लंबित चल रहा है. कंपनी ने एनसीएलटी में राज्य सरकार से कंपनी का चार्ज एनसीएलटी के प्रतिनिधि को दिलवाया जाने का आग्रह किया है. एनसीएलटी में मामले की सुनवाई 17 व 19 जनवरी 2022 को होगी.

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