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जयपुर: सेस वसूली नोटिस पर रोक, आरसीडीएफ सहित अन्य से मांगा जवाब - rajasthan news

राजस्थान हाईकोर्ट में दर्ज हुई याचिका में आरसीडीएफ की ओर से साल 1992 से अब तक जयपुर डेयरी से प्रत्येक तिमाही के आधार पर 85 करोड़ से से अधिक की सेस राशि वसूल की जा चुकी है. जिस पर राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन पर पिछले 12 मार्च के नोटिस के जरिए किसी भी तरह की सर्विस फीस या सेस वसूल करने पर रोक लगा दी है.

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राजस्थान हाईकोर्ट ने लगाई सेस वसूली पर रोक
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Published : May 4, 2020, 8:03 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन पर पिछले 12 मार्च के नोटिस के जरिए किसी भी तरह की सर्विस फीस या सेस वसूल करने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने आरसीडीएफ और जयपुर डेयरी के प्रबंध निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. अशोक गौड़ की एकलपीठ ने ये आदेश जयपुर जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के चेयरमैन की ओर से दिए.

याचिका में अधिवक्ता डॉ अभिनव शर्मा ने अदालत को बताया कि आरसीडीएफ की ओर से साल 1992 से अब तक जयपुर डेयरी से प्रत्येक तिमाही के आधार पर 85 करोड़ से से अधिक की सेस राशि वसूल की जा चुकी है. जबकि अब तक इस मद में जयपुर डेयरी के विकास पर कोई राशि खर्च नहीं की गई.

पढ़ें- EXCLUSIVE: राजस्थान के उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट की ईटीवी भारत से विशेष बातचीत

याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार आरसीडीएफ के जरिए लॉकडाउन में भी इसकी वसूली कर रही है. आरसीडीएफ ने पिछली 12 मार्च को नोटिस जारी कर याचिकाकर्ता से 7 करोड 94 लाख रुपए की वसूली की है. नोटिस मिलने के बाद जयपुर डेयरी चेयरमैन और बोर्ड ने इस राशि का भुगतान आरसीडीएफ को नहीं करने का निर्णय लिया. जिसकी सूचना अपने प्रबंध निदेशक को भी दी गई. प्रबंध निदेशक आरसीडीएफ का कर्मचारी होता है. इसलिए उसने बोर्ड के निर्णय की अवहेलना करते हुए आरसीडीएफ को भुगतान कर दिया. वहीं जयपुर डेयरी के बोर्ड के निर्णय को आरसीडीएफ के अतिरिक्त रजिस्ट्रार ने निरस्त कर दिया. जबकि उसे निर्णय को निरस्त करने का अधिकार ही नहीं था.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन पर पिछले 12 मार्च के नोटिस के जरिए किसी भी तरह की सर्विस फीस या सेस वसूल करने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने आरसीडीएफ और जयपुर डेयरी के प्रबंध निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. अशोक गौड़ की एकलपीठ ने ये आदेश जयपुर जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के चेयरमैन की ओर से दिए.

याचिका में अधिवक्ता डॉ अभिनव शर्मा ने अदालत को बताया कि आरसीडीएफ की ओर से साल 1992 से अब तक जयपुर डेयरी से प्रत्येक तिमाही के आधार पर 85 करोड़ से से अधिक की सेस राशि वसूल की जा चुकी है. जबकि अब तक इस मद में जयपुर डेयरी के विकास पर कोई राशि खर्च नहीं की गई.

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याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार आरसीडीएफ के जरिए लॉकडाउन में भी इसकी वसूली कर रही है. आरसीडीएफ ने पिछली 12 मार्च को नोटिस जारी कर याचिकाकर्ता से 7 करोड 94 लाख रुपए की वसूली की है. नोटिस मिलने के बाद जयपुर डेयरी चेयरमैन और बोर्ड ने इस राशि का भुगतान आरसीडीएफ को नहीं करने का निर्णय लिया. जिसकी सूचना अपने प्रबंध निदेशक को भी दी गई. प्रबंध निदेशक आरसीडीएफ का कर्मचारी होता है. इसलिए उसने बोर्ड के निर्णय की अवहेलना करते हुए आरसीडीएफ को भुगतान कर दिया. वहीं जयपुर डेयरी के बोर्ड के निर्णय को आरसीडीएफ के अतिरिक्त रजिस्ट्रार ने निरस्त कर दिया. जबकि उसे निर्णय को निरस्त करने का अधिकार ही नहीं था.

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