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सड़क से अतिक्रमण नहीं हटाने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब - Trespassing on road

हाईकोर्ट ने जयपुर में शांतिनगर सहित कई अन्य रोड से अतिक्रमण नहीं हटाने को लेकर निगम आयुक्त सहित अन्य से जवाब मांगा है. न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश मनोज कुमार व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश नारायण सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

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हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
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Published : Nov 11, 2020, 7:18 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने शांतिनगर, राजीव नगर और हसनुपरा बी व सी को अजमेर रोड से जोड़ने वाले आम रास्ते से अतिक्रमण नहीं हटाने पर मुख्य सचिव, प्रमुख स्वायत्त शासन सचिव, जेडीए और निगम आयुक्त सहित अन्य से जवाब मांगा है. न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश मनोज कुमार व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश नारायण सिंह की जनहित याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि शांति नगर सहित आसपास की कॉलोनियों को अजमेर रोड से जोड़ने के लिए करीब चार दशक पहले डॉ. व्यास और जोशी के भवनों के बीच से रास्ता निकाला गया था. वहीं, बाद में यहां अतिक्रमण हो गया. मामले में हाईकोर्ट ने 27 अप्रैल 2009 को यहां से दो माह में अतिक्रमण हटाने के निर्देश भी दिए गए. इसके बावजूद यहां से अतिक्रमण हटाने के बजाए सामुदायिक भवन का निर्माण कर दिया.

यह भी पढ़ें: राजस्थान हाईकोर्ट ने जांच अधिकारी को आरएसएमडीसी से मूल विभाग में भेजने पर लगाई रोक

याचिका में कहा गया कि अतिक्रमण के चलते यह रास्ता करीब दस फीस से कम चौड़ा रह गया है, जिसके चलते यहां से गुजरने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने शांतिनगर, राजीव नगर और हसनुपरा बी व सी को अजमेर रोड से जोड़ने वाले आम रास्ते से अतिक्रमण नहीं हटाने पर मुख्य सचिव, प्रमुख स्वायत्त शासन सचिव, जेडीए और निगम आयुक्त सहित अन्य से जवाब मांगा है. न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश मनोज कुमार व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश नारायण सिंह की जनहित याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल ने अदालत को बताया कि शांति नगर सहित आसपास की कॉलोनियों को अजमेर रोड से जोड़ने के लिए करीब चार दशक पहले डॉ. व्यास और जोशी के भवनों के बीच से रास्ता निकाला गया था. वहीं, बाद में यहां अतिक्रमण हो गया. मामले में हाईकोर्ट ने 27 अप्रैल 2009 को यहां से दो माह में अतिक्रमण हटाने के निर्देश भी दिए गए. इसके बावजूद यहां से अतिक्रमण हटाने के बजाए सामुदायिक भवन का निर्माण कर दिया.

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याचिका में कहा गया कि अतिक्रमण के चलते यह रास्ता करीब दस फीस से कम चौड़ा रह गया है, जिसके चलते यहां से गुजरने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.

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