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राजस्थान हाइकोर्ट ने समान भर्ती के बाद में नियुक्त पुलिस कांस्टेबल को वरिष्ठता और परिलाभ देने के दिए आदेश

राजस्थान हाइकोर्ट में पुलिस कांस्टेबल भर्ती-2010 को लेकर याचिका लगाई गई थी. याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पूर्व में लगे अन्य सिपाहियों के समान वरिष्ठता और अन्य सेवा परिलाभ देने के आदेश दिए हैं

Jaipur news, Rajasthan HighCourt
राजस्थान हाइकोर्ट जयपुर पीठ
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Published : Oct 13, 2021, 5:40 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती-2010 में साल 2017 में नियुक्त हुए सिपाही को पूर्व में लगे अन्य सिपाहियों के समान वरिष्ठता और अन्य सेवा परिलाभ देने के आदेश दिए हैं. हाइकोर्ट की एकलपीठ ने यह आदेश कांस्टेबल संजय कुमार की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि साल 2010 की कांस्टेबल भर्ती में अधिकांश अभ्यर्थियों को साल 2013 और साल 2014 में नियुक्ति दी गई थी. जबकि मामला हाइकोर्ट जाने के चलते याचिकाकर्ता को साल 2017 में नियुक्ति दी गई. याचिका में कहा गया कि यदि विभाग की ओर आरक्षण के प्रावधानों की पालना कर ली जाती तो याचिकाकर्ता को भी अन्य अभ्यर्थियों के समय ही नियुक्ति दी जा सकती थी.

पढ़ें- बाजरे पर MSP को लेकर भाजपा का वार, प्रवक्ता बोले- केन्द्र को गहलोत सरकार के अनुशंसा पत्र का इंतजार

याचिकाकर्ता नियुक्ति मिलने में देरी का जिम्मेदार नहीं है. ऐसे में एक समान भर्ती में चयनित अन्य अभ्यर्थियों और याचिकाकर्ता के बीच भेदभाव नहीं किया का सकता. इसलिए उसे पूर्व के चयनित अन्य कांस्टेबल के समान वरिष्ठता सहित अन्य परिलाभ दिलाए जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को वरिष्ठता और परिलाभ देने के आदेश दिए है.

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने पुलिस कांस्टेबल भर्ती-2010 में साल 2017 में नियुक्त हुए सिपाही को पूर्व में लगे अन्य सिपाहियों के समान वरिष्ठता और अन्य सेवा परिलाभ देने के आदेश दिए हैं. हाइकोर्ट की एकलपीठ ने यह आदेश कांस्टेबल संजय कुमार की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि साल 2010 की कांस्टेबल भर्ती में अधिकांश अभ्यर्थियों को साल 2013 और साल 2014 में नियुक्ति दी गई थी. जबकि मामला हाइकोर्ट जाने के चलते याचिकाकर्ता को साल 2017 में नियुक्ति दी गई. याचिका में कहा गया कि यदि विभाग की ओर आरक्षण के प्रावधानों की पालना कर ली जाती तो याचिकाकर्ता को भी अन्य अभ्यर्थियों के समय ही नियुक्ति दी जा सकती थी.

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याचिकाकर्ता नियुक्ति मिलने में देरी का जिम्मेदार नहीं है. ऐसे में एक समान भर्ती में चयनित अन्य अभ्यर्थियों और याचिकाकर्ता के बीच भेदभाव नहीं किया का सकता. इसलिए उसे पूर्व के चयनित अन्य कांस्टेबल के समान वरिष्ठता सहित अन्य परिलाभ दिलाए जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को वरिष्ठता और परिलाभ देने के आदेश दिए है.

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