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Constable Recruitment-2018 : आदेश के बाद भी नियुक्ति नहीं देने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने पूछा- क्यों ना अवमानना की कार्रवाई की जाए

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Published : Nov 20, 2021, 8:01 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan HC) ने आदेश के बावजूद कांस्टेबल भर्ती-2018 में नियुक्ति नहीं देने पर अवमाननाकर्ता अफसरों को शपथ पत्र पेश करने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि लंबित रहे केस के आधार पर भविष्य की नियुक्ति से वंचित नहीं रखा जा सकता.

Constable Recruitment-2018, Jaipur news
राजस्थान हाईकोर्ट

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बाद भी याचिकाकर्ता को कांस्टेबल भर्ती-2018 (Constable Recruitment-2018) में नियुक्ति नहीं देने मामले पर सुनवाई की. जिसमें कोर्ट ने अवमाननाकर्ता अफसरों को 24 नवंबर तक शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि क्यों ना उन्हें अवमानना के लिए दंडित किया जाए. जस्टिस एसपी शर्मा ने यह आदेश रमेश गोस्वामी की अवमानना याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा ने बताया कि याचिकाकर्ता को कांस्टेबल भर्ती-2018 में पूर्व में एक आपराधिक केस में लिप्त रहने के कारण नियुक्ति से इंकार कर दिया था. जिसे हाईकोर्ट में चुनौती देने पर प्रार्थी ने अदालत को बताया कि वह 2013 में ही धारा 379 से जुड़े केस में बरी हो चुका है और भर्ती आवेदन के समय भी उसके खिलाफ कोई केस विचाराधीन नहीं था.

यह भी पढ़ें. Rajasthan High Court: जेडीए और निगम के अधिकारी हाजिर होकर पेश करें तथ्यात्मक रिपोर्ट

पूर्व में लंबित रहे केस के आधार पर उसे भविष्य की नियुक्ति से वंचित नहीं रखा जा सकता. जिस पर हाईकोर्ट ने 18 अक्टूबर 2019 को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को अस्थाई नियुक्ति देने का निर्देश दिए, लेकिन अदालती आदेश के बाद भी उसे नियुक्ति नहीं दी गई. इस पर याचिकाकर्ता ने प्रमुख गृह सचिव, डीजीपी व महाराणा प्रताप बटालियन कमांडेंट किशोरी लाल मीणा के खिलाफ अवमानना याचिका दायर कर अदालती आदेश की पालना कराने की गुहार की.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बाद भी याचिकाकर्ता को कांस्टेबल भर्ती-2018 (Constable Recruitment-2018) में नियुक्ति नहीं देने मामले पर सुनवाई की. जिसमें कोर्ट ने अवमाननाकर्ता अफसरों को 24 नवंबर तक शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि क्यों ना उन्हें अवमानना के लिए दंडित किया जाए. जस्टिस एसपी शर्मा ने यह आदेश रमेश गोस्वामी की अवमानना याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा ने बताया कि याचिकाकर्ता को कांस्टेबल भर्ती-2018 में पूर्व में एक आपराधिक केस में लिप्त रहने के कारण नियुक्ति से इंकार कर दिया था. जिसे हाईकोर्ट में चुनौती देने पर प्रार्थी ने अदालत को बताया कि वह 2013 में ही धारा 379 से जुड़े केस में बरी हो चुका है और भर्ती आवेदन के समय भी उसके खिलाफ कोई केस विचाराधीन नहीं था.

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पूर्व में लंबित रहे केस के आधार पर उसे भविष्य की नियुक्ति से वंचित नहीं रखा जा सकता. जिस पर हाईकोर्ट ने 18 अक्टूबर 2019 को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को अस्थाई नियुक्ति देने का निर्देश दिए, लेकिन अदालती आदेश के बाद भी उसे नियुक्ति नहीं दी गई. इस पर याचिकाकर्ता ने प्रमुख गृह सचिव, डीजीपी व महाराणा प्रताप बटालियन कमांडेंट किशोरी लाल मीणा के खिलाफ अवमानना याचिका दायर कर अदालती आदेश की पालना कराने की गुहार की.

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