जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय के पीजी और यूजी अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के आयोजन के विरुद्ध दायर जनहित याचिका को पब्लिसिटी स्टंट बताया है. याचिकाकर्ता की ओर से याचिका वापस लेने पर खंडपीठ ने पीआईएल को खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने यह आदेश तेज प्रकाश यादव की जनहित याचिका पर दिए.
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार, विश्वविद्यालय और यूजीसी की ओर से अदालत को बताया गया कि विश्वविद्यालय प्रशासन मार्च माह में कुछ परीक्षाएं आयोजित करा चुका है. वहीं, 17 सितंबर से बाकी बची परीक्षाएं ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आयोजित की जा रही हैं. अतिरिक्त महाधिवक्ता विभूति भूषण शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की ओर से इस तथ्य से अदालत को अवगत नहीं कराया गया है. ऐसे में याचिका को खारिज किया जाए.
याचिकाकर्ता की ओर से याचिका में अधूरी जानकारी देने पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यह पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ना होकर पब्लिसिटी इंटरेस्ट के लिए दायर की गई याचिका है. अदालत ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट मामले में आदेश दे चुका है, तो उसके खिलाफ हाईकोर्ट सुनवाई नहीं कर सकता. इसके साथ ही अदालत ने याचिका पर भारी हर्जाना लगाने की चेतावनी भी दी. इस पर याचिकाकर्ता ने पीआईएल को वापस ले लिया.
बता दें कि याचिका में कहा गया था कि फिलहाल कोरोना का खतरा बढ़ता ही जा रहा है. विश्वविद्यालय की ओर से परीक्षा आयोजित कराने से संक्रमण और अधिक बढ़ेगा. ऐसी स्थिति में अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को स्थगित किया जाना चाहिए. इसके अलावा यदि परीक्षा कराना भी चाहे तो ऑफलाइन के बजाय ऑनलाइन या अन्य किसी माध्यम का उपयोग किया जा सकता है. याचिका में कहा गया कि कोरोना के चलते विद्यार्थी दूसरे राज्य में स्थित अपने घर जा चुके हैं. इस वक्त उनका परीक्षा के लिए आना संभव भी नहीं है. इसके अलावा यूजीसी के नियमों के तहत परीक्षा ऑफलाइन के साथ ही ऑनलाइन भी ली जा सकती है.