जयपुर. केंद्रीय हज कमेटी के नियम और कानूनों की राजस्थान सरकार की ओर से धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. राज्य हज कमेटी का समय समाप्त होने से 4 महीने पहले ही हज कमेटी का चेयरमैन नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है, लेकिन डेढ़ साल बीतने के बावजूद भी अभी तक राजस्थान हज कमेटी का चेयरमैन नियुक्त नहीं किया गया है.
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बिना हज कमेटी के चेयरमैन के हज पर जाने वाले यात्रियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. चार माह बाद पवित्र हज की यात्रा शुरू होने वाली है, लेकिन हज कमेटी के चेयरमैन के बिना हज यात्रियों के समस्याओं को केंद्रीय हज कमेटी के सामने रखने वाला कोई नहीं है. राजस्थान हज कमेटी का चार्ज फिलहाल प्रशासक को दिया हुआ है. हज कमेटी ऑफ इंडिया एक्ट 2002 के अनुसार किसी भी स्टेट हज कमेटी का कार्यकाल पूरा होने से चार महीने पहले राज्य सरकार की ओर से नई हज कमेटी बनाने के लिए जरूरी कदम उठा लेने चाहिए.
राजस्थान हज कमेटी के लिए अभी तक ऐसा नहीं किया गया है. सरकार ने राजस्थान हज कमेटी में प्रशासक नियुक्त किया है. जबकि कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. अमीन पठान अध्यक्षता वाली तत्कालीन हज कमेटी का कार्यकाल 18 अगस्त 2019 को पूरा हो गया है. कानून के अनुसार 18 अप्रैल 2019 को नई हज कमेटी बनाने के लिए नई प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए थी. हज कमेटी का प्रभार आरएसएस अधिकारी जमील कुरैशी को प्रशासक के तौर पर दिया हुआ है.
राजस्थान हज कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अमीन पठान ने कहा कि यह कांग्रेस का आपसी मामला है. कांग्रेस में आपस में झगड़े चल रहे हैं. सचिन पायलट और गहलोत गुट आपस में झगड़ा करते हैं. इसके कारण यह तय नहीं हो पा रहा है कि हज कमेटी में किसे चेयरमैन बनाया जाए. लेकिन जनता को इससे कोई मतलब नहीं है. जनता ने इन्हें चुन कर भेजा है. अब सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि जो वादे जनता के साथ किए गए थे, वह वादे पूरे किए जाएं. सरकार को जल्द ही राजस्थान हज कमेटी का चेयरमैन बना देना चाहिए नहीं तो लोग सड़कों पर उतरेंगे. अमीन पठान ने कहा कि सरकार ने अल्पसंख्यकों से जुड़े अन्य बोर्डों में भी चेयरमैन नियुक्त नहीं किए हैं.