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आदिवासी भाषाओं के अध्ययन, दर्शन, इतिहास और परंपरा को सहेजने के लिए कार्य करने का राज्यपाल ने किया आह्वान

राज्यपाल कलराज मिश्र ने गोविन्द गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय के तहत आदिवासी भाषाओं के अध्ययन, दर्शन, इतिहास और परंपरा को सहेजने के लिए विशेष कार्य करने पर जोर दिया है. राज्यपाल मिश्र ने शिक्षा को सकारात्मक परिवर्तन का बड़ा माध्यम बताते हुए जनजातीय क्षेत्रों को शैक्षिक पिछडे़पन से मुक्त करने के प्रभावी प्रयास किए जाने का आह्वान किया है.

rajasthan governor Kalraj Mishra, history and tradition of tribal
आदिवासी इतिहास और परंपरा को सहेजने के लिए कार्य करने का राज्यपाल ने किया आह्वान
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Published : Dec 23, 2020, 4:36 PM IST

जयपुर. राज्यपाल और कुलाधिपति कलराज मिश्र ने शिक्षा को सकारात्मक परिवर्तन का बड़ा माध्यम बताते हुए जनजातीय क्षेत्रों को शैक्षिक पिछडे़पन से मुक्त करने के प्रभावी प्रयास किए जाने का आह्वान किया है. उन्होंने गोविन्द गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय के तहत आदिवासी भाषाओं के अध्ययन, दर्शन, इतिहास और परंपरा को सहेजने के लिए विशेष कार्य करने पर भी जोर दिया. मिश्र आज यहां गोविन्द गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय, बांसवाड़ा के ऑनलाइन द्वितीय दीक्षान्त समारोह में सम्बोधित कर रहे थे.

आदिवासी इतिहास और परंपरा को सहेजने के लिए कार्य करने का राज्यपाल ने किया आह्वान

इस दौरान उन्होंने इस संबंध विश्वविद्यालय द्वारा अपने यहां ऐसा केन्द्र स्थापित करने के निर्देश दिए, जिसके तहत आदिवासी ज्ञान-परंपरा को राष्ट्रीय स्तर पर लाए जाने के अधिकाधिक प्रयास हो सके. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज को यह अनुभव कराना जरूरी है कि दूसरा समाज उनसे कहीं अलग नहीं है. उनका भी समाज में समान रूप से महत्व है. उन्होंने गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय के तहत विद्यार्थियों को सामान्य शिक्षा के साथ आदिवासी समाज के प्रकृति प्रेम, उनके जाति और वर्ग के आधार पर समानता के भाव, आदिवासी महिलाओं की स्वशासन व्यवस्था, ग्रामसभाओं आदि के बारे में भी अध्ययन करवाए जाने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि इससे जनजातीय समुदाय की बेहतरीन बातें सभ्य कहे जाने वाले समाज तक भी पंहुंचेगी और उनसे सभी को सीख मिल सकेगी.

राज्यपाल ने जनताजीय समुदाय को देश की सांस्कृतिक विरासत और कला-शिल्प कौशल के प्रहरी और भारतीय संस्कृति के संरक्षक बताते हुए विश्वविद्यालय स्तर पर वागड़ क्षेत्र के जनजातीय समुदाय का सांस्कृतिक अध्ययन किए जाने के भी निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि इसके तहत आदिवासी समुदाय से जुड़ी संस्कृति और इसके व्यापक सरोकारों को प्रकाश में लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य हो सकेगा.

मिश्र ने इस अवसर पर आदिवासी समाज के मसीहा गोविन्द गुरु के आदर्शों का स्मरण करते हुए कहा कि जनजातीय समाज को शिक्षा एवं भक्तिमार्ग पर लाने का ही महत्वपूर्ण कार्य उन्होंने नहीं किया, बल्कि स्वतंत्रता आंदोलन में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. उन्होंने गोविंद गुरु जी द्वारा आदिवासी समाज को शिक्षित और संस्कारित करने के उनके कार्यों को आगे बढ़ाए जाने के लिए भी विश्वविद्यालय स्तर पर सभी को मिलकर कार्य करने पर जोर दिया.

यह भी पढ़ें- Exclusive : कई बार बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ने पर मुझे धमकियां दी जाती हैं : संगीता बेनीवाल

इससे पहले कुलाधिपति एवं राज्यपाल कलराज मिश्र ने विश्वविद्यालय के संविधान उद्यान का ई-शिलान्यास किया. उन्होंने दीक्षांत समारोह में 26 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान करने के साथ ही ऑनलाइन उपाधियां प्रदत्त की. उन्होंने संविधान उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का भी सभी को वाचन करवाया. समारोह में प्रो. पवन कुमार सिंह ने दीक्षांत भाषण में विद्यार्थियों को देश और समाज के किए निरन्तर कार्य करने का आह्वान किया. कुलपति प्रो. इन्द्रवर्धन त्रिवेदी ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. राज्यपाल के सचिव सुबीर कुमार और प्रमुख विशेषाधिकारी गोविंद राम जायसवाल सहित बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, अधिकारी आदि ने ऑनलाइन समारोह में भाग लिया.

जयपुर. राज्यपाल और कुलाधिपति कलराज मिश्र ने शिक्षा को सकारात्मक परिवर्तन का बड़ा माध्यम बताते हुए जनजातीय क्षेत्रों को शैक्षिक पिछडे़पन से मुक्त करने के प्रभावी प्रयास किए जाने का आह्वान किया है. उन्होंने गोविन्द गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय के तहत आदिवासी भाषाओं के अध्ययन, दर्शन, इतिहास और परंपरा को सहेजने के लिए विशेष कार्य करने पर भी जोर दिया. मिश्र आज यहां गोविन्द गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय, बांसवाड़ा के ऑनलाइन द्वितीय दीक्षान्त समारोह में सम्बोधित कर रहे थे.

आदिवासी इतिहास और परंपरा को सहेजने के लिए कार्य करने का राज्यपाल ने किया आह्वान

इस दौरान उन्होंने इस संबंध विश्वविद्यालय द्वारा अपने यहां ऐसा केन्द्र स्थापित करने के निर्देश दिए, जिसके तहत आदिवासी ज्ञान-परंपरा को राष्ट्रीय स्तर पर लाए जाने के अधिकाधिक प्रयास हो सके. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज को यह अनुभव कराना जरूरी है कि दूसरा समाज उनसे कहीं अलग नहीं है. उनका भी समाज में समान रूप से महत्व है. उन्होंने गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय के तहत विद्यार्थियों को सामान्य शिक्षा के साथ आदिवासी समाज के प्रकृति प्रेम, उनके जाति और वर्ग के आधार पर समानता के भाव, आदिवासी महिलाओं की स्वशासन व्यवस्था, ग्रामसभाओं आदि के बारे में भी अध्ययन करवाए जाने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि इससे जनजातीय समुदाय की बेहतरीन बातें सभ्य कहे जाने वाले समाज तक भी पंहुंचेगी और उनसे सभी को सीख मिल सकेगी.

राज्यपाल ने जनताजीय समुदाय को देश की सांस्कृतिक विरासत और कला-शिल्प कौशल के प्रहरी और भारतीय संस्कृति के संरक्षक बताते हुए विश्वविद्यालय स्तर पर वागड़ क्षेत्र के जनजातीय समुदाय का सांस्कृतिक अध्ययन किए जाने के भी निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि इसके तहत आदिवासी समुदाय से जुड़ी संस्कृति और इसके व्यापक सरोकारों को प्रकाश में लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य हो सकेगा.

मिश्र ने इस अवसर पर आदिवासी समाज के मसीहा गोविन्द गुरु के आदर्शों का स्मरण करते हुए कहा कि जनजातीय समाज को शिक्षा एवं भक्तिमार्ग पर लाने का ही महत्वपूर्ण कार्य उन्होंने नहीं किया, बल्कि स्वतंत्रता आंदोलन में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही. उन्होंने गोविंद गुरु जी द्वारा आदिवासी समाज को शिक्षित और संस्कारित करने के उनके कार्यों को आगे बढ़ाए जाने के लिए भी विश्वविद्यालय स्तर पर सभी को मिलकर कार्य करने पर जोर दिया.

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इससे पहले कुलाधिपति एवं राज्यपाल कलराज मिश्र ने विश्वविद्यालय के संविधान उद्यान का ई-शिलान्यास किया. उन्होंने दीक्षांत समारोह में 26 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान करने के साथ ही ऑनलाइन उपाधियां प्रदत्त की. उन्होंने संविधान उद्देशिका और मूल कर्तव्यों का भी सभी को वाचन करवाया. समारोह में प्रो. पवन कुमार सिंह ने दीक्षांत भाषण में विद्यार्थियों को देश और समाज के किए निरन्तर कार्य करने का आह्वान किया. कुलपति प्रो. इन्द्रवर्धन त्रिवेदी ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. राज्यपाल के सचिव सुबीर कुमार और प्रमुख विशेषाधिकारी गोविंद राम जायसवाल सहित बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, अधिकारी आदि ने ऑनलाइन समारोह में भाग लिया.

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