जयपुर. गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा में विश्व स्तरीय चिकित्सा सुविधा की तर्ज पर राजस्थान के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर का दायरा बढ़ाने की प्लानिंग की गई है. राजस्थान सरकार ने प्रदेश में नए मेडिकल कॉलेज, मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल, डिस्पेंसरी खोलने को बढ़ावा देने के लिए भू-उपयोग परिवर्तन में छूट देने का फैसला किया है. जिसके तहत निजी कंपनियों को सरकार भू-उपयोग परिवर्तन में 50% की छूट देगी.
कोरोना महामारी में बने हालात से सीख लेकर राज्य सरकार ने अब राजस्थान की मेडिकल सुविधाओं (medical facility in Rajasthan) के विस्तार पर राहत देने का फैसला लिया है. राज्य में अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, क्लीनिक सहित मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण और विस्तार के लिए बड़ी छूट दी गई है. प्रदेश में मेडिकल हब बनाने के लिए निजी कंपनियों को सरकार उपयोग परिवर्तन में 50% की छूट देगी. इसके तहत निजी सेक्टर के बड़े अस्पताल ग्रुप राज्य में आकर अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और मेडिकल से संबंधित दूसरी गतिविधियां शुरू कर सकेंगे. इसके तहत नियमों में कई दूसरी रियायत भी दी जा रही है. जहां कृषि भूमि का कन्वर्जन शुल्क को आधा कर दिया गया है.
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वहीं बिल्डिंग प्लान की फीस को भी माफ किया गया है. इससे ना सिर्फ मेडिकल हब विकसित होगा बल्कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार का सृजन भी होगा. साथ ही राजस्थान मेडिकल टूरिज्म (Rajasthan Medical Tourism) के रूप में भी विकसित होगा.
इससे पहले राज्य सरकार ने मेडिकल सेक्टर के अंतर्गत आने वाली गतिविधियों को व्यापक जनहित के अंतर्गत मानते हुए मास्टर प्लान के सभी भू उपयोगों (इकोलॉजिकल, इको सेंसेटिव, पार्क, खुले स्थल आदि को छोड़कर) में अनुज्ञेय उपयोग की श्रेणी में सम्मिलित करने और इन भू उपयोगों में स्थित कृषि/अकृषि भूमि पर अनुज्ञेय की. साथ ही चिकित्सा सुविधाओं के लिए भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क और मॉडल राजस्थान भवन विनियम 2020 के अंतर्गत भवन मानचित्र अनुमोदन शुल्क में शत-प्रतिशत छूट प्रदान की गई.