जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार बजट 2022 (Rajasthan Budget 2022) की तैयारियों में अलग-अलग संगठनों से सुझाव ले रही है. शनिवार को महिला उद्यमियों, सामाजिक कार्यकर्ता और खेल के क्षेत्र से जुड़े लोगों से सुझाव लिए गए. सुझाव में ज्यादातर लोगों की उम्मीद है कि सरकार जो बजट पेश करे उसमें महिला उद्यमिता के साथ ही बच्चों के स्वास्थ्य सुधार पर फोकस हो. खासकर ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों और महिलाओं पर ध्यान देने की जरूरत है.
महिलाओं ने यह दिए सुझाव : महिला विंग की वाइस प्रेसिडेंट ललिता कुच्छल ने कहा कि महिलाओं को उद्योग (Suggestions For Women On Budget In Rajasthan) से जोड़ने की बात हमेशा की जाती है, लेकिन धरातल पर अभी भी काम करने की जरूरत है. उन्होंने सुझाव दिया कि महिला उद्यमियों के लिए सिंगल महिला विंडोज स्थापित हो, जिसमें स्टाफ भी महिला हो, ताकि महिला उद्यमी सहज और आसानी से व्यापार कर सके. कई बार सिंगल विंडो पर पुरुष कर्मचारी और अधिकारी के व्यवहार के चलते महिला उद्यमी अपनी बात ठीक से नहीं समझा सकती है.
सरकार महिला उद्योग को बढ़ावा देने के लिए रियायती दर पर जमीन देती है, इसमें महिलाओं के लिए आरक्षित किया जाए, ताकि कोई भी महिला उद्यमी अपन उद्योग शुरू करे तो उसे जमीन सस्ती दर पर मिले. इसके साथ नियमों को भी सरल किया जाए. महिला उद्यमियों के लिए हर जिले में सेल बने, महिला उद्यमियों के लिए अलग से सेल बने जिसमे ज्यादा स्टाफ महिला ही हो. महिलाएं अपना स्टार्टअप तो शुरू करना चाहती हैं, लेकिन उसे बैंकिंग नियमों की जानकारी नहीं होती. हर जिला स्तर पर सेल हो तो उन्हें वहां पर बिजनेस से जुड़ी हर जानकारी मिल सकती है.
महिला विंग की अध्यक्ष नेहा गुप्ता ने कहा कि (Suggestions For Women On Budget In Rajasthan) अगर सरकार मदद करे तो महिला कुटीर उद्योग और ग्रामीण महिलाओं के लिए हम प्रमोशन प्लेटफार्म तैयार कर सकते हैं. वहां पर महिलाएं अपने प्रोडक्ट को डिस्प्ले करेंगी. जिससे उनके पास एक बड़ी अवसर होगा, जहां पर महिला उद्योग को बढ़ावा दिया जा सकता है. इसके अलावा महिलाओं के सामने सबसे बड़ी दिक्कत पारिवारिक जिम्मेदारियों की हैं.
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इसलिए महिलाएं अलग-अलग जगह पर जाकर बिजनेस से संबंधी जानकारी नहीं ले सकती, उनकी जो काम करने की क्षमता है वह सुबह 11 से 5 बजे तक की होती है. इसके बाद उनके परिवार में बच्चे और अन्य सदस्यों के प्रति जिम्मेदारी होती हैं. ऐसे में जिस तरहं से आईटी हब भामाशाह बनाया गया, उस तरह से एक प्रमोशन सेंटर बनाया जाए. जहां पर महिलाओं को एक ही छत के नीचे तमाम सुविधाएं मिले ताकि वह आसानी से अपनी चीजों को अवगत करा सके और ले सके. एक छत के नीचे व्यवसाय से संबंधित जानकारी उपलब्ध हो.
डॉक्टर अनुपमा सोनी ने सुझाव दिया कि (Suggestions For Women On Budget In Rajasthan) नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के हिसाब से अगर 2015-16 और 2019-21 के आंकड़ों को देखें तो एनीमिया के प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई हैं. बच्चों, किशोरियों महिलाओं में ही नहीं पुरुषों के अंदर भी एनीमिया बहुत ज्यादा बढ़ गया है. एनीमिया से शारीरिक और मानसिक विकास अवरुद्ध होता और कई विकार उत्पन्न होते है, जिससे कि वह समाज के समग्र विकास में सहयोग नहीं कर सकता है. आयरन की कमी के अलावा विटामिन डी, जिंक की कमी और दूसरे तत्वों की कमी से शरीर के अंदर कहीं विकार उत्पन्न होते हैं. पोषण योजना के तहत इन सभी को आहार में उपलब्ध कराया जाए. सिकल सेल एनीमिया एक ऐसी बीमारी होती है , जिसमें कि रक्त कोशिका का आकार सिकुड़ जाता है. जिससे कि खून में ऑक्सीजन सप्लाई कम हो जाती है.
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यह जन्मजात अनुवांशिक बीमारी है जिसकी वजह से कई बार बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है और विकार उत्पन्न होते हैं. सिकल सेल एनीमिया से प्रदेश में करीब 25 से 30 हजार बच्चे पीड़ित है और इसका इलाज काफी महंगा है. अमेरिका का एक समूह इन बच्चों के इलाज में मदद कर रहा है. मैंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि इन बच्चों का इलाज के लिए संज्ञान लिया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि सिकल सेल एनीमिया का उपचार प्रदेश में भी मिल पाए. मैंने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया है कि दंत चिकित्सकों की सीएचसी पीएचसी लेवल पर काफी कमी है. हर साल कई हजार दंत चिकित्सक प्रदेश में डिग्री लेते हैं पर उनकी नियुक्ति नहीं हो पाती है.
केंद्र सरकार के आंकड़ों के हिसाब से राज्य में 1142 दंत चिकित्सकों की पोस्ट होनी चाहिए जबकि केवल 256 पोस्ट ही स्वीकृत है, करीबन 955 दंत चिकित्सकों की शार्ट फॉल है.दंत चिकित्सक ओरल कैंसर, डेंटल फ्लोरोसिस, पीरियडोनटाइटिस जैसी बीमारियों का जल्दी डायग्नोसिस और इलाज सीएचसी रूरल एरियाज में सुनिश्चित हो पाएगा और गांव के लोगों को भी इलाज मिल पाए.
वही डिसेबल बच्चों के लिए काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता रेणु सिंह ने कहा कि (Suggestions For Women On Budget In Rajasthan) स्पेशल एजुकेशन के लिए यूनिवर्सिटी खुलनी थी लेकिन उसका काम अभी आधा पड़ा है. अगर उस पर काम किया जाए तो विशेष बच्चों को एजुकेशन में काफी रहत मिलेगी. दूसरी जो न्यू एजुकेशन पॉलिसी आई है उसमें विशेष बच्चों के उनके लिए स्किल डेवलपमेंट के कार्स है. अगर उनपर सरकार काम करे तो हम इन बच्चों को आत्मनिर्भर बना सकते है. इसमें अगर सरकार हमारा सहयोग चाहे तो हम प्रारूप बना कर दे सकते हैं.