जयपुर. राजस्थान में कर्मचारियों का एक नारा चर्चाओं में रहा है, 'जब जब कर्मचारी बोला है राज सिंहासन डोला है.' एक बार फिर प्रदेश में साढ़े 7 लाख कर्मचारियों ने 'आवाज दो, हम एक हैं' के नारे के साथ आंदोलन का एलान किया है. कमेटियों की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करने और कमेटियों का कार्यकाल बार-बार बढ़ाने से कर्मचारियों में आक्रोश है. चुनावी फिजाओं में प्रदेश की गहलोत सरकार कर्मचारियों को अपने साथ साधने की कोशिश कर रही है, लेकिन सरकार की यही कोशिश उनके लिए मुसीबत बन गई है. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत आज से प्रदेश भर में सरकार के खिलाफ आंदोलन करेगी (Rajasthan Government Employees on road).
आज से प्रदेशव्यापी आंदोलन- खेमराज चौधरी की अध्यक्षता में गठित वेतन विसंगति परीक्षण समिति का कार्यकाल 31 दिसंबर तक बढ़ाए जाने और लंबित मांगों का निराकरण नहीं होने के प्रदेश के कर्मचारियों में रोष है. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) ने प्रदेश के साढ़े 7 लाख कर्मचारियों से आंदोलन का आह्वान किया है. एकीकृत महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि महासंघ के आह्वान पर 24 अगस्त को सभी जिलों में धरने प्रदर्शन किए जाएंगे और जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेंगे. इसके बाद 27 अगस्त को उदयपुर में एक विशाल रैली के साथ आम सभा आयोजित की जाएगी, जिसमें आंदोलन के अगले चरण की घोषणा की जाएगी.
सरकार पर गुमराह करने का आरोप- राठौड़ ने सरकार पर कर्मचारियों को गुमराह करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि वेतन विसंगतियों के नाम पर कर्मचारियों को हमेशा छला गया है. 3 नवंबर 2017 को सरकार के निर्देश पर डीसी सामंत की अध्यक्षता में वेतन विसंगति निवारण समिति का गठन किया और इस समिति ने सभी संगठनों की सुनवाई करने के बाद 5 अगस्त 2019 को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत कर दी. जब सार्वजनिक करने का समय आया तो सरकार ने परीक्षण के नाम पर रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया, जो आज तक परीक्षणधीन है.
इस बीच सरकार ने कर्मचारियों को उलझाए रखने के लिए 5 अगस्त 2021 को एक नई वेतन विसंगति समिति खेमराज चौधरी की अध्यक्षता में वेतन विसंगति परीक्षण समिति गठित कर दी. इस कमेटी की भी विभिन्न कर्मचारी संगठनों के साथ सुनवाई पूरी हो चुकी है, लेकिन इसके बावजूद कमेटी का कार्यकाल 31 दिसंबर 2022 तक बढ़ा दिया गया है, जिससे कर्मचारियों में काफी आक्रोश है.
सरकार ने की अनदेखी- गजेंद्र सिंह राठौड़ ने सरकार पर संवादहीनता का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार कर्मचारियों की लंबित मांगों पर भी कोई ध्यान नहीं दे रही है, जिससे कर्मचारियों में काफी नाराजगी है. राठौड़ ने मुख्यमंत्री से खेमराज कमेटी की रिपोर्ट को तुरंत प्रकाशित करने और महासंघ (एकीकृत) के संशोधित मांग पत्र- 2022 पर शीघ्र उच्च स्तरीय वार्ता आयोजित करा कर मांगों का निराकरण कराने की मांग की है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में सत्ता कांग्रेस की हो या फिर बीजेपी की कर्मचारियों के साथ कमेटियों के नाम पर छलावा हुआ है. बीजेपी सरकार ने सामंत कमेटी बना कर कर्मचारियों के साथ छलावा किया. 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी तो उन्होंने भी पहले सामंत कमेटी का कार्यकाल बढ़ाया और जब कमेटी ने रिपोर्ट दे दी तो उसे न तो आज तक सार्वजनिक किया और न ही कमेटी के सुझावों को लागू किया.
सरकारें बढ़ाती रही कार्यकाल- पूर्व की वसुंधरा राजे सरकार से लेकर मौजूदा गहलोत सरकार तक सरकारी कर्मचारियों के लिए कमेटियों के बनने और कार्यकाल बढ़ाने का सिलसिला जारी है. इसे लेकर सरकारी कर्मचारियों में अलग तरह की मायूसी है. हालांकि ओपीएस लागू करने से राहत तो मिली है लेकिन बुनियादी मसले हल नहीं होने के चलते सरकारी कर्मचारी खुद को कमेटियों के मकड़जाल में जकड़ा महसूस कर रहा है. कर्मचारियों को लगता है कि सरकार कमेटियां बनाकर पहले से ही मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश करती है और फिर कर्मचारी आंदोलन नहीं करें इसलिए कमेटियों का कार्यकाल आगे से आगे बढ़ा कर यह दर्शाने की कोशिश होती है कि सरकार उनकी मांगों पर काम कर रही है.
कमेटी-दर-कमेटी बढ़ता गया कार्यकाल-
- वसुंधरा राजे सरकार में पूर्व सीएस डीसी सामंत की अध्यक्षता में वेतन विसंगति निवारण समिति का गठन 3 नवंबर 2017 को हुआ.
- सामंत कमेटी का कार्यकाल 8 मई 2018, 8 अगस्त 2018, 31 दिसंबर 2018 और 4 जुलाई 2019 को चार बार बढ़ाया गया.
- सातवें वेतनमान संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए गठित सामंत कमेटी को वेतन विसंगति निवारण का भी जिम्मा सौंपा गया. इसे लेकर 5 अगस्त 2019 को कमेटी ने रिपोर्ट दे दी.
- इस समय यह रिपोर्ट सरकार परीक्षण करा रही है और इसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है.
खेमराज कमेटी
- सामंत कमेटी के बाद छूटे बिंदुओं और विसंगति के मसलों को हल करने के लिए रिटायर्ड आईएएस खेमराज की अध्यक्षता में 5 अगस्त 2021 को वेतन विसंगति परीक्षण समिति का गठन किया गया.
- इसका कार्यकाल 1 नवंबर 2021 को 3 महीने के लिए बढ़ाया गया था.
- फिर 3 फरवरी 2022 को इसे 6 महीने के लिए बढ़ाया गया और अब 5 अगस्त को कमेटी का कार्यकाल 31 दिसंबर 2022 तक बढ़ा दिया गया.