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राजस्थान हाईकोर्ट : कोचिंग संस्थानों के लिए नियामक कानून और नियमों का ड्राफ्ट तैयार

कोटा में समय-समय पर कोचिंग छात्रों की आत्महत्याओं की घटनाओं पर कोर्ट ने स्वप्रेरणा से संज्ञान लेकर कोचिंग संस्थाओं के लिए नियामक कानून बनाने के लिए सरकार को ड्राफ्ट तैयार करने का आदेश दिया था. सरकार ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. अब इस पर कोर्ट ने दिसंबर में सुनवाई तय की है.

कोचिंग संस्थानों के लिए नियामक कानून और नियमों का ड्राफ्ट
कोचिंग संस्थानों के लिए नियामक कानून और नियमों का ड्राफ्ट
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Published : Sep 8, 2021, 7:00 PM IST

जयपुर. राज्य सरकार की ओर से राजस्थान में संचालित कोचिंग संस्थानों के लिए नियामक कानून और नियमों का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है. इन्हें जल्द ही प्रक्रिया पूरी कर कानून का रूप दिया जाएगा.

राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में हाईकोर्ट में जानकारी पेश की गई है. जिसे रिकॉर्ड पर लेते हुए न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने प्रकरण की सुनवाई दिसंबर माह में तय की है.

पढ़ें- हाईकोर्ट सुनवाई : याचिकाकर्ता को आईएएस चयन प्रक्रिया में शामिल करने के आदेश

हाईकोर्ट ने कोटा शहर में संचालित कोचिंग संस्थानों में अध्ययनरत विद्यार्थियों की ओर से आए दिन आत्महत्या करने की घटनाओं के बाद स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया था. पूर्व में सुनवाई करते हुए कानून का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए टास्क फोर्स का गठन भी गया था.

राज्य सरकार और प्रकरण के न्यायमित्र ने अदालत को पूर्व में बताया था कि बिना कानून बनाए आत्महत्या नहीं रोकी जा सकती. इसके बाद राज्य सरकार ने कोचिंग संस्थानों के लिए नियामक कानून और नियमों का ड्राफ्ट तैयार किया है.

जयपुर. राज्य सरकार की ओर से राजस्थान में संचालित कोचिंग संस्थानों के लिए नियामक कानून और नियमों का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है. इन्हें जल्द ही प्रक्रिया पूरी कर कानून का रूप दिया जाएगा.

राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में हाईकोर्ट में जानकारी पेश की गई है. जिसे रिकॉर्ड पर लेते हुए न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने प्रकरण की सुनवाई दिसंबर माह में तय की है.

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हाईकोर्ट ने कोटा शहर में संचालित कोचिंग संस्थानों में अध्ययनरत विद्यार्थियों की ओर से आए दिन आत्महत्या करने की घटनाओं के बाद स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया था. पूर्व में सुनवाई करते हुए कानून का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए टास्क फोर्स का गठन भी गया था.

राज्य सरकार और प्रकरण के न्यायमित्र ने अदालत को पूर्व में बताया था कि बिना कानून बनाए आत्महत्या नहीं रोकी जा सकती. इसके बाद राज्य सरकार ने कोचिंग संस्थानों के लिए नियामक कानून और नियमों का ड्राफ्ट तैयार किया है.

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