जयपुर. राज्य सरकार ने प्रशासन शहरों के संग अभियान 2021 को मद्देनजर रखते हुए धारा 69ए को और जादुई बना दिया है. राजस्थान नगर पालिकाओं में (Rajasthan Municipalities) गैर-कृषि भूमि का समर्पण और फ्रीहोल्ड लीज का अनुदान (Surrender of Non-Agricultural Land and Grant of Freehold Lease) Rules, 2015 और संशोधित नियम 2021 के नियम 4(1)(iv) के तहत समर्पित की जाने वाली भूमियों का दायरा स्पष्ट किया गया है.
जिसके तहत शहर का चारदीवारी आबादी क्षेत्र/सिटी-सर्वे क्षेत्र, नगरीय क्षेत्र के राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज गैर-मुमकिन आबादी भूमि, रियासतकालीन समय से राजा-महाराजाओं/ ठिकानेदारों की ओर से अपने स्वामित्व की गैर-कृषि भूमि पर बसाई हुई कॉलोनियां, ग्रामीण क्षेत्र कृषि भूमि रूपान्तरण नियम 1971, 1992, 2007 और नगरीय क्षेत्र कृषि भूमि रूपान्तरण नियम, 1981 के तहत जारी संपरिवर्तन आदेशों से संबंधित भूमि, राजस्व रिकॉर्ड में खातेदारी में अंकित गैर-कृषि भूमियां जिस पर निर्माण हो चुका है, ऐसी जमीनों को शामिल किया गया है.
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इस तरह की जमीनों का प्रूफ ऑफ राईट का निर्धारण किया गया है. जिसके तहत रियासतकालीन समय से राजा/जागीरदार/ ठिकानेदार की ओर से जारी किए गए पट्टे/रजिस्ट्रीयां/दानपत्र/बक्शीसनामा/ बही पत्र/ उस समय के दूसरे कोई दस्तावेज या फिर राज्य अभिलेखागार/ जिला कलेक्टर के रिकॉर्ड से प्राप्त पट्टे व अन्य दस्तावेज, सिटी सर्वे रिपोर्ट, कस्टोडियन के पट्टे, स्टेट ग्रांट के पट्टे, पूर्व में निष्पादित बेचाननामा, पारिवारिक बंटवारानामा, वसीयत, यहां तक की 1992 से पहले की निर्माण स्वीकृति, बिजली/पानी के बिल, वोटर लिस्ट, हाउस टैक्स की रिसिप्ट तक को जमीन पर अधिकार का प्रमाण माना जाएगा.
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इसके साथ ही पुरानी आबादी क्षेत्र की विशेष परिस्थितियों के अनुसार संपत्तियों के मापदंड भी निर्धारित किए गए हैं. जिसमें जयपुर के परकोटा क्षेत्र और परकोटे के बाहर बसी आबादी, कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों को लेकर दिशा निर्देश दिए गए हैं. साथ ही धारा 69ए के अंतर्गत कोई सी भूमि और भवन को पट्टे नहीं दिए जा सकेंगे, इसके दिशा निर्देश भी जारी किए गए हैं.