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केंद्रीय कृषि कानून को निष्प्रभावी करने के लिए राजस्थान सरकार लाई संशोधन बिल - Central Agricultural Law Latest News

पंजाब और छत्तीसगढ़ के बाद केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में संशोधन बिल लाने वाला राजस्थान तीसरा राज्य बन गया है. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर एमएसपी पर खरीद नहीं करने पर 3 साल से 7 साल की सजा और 5 लाख तक का जुर्माना हो सकता है. लेकिन किसान अपनी इच्छा से मंडी या अन्य व्यापारी को फसल भेजें तो एमएसपी जरूरी नहीं होगा.

Amendment bill introduced against agricultural laws,  Agriculture Bill in Rajasthan
सीएम अशोक गहलोत
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Published : Oct 31, 2020, 6:04 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में शनिवार को संसद में पास हुए तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ संशोधन विधेयक पेश कर दिया गया है. कानून तोड़ने पर 3 साल से 7 साल तक की सजा और 5 लाख का न्यूनतम जुर्माना तय किया गया है.

संशोधन बिल को लेकर खाचरियावास का बयान
  • कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020

इस संशोधन बिल के तहत प्रदेश में कृषि उपज मंडी अधिनियम लागू रहेगा और 5 जून 2020 से पूर्व की स्थिति बनी रहेगी. यदि कोई व्यक्ति, कंपनी या कॉर्पोरेट हाउस या कोई अन्य व्यक्तियों का निकाय चाहे वह निगमित हो या न हो, अगर किसान पर जबरन दबाव बनाता है तो उसे 3 साल से 7 साल तक की सजा हो सकती है और उस पर 5 लाख तक के जुर्माने अथवा दोनों का प्रावधान लागू होगा.

मदन दिलावर ने कांग्रेस सरकार पर साधा निशाना

पढ़ें- किसानों की बजाय उद्योगपतियों की आमदनी दोगुनी कर रही केंद्र सरकार: डोटासरा

ऐसे में कोई व्यक्ति, फर्म या कंपनी, किसी किसान या कृषि उपज के संबंध किसी व्यक्ति को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम की कीमत पर उसके कब्जे में की कृषि उपज का संविदा के अधीन विक्रय करने के लिए व्यवस्था करता है या दबाव डालता है और तैयार उपज की सूचना दिए जाने की तारीख से 1 सप्ताह के भीतर किसी कृषि करार के अधीन उपज को स्वीकार करने या माल परिधान लेने से इनकार करता है तो उस पर सजा का प्रावधान किया गया है.

  • कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरणल) (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020

इस प्रावधान के तहत अगर कोई किसान का उत्पीड़न करता है, जहां व्यापारी करार किए गए कृषि उत्पाद के परिधान को स्वीकार नहीं करता है या परिणाम को स्वीकार कर लेने के बाद कृषक को करार के अनुसार या माल के परिधान की प्राप्ति की तारीख के 3 दिन के भीतर पेमेंट नहीं करता है तो उसके खिलाफ 3 साल की सजा और कम से कम पांच लाख के जुर्माने या दोनों का प्रावधान रखा गया है. हालांकि इसमें कहीं भी न्यूनतम समर्थन मूल्य की बात नहीं कही गई है, जबकि राज्य सरकार लगातार न्यूनतम समर्थन मूल्य की बात आगे बढ़ा रही थी.

पढ़ें- कृषि बिल लाकर राज्य की कांग्रेस सरकार ने संघीय ढांचे को चुनौती दी है: वासुदेव देवनानी

ऐसे में साफ है कि इस बिल के अनुसार अगर कोई मंडियों में खरीद होती है या उसके बाद किसान अपने स्तर पर अपनी फसल को भेजता है तो उसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्रावधान नहीं रखा गया है जो अपने आप में सवालों के घेरे में आ गया है.

  • आवश्यक वस्तु (विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020

इस विधेयक के जरिए राज्य सरकार ने यह साफ कर दिया है कि विशेष परिस्थितियों में वह स्टॉक लिमिट तय कर सकती है. जबकि केंद्रीय कानून में स्टॉक लिमिट का कोई प्रावधान नहीं था.

  • सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020

तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के संशोधन के बाद भी अगर किसी किसान को दोषी ठहरा दिया जाता है, उसके बाद भी सरकार ने यह व्यवस्था की है कि 5 एकड़ तक जमीन वाले किसान की जमीन को कुर्क नहीं किया जा सकेगा. इसके लिए विधानसभा में सिविल प्रक्रिया संहिता राजस्थान संशोधन विधेयक 2020 लाया गया है.

पंजाब और राजस्थान के कानून में यह है फर्क...

राजस्थान और पंजाब के कानून में काफी समानताएं हैं, लेकिन यहां अंतर यह रखा गया है कि एक तो पंजाब सरकार ने धान और गेहूं की फसल के लिए एमएसपी पर खरीद अनिवार्य की है, बाकी फसलों के लिए कोई एमएसपी नहीं रखी गई है. जबकि राजस्थान में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए हर फसल को एमएसपी पर खरीद करना जरूरी होगा, लेकिन मंडी में किसान के फसल बेचने और किसान अगर किसी को अपनी फसल किसी भी कीमत पर बेचता है तो किसी भी फसल के लिए एमएसपी पर खरीद होना जरूरी नहीं है. वहीं, पंजाब सरकार ने ढाई एकड़ तक के किसानों की जमीन को कुर्की से मुक्त किया है तो राजस्थान ने इस कैटेगरी में 5 एकड़ तक के किसानों को रखा है.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में शनिवार को संसद में पास हुए तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ संशोधन विधेयक पेश कर दिया गया है. कानून तोड़ने पर 3 साल से 7 साल तक की सजा और 5 लाख का न्यूनतम जुर्माना तय किया गया है.

संशोधन बिल को लेकर खाचरियावास का बयान
  • कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020

इस संशोधन बिल के तहत प्रदेश में कृषि उपज मंडी अधिनियम लागू रहेगा और 5 जून 2020 से पूर्व की स्थिति बनी रहेगी. यदि कोई व्यक्ति, कंपनी या कॉर्पोरेट हाउस या कोई अन्य व्यक्तियों का निकाय चाहे वह निगमित हो या न हो, अगर किसान पर जबरन दबाव बनाता है तो उसे 3 साल से 7 साल तक की सजा हो सकती है और उस पर 5 लाख तक के जुर्माने अथवा दोनों का प्रावधान लागू होगा.

मदन दिलावर ने कांग्रेस सरकार पर साधा निशाना

पढ़ें- किसानों की बजाय उद्योगपतियों की आमदनी दोगुनी कर रही केंद्र सरकार: डोटासरा

ऐसे में कोई व्यक्ति, फर्म या कंपनी, किसी किसान या कृषि उपज के संबंध किसी व्यक्ति को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम की कीमत पर उसके कब्जे में की कृषि उपज का संविदा के अधीन विक्रय करने के लिए व्यवस्था करता है या दबाव डालता है और तैयार उपज की सूचना दिए जाने की तारीख से 1 सप्ताह के भीतर किसी कृषि करार के अधीन उपज को स्वीकार करने या माल परिधान लेने से इनकार करता है तो उस पर सजा का प्रावधान किया गया है.

  • कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरणल) (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020

इस प्रावधान के तहत अगर कोई किसान का उत्पीड़न करता है, जहां व्यापारी करार किए गए कृषि उत्पाद के परिधान को स्वीकार नहीं करता है या परिणाम को स्वीकार कर लेने के बाद कृषक को करार के अनुसार या माल के परिधान की प्राप्ति की तारीख के 3 दिन के भीतर पेमेंट नहीं करता है तो उसके खिलाफ 3 साल की सजा और कम से कम पांच लाख के जुर्माने या दोनों का प्रावधान रखा गया है. हालांकि इसमें कहीं भी न्यूनतम समर्थन मूल्य की बात नहीं कही गई है, जबकि राज्य सरकार लगातार न्यूनतम समर्थन मूल्य की बात आगे बढ़ा रही थी.

पढ़ें- कृषि बिल लाकर राज्य की कांग्रेस सरकार ने संघीय ढांचे को चुनौती दी है: वासुदेव देवनानी

ऐसे में साफ है कि इस बिल के अनुसार अगर कोई मंडियों में खरीद होती है या उसके बाद किसान अपने स्तर पर अपनी फसल को भेजता है तो उसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्रावधान नहीं रखा गया है जो अपने आप में सवालों के घेरे में आ गया है.

  • आवश्यक वस्तु (विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020

इस विधेयक के जरिए राज्य सरकार ने यह साफ कर दिया है कि विशेष परिस्थितियों में वह स्टॉक लिमिट तय कर सकती है. जबकि केंद्रीय कानून में स्टॉक लिमिट का कोई प्रावधान नहीं था.

  • सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020

तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के संशोधन के बाद भी अगर किसी किसान को दोषी ठहरा दिया जाता है, उसके बाद भी सरकार ने यह व्यवस्था की है कि 5 एकड़ तक जमीन वाले किसान की जमीन को कुर्क नहीं किया जा सकेगा. इसके लिए विधानसभा में सिविल प्रक्रिया संहिता राजस्थान संशोधन विधेयक 2020 लाया गया है.

पंजाब और राजस्थान के कानून में यह है फर्क...

राजस्थान और पंजाब के कानून में काफी समानताएं हैं, लेकिन यहां अंतर यह रखा गया है कि एक तो पंजाब सरकार ने धान और गेहूं की फसल के लिए एमएसपी पर खरीद अनिवार्य की है, बाकी फसलों के लिए कोई एमएसपी नहीं रखी गई है. जबकि राजस्थान में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए हर फसल को एमएसपी पर खरीद करना जरूरी होगा, लेकिन मंडी में किसान के फसल बेचने और किसान अगर किसी को अपनी फसल किसी भी कीमत पर बेचता है तो किसी भी फसल के लिए एमएसपी पर खरीद होना जरूरी नहीं है. वहीं, पंजाब सरकार ने ढाई एकड़ तक के किसानों की जमीन को कुर्की से मुक्त किया है तो राजस्थान ने इस कैटेगरी में 5 एकड़ तक के किसानों को रखा है.

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