जयपुर. कुसुम योजना के तहत सैकड़ों किसानों के आवेदन अटके पड़े हैं. इस योजना के तहत किसान अपनी बंजर और अनुपयोगी भूमि (Barren Land Reuse Of Rajasthan Farmers Under Kusum Scheme) पर सौर ऊर्जा संयंत्र (Solar Power Plant In Rajasthan) स्थापना के लिए Apply करते हैं. लेकिन अब तक इस दिशा में आशा के अनुरूप परिणाम नहीं मिल रहा है.
आरोप कई हैं. बैंकों की मनमानी को भी एक वजह बताया जा रहा है. इन सब परेशानियों को देखते हुए ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने केंद्र से दखल की मांग की है.
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प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से किया आग्रह
किसानों की समस्या को देखते हुए राजस्थान सरकार (Rajasthan Government On Farmers Subject) ने पूर्व में इस मामले में केंद्र सरकार से आग्रह भी किया था कि वे बैंकर्स को आवश्यक दिशा निर्देश दें ताकि किसानों को इस योजना के लिए उचित राशि ऋण के रूप में मिल सके. राज्य सरकार ने यह तक आश्वासन दिया कि इसके लिए अगर राज्य सरकार से कोई एमओयू (MOU From Gehlot Sirkar Over PMKY) या गारंटी चाहिए उसके लिए तैयार है.
कुसुम योजना कंपोनेंट A में राजस्थान सिरमौर
किसानों के लिए महत्वाकांक्षी योजना में राजस्थान का परफॉर्मेंस अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर रहा है. खास बात यह है कि योजना के तहत प्रारंभिक स्तर पर जो 11 प्लांट स्थापित हुए उसमें से 10 अकेले राजस्थान में ही स्थापित हुए. हालांकि अब किसानों को बैंक की तरफ से उचित आर्थिक सहयोग न मिल पाने के कारण योजना की रफ्तार धीमी पड़ गई है.
प्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM Kusum Yojna) देश के उन गरीब किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है जिनके पास जमीन तो है लेकिन वह बंजर या अनुपयोगी है. ऐसे में इस जमीन पर वो राज्य और केंद्र सरकार के सहयोग से सौर ऊर्जा का 500 किलोवाट से लेकर 2 मेगावाट तक का प्लांट (Solar Power Plant In Rajasthan) स्थापित कर सकते हैं. यह प्लांट डिस्कॉम के सब स्टेशन से 5 किलोमीटर के दायरे में बनाया जाता है. इससे उत्पन्न होने वाली बिजली डिस्कॉम खरीदता है. इसकी दर विद्युत विनियामक आयोग (Electricity Regulatory Commission) तय करता है.
प्लांट स्थापित करने में सरकार का भी अनुदान मिलता है. ऐसे में कम पूंजी में किसान अपने अनुपयोगी और बंजर भूमि का उपयोग कर लाभ कमा सकता है. वहीं कुसुम योजना के तहत किसानों की भूमि पर सोलर पंप लगाने के लिए भी अनुदान मिलता है.