जयपुर. राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद (RESA) के सदस्यों की ओर से जयपुर जिला कलेक्ट्रेट पर किया जा रहा आमरण अनशन चौथे दिन शुक्रवार को भी जारी रहा. गुरुवार को आमरण अनशन के दौरान 6 सदस्यों की तबीयत बिगड़ गई थी. दूसरी ओर वार्ता के लिए सरकार ने अभी तक कोई पहल नहीं की है.
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जयपुर जिला कलेक्ट्रेट पर राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद (Rajasthan Education Service Association) के 21 सदस्यों ने अपनी मांगों को लेकर आमरण अनशन शुरू किया था. रेसला संगठन के आमरण अनशन के विरोध में यह आमरण अनशन शुरू किया गया था. गुरुवार को इनमें से 6 सदस्यों की तबीयत बिगड़ गई थी, जिन्हें अस्पताल ले जाया गया. तबीयत ठीक होने के बाद सभी सदस्य फिर से आमरण अनशन में शामिल हो गए हैं. शुक्रवार को रेसा के 22 सदस्य आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं.
प्रधानाचार्य पदोन्नति में अनुपातिक परिवर्तन किया जा रहा है
राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद के प्रदेश अध्यक्ष कृष्ण गोदारा ने बताया कि विभाग की ओर से प्रधानाचार्य पदोन्नति में अनुपातिक परिवर्तन किया जा रहा है, जिसका हम विरोध कर रहे हैं. इस परिवर्तन से विभाग की बड़ी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद नियुक्ति पाने वाले युवाओं की पदोन्नति का अवसर पूरी तरह से बंद हो जाएगा. एक अन्य संगठन रेसला प्रधानाचार्य पदोन्नति में आनुपातिक परिवर्तन चाहता है. मुख्यमंत्री ने भी इस प्रस्ताव को स्थगित कर दिया है, लेकिन रेसला संगठन की ओर से सरकार पर दबाव बनाने के लिए अनशन किया जा रहा है.
वार्ता के लिए नहीं की गई कोई पहल
कृष्ण गोदारा ने कहा कि सरकार की ओर से अभी वार्ता के लिए कोई पहल नहीं की गई है. लंबे समय बाद बच्चों के स्कूल खुले हैं और आमरण अनशन के कारण बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है. इस मामले को लेकर एक कमेटी का गठन कर देना चाहिए. उस कमेटी के आधार पर ही सरकार को आगे का निर्णय करना चाहिए.
सरकार को वार्ता करनी चाहिए
गोदारा ने कहा कि रेसा और रेसला संगठन के पदाधिकारियों को एक साथ बैठाकर सरकार को वार्ता करनी चाहिए. इसमें किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं है. विभागीय नियम भी पूरी तरह से स्पष्ट है. उन्होंने कहा कि आमरण अनशन के चलते हमारे 6 साथियों कि गुरुवार को तबीयत खराब हो गई थी और अन्य सदस्यों को भी तबीयत खराब हो सकती है.
कृष्ण गोदारा ने कहा कि बोर्ड परीक्षा भी नजदीक है. बच्चों का भविष्य खराब नहीं हो इसलिए सरकार को जल्द ही इस मामले में पहल कर वार्ता करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को संवेदनशीलता के साथ दोनों पक्षों के साथ वार्ता करनी चाहिए ताकि कोई उचित निर्णय निकल सके.