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Rajasthan Rajyasabha Election : पांचवां उम्मीदवार उतारने की स्थिति में कांग्रेस में हो सकता है भीतरघात

राजस्थान राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने तीन बाहरी नेताओं को प्रत्याशियों के रूप में उतारा है. कहा जाने लगा है कि अगर राज्यसभा चुनाव में पांचवें उम्मीदवार के तौर पर अगर कोई बेहतर विकल्प मिला तो 3 में से 1 सीट पर जीतने में कांग्रेस को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता (Congress struggle to win 3 seats in Rajyasabha election) है. क्योंकि तीसरी राज्यसभा सीट को जीतने के लिए कांग्रेस पार्टी निर्दलीयों के सहारे है. अन्य दलों व निर्दलीयों की नाराजगी और कांग्रेस के भीतरघात की स्थिति में बाड़ाबंदी और मान मनव्वल ही एकमात्र रास्ता बचेगा.

Rajasthan Congress  struggle to win 3 seats in Rajyasabha election
पांचवा उम्मीदवार उतारने की स्थिति में कांग्रेस में हो सकता है भीतरघात, तो तीसरी सीट के लिए बचेगा बाड़ाबंदी का रास्ता
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Published : May 30, 2022, 6:14 PM IST

Updated : May 30, 2022, 7:04 PM IST

जयपुर. कांग्रेस पार्टी की ओर से राजस्थान राज्यसभा चुनाव के लिए रणदीप सुरजेवाला, प्रमोद तिवारी और मुकुल वासनिक पर दांव लगाया है. हालांकि इन तीनों नेताओं के बाहरी होने के चलते कांग्रेस में ही विरोध हो रहा है. इसी कारण प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को छोड़ किसी बड़े राजस्थान के नेता ने इन तीनों नेताओं को बधाई नहीं दी है.

उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद कांग्रेस पार्टी के सामने समस्या केवल नेताओं या कार्यकर्ताओं की नाराजगी ही नहीं है बल्कि इससे बड़ी समस्या भितरघात की हो गई है. कहा जाने लगा है कि अगर राज्यसभा चुनाव में पांचवें उम्मीदवार के तौर पर अगर कोई बेहतर विकल्प मिला, तो 3 में से 1 सीट पर जीतने में कांग्रेस को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता (Congress struggle to win 3 seats in Rajyasabha election) है. तीसरी राज्यसभा सीट को जीतने के लिए कांग्रेस पार्टी निर्दलीयों के सहारे है. ऐसे में अगर निर्दलीय विधायकों की नाराजगी वोट देने में दिखी और पहले से नाराज चल रही बीटीपी के साथ ही माकपा ने राज्यसभा चुनावों में वोट देने का बहिष्कार किया तो कांग्रेस को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. इतना ही नहीं खुद कांग्रेस पार्टी से नाराज विधायकों खास तौर पर आदिवासी क्षेत्र के विधायकों गणेश घोघरा और रामलाल मीणा की नाराजगी को भी पार्टी को साधना होगा.

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पढ़ें: Rajasthan Rajyasabha Election: राजस्थान कांग्रेस के नेता मलते रह गए हाथ बाहरी नेताओं को मिला टिकट, उम्र भी 50 के पार

ये निर्दलीय दिखा रहे नाराजगी:

संयम लोढ़ा : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार हैं, लेकिन बाहरी नेताओं को राज्यसभा का टिकट दिए जाने पर नाराजगी जता चुके हैं. हालांकि गहलोत से करीबी रिश्तों के चलते कहा जा रहा है कि संयम कांग्रेस उम्मीदवार को वोट देंगे.

ये विधायक चले गए थे बाहर: निर्दलीय विधायक खुशवीर सिंह जोजावर, ओम प्रकाश हुडला और सुरेश टांक राजस्थान में साल 2020 में हुई राजनीतिक उठापटक के समय भी राजस्थान के बाहर चले गए थे. वैसे भी सुरेश टांक और ओमप्रकाश हुडला हमेशा भाजपा नेताओं के संपर्क में माने जाते हैं. हालांकि अभी तीनों नेता गहलोत के समर्थक हैं.

बलजीत यादव : निर्दलीय विधायक बलजीत यादव भी कांग्रेस से नाराज बताए जा रहे हैं. क्योंकि मुख्यमंत्री आवास पर नहीं पहुंचने वाले निर्दलीय विधायकों में एक बलजीत यादव भी थे.

बीटीपी विधायक पहले से चल रहे नाराज: बीटीपी के दोनों विधायक राजकुमार रोत और रामप्रसाद डिंडोर पहले से ही कांग्रेस से नाराज हैं. यही कारण है कि 2020 में हुए फ्लोर टेस्ट में कांग्रेस का साथ देने वाली बीटीपी ने अपना समर्थन वापस ले लिया था. वैसे भी ये नेता आदिवासी के लिए राज्यसभा में टिकट देने की पैरवी कर रहे थे.

बेनीवाल के तीनों विधायक देंगे निर्दलीय का साथ: राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के मुखिया हनुमान बेनीवाल पहले ही कह चुके हैं कि वह भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को वोट नहीं देंगे. अब क्योंकि भाजपा ने खुद का आधिकारिक उम्मीदवार नहीं उतारा है, ऐसे में अगर कोई निर्दलीय उम्मीदवार उतरता है, तो उसे हनुमान बेनीवाल की पार्टी के 3 वोट मिल सकते हैं.

पढ़ें: Rajasthan Rajyasabha Election : राज्यसभा दूसरी सीट पर नॉन पॉलीटिशियन व्यक्ति को उतार सकती है भाजपा! बैठक में आए कई सुझाव...

माकपा इस बार भी कर सकती है बहिष्कार: राजस्थान में कम्युनिस्ट पार्टी के दो विधायक बलवान पूनिया और गिरधारी मैया हैं. पिछली बार भी राज्यसभा चुनाव के समय माकपा ने राज्यसभा चुनाव का बहिष्कार किया था. हालांकि बलवान पूनिया ने अपनी पार्टी के व्हिप को तोड़कर मतदान में हिस्सा लिया था. अब अगर सम्भावित निर्दलीय उम्मीदवार माकपा को साध सका, तो ये दो वोट भी इधर-उधर हो सकते हैं.

...तो बाड़ाबंदी एकमात्र उपाय: माकपा, बीटीपी, रालोपा पर अपनी ही पार्टी का व्हिप लागू होगा. इन्हें कांग्रेस से व्हिप से कोई लेना-देना नहीं होता, तो वहीं निर्दलीय भी वोट देने के लिए स्वतंत्र हैं. ऐसे में कांग्रेस को समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है और बाड़ाबंदी एकमात्र उपाय होगा.

पढ़ें: Rajya Sabha Elections: जयपुर पहुंचे राज्यसभा प्रत्याशी, कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने किया जोरदार स्वागत

निर्दलीय, माकपा, बीटीपी और रालोपा विधायक तो कांग्रेस के लिए चुनौती हैं ही. इसके साथ ही कांग्रेस के अपने भी कांग्रेस के लिए चुनौती बन सकते हैं. क्योंकि बसपा से कांग्रेस में आए 6 में से 4 विधायकों को तो पार्टी ने पद दे दिए, लेकिन वाजिब अली और संदीप यादव के हाथ खाली हैं. ऐसे में यह दोनों विधायक भी नाराज बताए जा रहे हैं. तो वहीं कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा और रामलाल मीणा की नाराजगी तो जगजाहिर है. हालांकि कांग्रेस विधायकों पर कांग्रेस पार्टी का व्हिप लागू होगा. ऐसे में ये विधायक तो कांग्रेस के विरोध में वोट नहीं दे सकते. वैसे भी इनकी नाराजगी कांग्रेस आसानी से दूर कर सकती है.

जयपुर. कांग्रेस पार्टी की ओर से राजस्थान राज्यसभा चुनाव के लिए रणदीप सुरजेवाला, प्रमोद तिवारी और मुकुल वासनिक पर दांव लगाया है. हालांकि इन तीनों नेताओं के बाहरी होने के चलते कांग्रेस में ही विरोध हो रहा है. इसी कारण प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को छोड़ किसी बड़े राजस्थान के नेता ने इन तीनों नेताओं को बधाई नहीं दी है.

उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद कांग्रेस पार्टी के सामने समस्या केवल नेताओं या कार्यकर्ताओं की नाराजगी ही नहीं है बल्कि इससे बड़ी समस्या भितरघात की हो गई है. कहा जाने लगा है कि अगर राज्यसभा चुनाव में पांचवें उम्मीदवार के तौर पर अगर कोई बेहतर विकल्प मिला, तो 3 में से 1 सीट पर जीतने में कांग्रेस को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता (Congress struggle to win 3 seats in Rajyasabha election) है. तीसरी राज्यसभा सीट को जीतने के लिए कांग्रेस पार्टी निर्दलीयों के सहारे है. ऐसे में अगर निर्दलीय विधायकों की नाराजगी वोट देने में दिखी और पहले से नाराज चल रही बीटीपी के साथ ही माकपा ने राज्यसभा चुनावों में वोट देने का बहिष्कार किया तो कांग्रेस को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. इतना ही नहीं खुद कांग्रेस पार्टी से नाराज विधायकों खास तौर पर आदिवासी क्षेत्र के विधायकों गणेश घोघरा और रामलाल मीणा की नाराजगी को भी पार्टी को साधना होगा.

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ये निर्दलीय दिखा रहे नाराजगी:

संयम लोढ़ा : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार हैं, लेकिन बाहरी नेताओं को राज्यसभा का टिकट दिए जाने पर नाराजगी जता चुके हैं. हालांकि गहलोत से करीबी रिश्तों के चलते कहा जा रहा है कि संयम कांग्रेस उम्मीदवार को वोट देंगे.

ये विधायक चले गए थे बाहर: निर्दलीय विधायक खुशवीर सिंह जोजावर, ओम प्रकाश हुडला और सुरेश टांक राजस्थान में साल 2020 में हुई राजनीतिक उठापटक के समय भी राजस्थान के बाहर चले गए थे. वैसे भी सुरेश टांक और ओमप्रकाश हुडला हमेशा भाजपा नेताओं के संपर्क में माने जाते हैं. हालांकि अभी तीनों नेता गहलोत के समर्थक हैं.

बलजीत यादव : निर्दलीय विधायक बलजीत यादव भी कांग्रेस से नाराज बताए जा रहे हैं. क्योंकि मुख्यमंत्री आवास पर नहीं पहुंचने वाले निर्दलीय विधायकों में एक बलजीत यादव भी थे.

बीटीपी विधायक पहले से चल रहे नाराज: बीटीपी के दोनों विधायक राजकुमार रोत और रामप्रसाद डिंडोर पहले से ही कांग्रेस से नाराज हैं. यही कारण है कि 2020 में हुए फ्लोर टेस्ट में कांग्रेस का साथ देने वाली बीटीपी ने अपना समर्थन वापस ले लिया था. वैसे भी ये नेता आदिवासी के लिए राज्यसभा में टिकट देने की पैरवी कर रहे थे.

बेनीवाल के तीनों विधायक देंगे निर्दलीय का साथ: राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के मुखिया हनुमान बेनीवाल पहले ही कह चुके हैं कि वह भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को वोट नहीं देंगे. अब क्योंकि भाजपा ने खुद का आधिकारिक उम्मीदवार नहीं उतारा है, ऐसे में अगर कोई निर्दलीय उम्मीदवार उतरता है, तो उसे हनुमान बेनीवाल की पार्टी के 3 वोट मिल सकते हैं.

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माकपा इस बार भी कर सकती है बहिष्कार: राजस्थान में कम्युनिस्ट पार्टी के दो विधायक बलवान पूनिया और गिरधारी मैया हैं. पिछली बार भी राज्यसभा चुनाव के समय माकपा ने राज्यसभा चुनाव का बहिष्कार किया था. हालांकि बलवान पूनिया ने अपनी पार्टी के व्हिप को तोड़कर मतदान में हिस्सा लिया था. अब अगर सम्भावित निर्दलीय उम्मीदवार माकपा को साध सका, तो ये दो वोट भी इधर-उधर हो सकते हैं.

...तो बाड़ाबंदी एकमात्र उपाय: माकपा, बीटीपी, रालोपा पर अपनी ही पार्टी का व्हिप लागू होगा. इन्हें कांग्रेस से व्हिप से कोई लेना-देना नहीं होता, तो वहीं निर्दलीय भी वोट देने के लिए स्वतंत्र हैं. ऐसे में कांग्रेस को समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है और बाड़ाबंदी एकमात्र उपाय होगा.

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निर्दलीय, माकपा, बीटीपी और रालोपा विधायक तो कांग्रेस के लिए चुनौती हैं ही. इसके साथ ही कांग्रेस के अपने भी कांग्रेस के लिए चुनौती बन सकते हैं. क्योंकि बसपा से कांग्रेस में आए 6 में से 4 विधायकों को तो पार्टी ने पद दे दिए, लेकिन वाजिब अली और संदीप यादव के हाथ खाली हैं. ऐसे में यह दोनों विधायक भी नाराज बताए जा रहे हैं. तो वहीं कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा और रामलाल मीणा की नाराजगी तो जगजाहिर है. हालांकि कांग्रेस विधायकों पर कांग्रेस पार्टी का व्हिप लागू होगा. ऐसे में ये विधायक तो कांग्रेस के विरोध में वोट नहीं दे सकते. वैसे भी इनकी नाराजगी कांग्रेस आसानी से दूर कर सकती है.

Last Updated : May 30, 2022, 7:04 PM IST
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