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मापदंड से कम रिजल्ट पर शिक्षक को किया निलंबित, रेट ने लगाई रोक - Jaipur News

राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने सात साल पहले दसवीं कक्षा के छात्रों के तय मापदंड से कम अंक आने पर शिक्षक के किए गए निलंबन पर रोक लगा दी है. साथ ही अदालत ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

Rajasthan Civil Services Appellate Tribunal
रेट ने लगाई रोक
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Published : Mar 13, 2021, 7:08 PM IST

जयपुर. राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने सात साल पहले दसवीं कक्षा के छात्रों के तय मापदंड से कम अंक आने पर शिक्षक के किए गए निलंबन पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख शिक्षा सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. अधिकरण ने यह आदेश ऋषिकेश की अपील पर दिए.

पढ़ें- आपराधिक तथ्य छिपाकर चुनाव लड़ने के मामले में HC ने हनुमानगढ़ नगर परिषद के सभापति को भेजा नोटिस

अधिकरण ने कहा गया कि शैक्षणिक सत्र लंबे समय से कोरोना के चलते बाधित रहा है. ऐसे में किसी भी विषय के अध्यापक की सेवाओं से विद्यार्थियों को वंचित किया जाना न्यायोचित्त नहीं है. अपील में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता पिछले पांच साल से करौली में गणित व्याख्याता के तौर पर स्कूल में तैनात है. वहीं, उसे गत 29 जनवरी को यह कहते हुए निलंबित कर दिया कि वर्ष 2014 और 2015 में अपीलार्थी के महुआ में पदस्थापन के दौरान संबंधित स्कूल की कक्षा दस का परिणाम तय मापदंडों से कम रहा था.

इसके अलावा निलंबन उसी स्थिति में किया जा सकता है, जब संबंधित कार्मिक के खिलाफ रिकॉर्ड से छेड़छाड़ या गवाहों को प्रभावित करने की आशंका हो. इस संबंध में अपीलर्थी के खिलाफ जांच भी लंबित है. ऐसे में उसके निलंबन आदेश पर रोक लगाई जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अधिकरण ने निलंबन आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने सात साल पहले दसवीं कक्षा के छात्रों के तय मापदंड से कम अंक आने पर शिक्षक के किए गए निलंबन पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख शिक्षा सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. अधिकरण ने यह आदेश ऋषिकेश की अपील पर दिए.

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अधिकरण ने कहा गया कि शैक्षणिक सत्र लंबे समय से कोरोना के चलते बाधित रहा है. ऐसे में किसी भी विषय के अध्यापक की सेवाओं से विद्यार्थियों को वंचित किया जाना न्यायोचित्त नहीं है. अपील में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता पिछले पांच साल से करौली में गणित व्याख्याता के तौर पर स्कूल में तैनात है. वहीं, उसे गत 29 जनवरी को यह कहते हुए निलंबित कर दिया कि वर्ष 2014 और 2015 में अपीलार्थी के महुआ में पदस्थापन के दौरान संबंधित स्कूल की कक्षा दस का परिणाम तय मापदंडों से कम रहा था.

इसके अलावा निलंबन उसी स्थिति में किया जा सकता है, जब संबंधित कार्मिक के खिलाफ रिकॉर्ड से छेड़छाड़ या गवाहों को प्रभावित करने की आशंका हो. इस संबंध में अपीलर्थी के खिलाफ जांच भी लंबित है. ऐसे में उसके निलंबन आदेश पर रोक लगाई जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अधिकरण ने निलंबन आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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