जयपुर. अधिकरण ने अपने आदेश में कहा है कि अपीलार्थी शिक्षक को पूर्व के स्थान पर कार्य करते रहने दिया जाए. अधिकरण ने यह आदेश कल्याण सिंह की अपील पर दिए. अपील में अधिवक्ता दिलीप सिंह कुरका ने अधिकरण को बताया कि गत आठ जनवरी को भरतपुर की नदबई विधानसभा क्षेत्र से विधायक जोगिंदर सिंह अवाना पिपरउ गांव की सरकारी स्कूल में निरीक्षण के लिए गए थे. यहां उन्होंने कक्षा पांच के कुछ छात्रों से सवाल किए, जिसका जवाब नहीं देने पर विधायक ने अपीलार्थी शिक्षक को एपीओ करने के लिए शिक्षा अधिकारियों को कहा. इस पर विभाग ने अपीलार्थी को उसी दिन एपीओ कर दिया.
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अपील में कहा गया कि विधायक अपने समर्थकों और गनमैन सहित कक्षा में आए थे, जहां छात्रों की ओर से सवालों का जवाब नहीं देने पर उसे एपीओ किया गया. जबकि एपीओ करने से पूर्व नियमानुसार विभागाध्यक्ष की सहमति नहीं ली गई. इसके अलावा अपीलार्थी के खिलाफ कोई जांच भी शेष नहीं है. उसे राजनीतिक हस्तक्षेप और दुर्भावना के कारण एपीओ किया गया है. ऐसे में अधिकरण के आदेश पर रोक लगाई जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अधिकरण ने एपीओ आदेश पर रोक (Execution of APO has Been Put on Hold in Jaipur) लगाते हुए विभाग और विधायक से जवाब तलब किया है.
क्या है रेट...
राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण को शॉर्ट फॉर्म में रेट कहते हैं. रेट का क्षेत्राधिकार पूरा प्रदेश है. इस पर प्रदेश के करीब 7 लाख कर्मचारी व अधिकारियों के सेवा संबंधी मामलों की सुनवाई का जिम्मा है. रेट में एक अध्यक्ष सहित चार सदस्यों के पद स्वीकृत हैं. इसमें एक न्यायिक और तीन गैर न्यायिक सदस्यों के पद स्वीकृत हैं. सुनवाई के लिए बैंच का गठन अध्यक्ष करता है. रेट में कर्मचारियों के ट्रांसफर, प्रमोशन, वरिष्टता, सलेक्शन स्केल सहित तमाम तरह के सेवा संबंधी मामलों की सुनवाई होती है. इसकी अपील हाईकोर्ट में की जा सकती है. लेकिन सबसे पहले मामला रेट में ही लिस्ट होता है. पक्षकार सीधा हाई कोर्ट नहीं जा सकता है. सुनवाई नहीं होने से कर्मचारियों को न्याय नहीं मिल पा रहा है.